प्रदूषण पर निबन्ध | Essay for Kids on Pollution in Hindi!

1. भूमिका:

मनुष्य एक ऐसा सामाजिक प्राणी है जिसके मन में हमेशा एक दूसरे से आगे या ऊपर दिखाई पड़ने की प्रतिस्पर्धा (Contest) की भावना रही है । इसी कारण वह प्रकृति (Nature) की सम्पति (Wealth) को अधिक से अधिक प्राप्त कर धनी (Wealthy) बनने की कोशिश में लगा हुआ है । मनुष्य की इसी कोशिश का बुरा परिणाम (Bad Result) है प्रदूषण ।

1. प्रदूषण का प्रभाव:

प्रदूषण शब्द से आज केवल वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि संसार का प्रत्येक बच्चा भी अनजान नहीं रहा क्योंकि आज हमारे वातावरण (Environment) की हर वस्तु प्रदूषण से प्रभावित हो रही है । वायुमण्डल (Atmosphere) हो या मिट्‌टी (Soil), चाहे नदी हो या तालाब और पेड़-पौधे सब प्रदूषित पर्यावरण (Polluted Echo System) के कारण अशुद्ध हो गये हैं ।

इसी कारण न केवल वायुमण्डल के तापमान (Temperature) में परिवर्तन हो रहा है बल्कि मौसम (Season) के चक्र (Cycle) पर भी बुरा असर पड़ा है । मिट्‌टी भी अब पहले जैसी फसल (Crop) नहीं उगाती और न ही नदियों का पानी पीने या नहाने लायक रह गया है ।

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पेड़ों की छाँह भी पहले जैसा आराम नहीं देती और न कोई बगीचा या पार्क सुबह-शाम टहलने (Walking) लायक रहा । सब तरफ शोर, दुर्गंध (Bad smell) और नाना प्रकार के रोगों (Diseases) का खतरा कायम है ।

2. कारण और उपाय:

प्रकृति की इस बुरी अवस्था का सबसे बड़ा कारण है तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या (Population) और दूसरों से स्वयं को धनी दिखाने की होड़ (Contest) । अधिक लोगों को जीवित रखने के लिए अधिक अन्न (Food grains) की जरूरत है ।

अत: कम समय में अधिक पैदा करने के लिए मिट्टी में रासायनिक पदार्थों (Chemical Substances) का अधिक प्रयोग किया जाता है । अधिक जनसंख्या के सामान हेतु पेड़ों की अधिक कटाई होती है जिससे वातावरण में ऑक्सीजन कम हो जाता है ।

अधिक जनसंख्या से अधिक गंदगी भी पैदा होती है जिसे नदियों में बहा दिया जाता है । इससे जल प्रदूषित हो जाता है । अधिक शोर से ध्वनि प्रदूषण होता है । अधिक कल-कारखाने लगाने से वायु प्रदूषित होती है । इन सभी प्रकार के प्रदूषणों को समाप्त करने के लिए जनसंख्या को नियंत्रित (Control) करना चाहिए अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए यज्ञ करना चाहिए और सफाई के सभी नियमों का पालन करना चाहिए ।

4. उपसंहार:

ADVERTISEMENTS:

प्रकृति से ही हमारा जीवन उत्पन्न होता है और हमारे जीवन की रक्षा होती है । स्वस्थ प्रकृति (healthy nature) से ही हमारा जीवन भी स्वस्थ और सुखी बनता है । अत: हमारा यह कर्त्तव्य (Duty) है कि हम अपने छोटे स्वार्थों (Selfishness) के लिए प्रकृति को दूषित न करें ताकि पृथ्वी पर जीवन हमेशा चलता रहे ।

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