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मुगल उद्यान की सैर पर निबंध | Essay on Visit to Mougal Garden in Hindi!

राष्ट्रपति भवन भारत के राष्ट्रपति का सरकारी निवास है । यह सानदार भवन इंडिया गेट के सामने, राजपथ के पश्चिमी छोर पर स्थित है । रायसिना पहाड़ी पर बना यह भव्य स्मारक सन् 1929 में बनाया गया था । इसके बनानेलाले थे दो प्रसिद्ध वास्तुकार एडवर्ड ल्यूटिन्स और हरबर्ट बेकर ।

राष्ट्रपति निवास के मुगल उद्यान का एक विशेष महत्व और आकर्षण है । दिल्ली उद्यानों और बागों का नगर है । यहाँ पर कई विशाल और विस्तार के प्रसिद्ध उद्यान हैं । उदाहरण के लिए इंडिया गेट पार्क, बुद्धा जयंती पार्क, महावीर वनस्थली, नेहरू उद्यान, लोदी उद्यान के नाम लिये जा सकते हैं । ये सभी नगर की सुन्दरता और आकर्षण के केन्द्र हैं ।

हजारों-हजारों व्यक्ति प्रतिदिन इनमें सैर को आते हैं । लेकिन मुगल उद्यान का अपना विशेष आकर्षण है । भारत पर मुगल बादशाहों का लम्बे समय तक शासन रहा । ये लोग बाग-बगीचों, महलों, स्मारकों आदि के बड़े शौकीन थे । जहांगीर उद्यानों में बड़ी रुचि लेता था । उसने कश्मीर के श्रीनगर में प्रसिद्ध शालीमार, निशात और चश्मेशाही बागों का निर्माण करवाया था ।

राष्ट्रपति भवन का यह बाग भी इन्हीं की तरह बनाया गया है और इसीलिए इसे ‘मुगल उद्यान’ कहकर पुकारा जाता है । यह एक अन्य सुन्दर और प्रसिद्ध उद्यान की याद दिलाता है । यह है पिंजौर (हरियाणा) का उद्यान । यह चंडीगढ़ के समीप एकबहुत रमणीय और प्रसिद्ध स्थान है ।

इस वर्ष मुझे मुगल उद्यान की सैर करने का अवसर मिला । बसंत ऋतु में यह उद्यान जनता के लिए कुछ दिनों के लिए खोल दिया जाता है । उस समय इसकी शोभा देखते ही बनती है । वहां कई तरह के रंग-बिरंगे और सुगंधित फूल है, पेड़-पौधे हैं, फव्वारे हैं और ताल है ।

देखकर मन मुग्ध हो जाता है । चारों ओर बिछी हुई घनी, मुलायम हरी-हरी दूब पर चलने का अपना ही आनन्द है । लगता है जैसे मखमल के गलीचों पर चल रहे हों । इन सब की देखभाल बड़ी सावधानी और परिश्रम से की जाती है । अनेक कुशल माली और बागवान इस कार्य में लगे हुए हैं ।

मुगल उद्यान में लगे हुए सभी फूलों का नाम गिनाना संभव नहीं । ग्लेडियोला, गुलाब, गुलदाबड़ी, सूरजमुखी, पेंजी, हजारा, पांपी आदि फूल मुख्य है । वहां साइप्रस के कई छविदार वृक्ष भी हैं । फूल-पौधों की क्यारियों की विभिन्न सुन्दर आकार दिये गये हैं ।

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कोई क्यारी वर्तुल है, कोई चौकोर, कोई वर्गाकार कोई सितारे जैसी तो कोई अंडाकार । पेड़ों की घनी झाड़ियों को भी कांटछांट कर विभिन्न पशुओं, पक्षियों के रूप और आकार दिये गये हैं । यह उद्यान सीढ़ियों की शक्ल में हैं । बीच में एक छोटा-सा ताल और उसके बीच में सुन्दर फव्वारा है । ताल के ठहरे और स्वच्छ जल में चारों ओर की प्रतिच्छाया दृश्य को जादुई बना देती है ।

जब फव्वारे चलते है तो छटा कई गुनी बढ़ जाती है । लेकिन दर्शकों को वहां लॉन पर बैठने की अनुमति नहीं है । के केवल देखते हुए फूलों की क्यारियों के पास से गुजर सकते हैं । मैं मंत्रमुग्ध सा सबकुछ देखता रह गया । आज भी उसकी स्मृति बहुत ताजा है । लगता है कभी कोई एक सुन्दर स्वप्न देखा था ।

जिस दिन मैं मुगल उद्यान देखने गया मौसम बहुत सुहाना था । बहुत लोग वहां आये हुए थे । दर्शकों की एक लम्बी कतार थी । अनेक विदेशी पर्यटक भी थे । मुझे कतार में लगभग 20-25 मिनट प्रतीक्षा करनी पड़ी, तब जाकर मेरी बारी आई । वहां कुछ पालतू कबूतर और मोर भी थी थे ।

ताल में कुछ बत्तखें भी थी । सबकुछ स्वर्ग-सा सुन्दर लग रहा था । गुलाबों की भीनी-भीनी सुगंध मन को गुदगुदा रही थी । रंगों का अनोखा विस्तार था । आखों को बड़ा सुख मिल रहा था । मुझे अंतत: वहां से बाहर निकलना पड़ा । मन तो नही करता था । परन्तु विवशता जो थी ।

एक बार पुन: मुगल उद्यान देखने की मेरी तीव्र इच्छा है । अगले वर्ष में इसे पूरी करना चाहता हूँ । ऐसा करने से यह स्मृति और भी पक्की हो जायेगी । उद्यान को देखकर अंग्रेज कवि कीट्स की मुझे यह प्रसिद्द पंक्ति स्मरण हो आई – “A thing of beauty is a joy for ever.” सचमुच इस सुन्दर उद्यान का अपना विशेष आकर्षण और आनन्द है ।

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