भारतीय बाजीगर पर अनुच्छेद | Paragraph on Indian Juggler in Hindi

प्रस्तावना:

भारतीय बाजीगर गांवों और शहरों की जानी-मानी हस्ती है । वह भारत के गांवों के मनोरजन का मुख्य साधन है । कभी-कभी कस्बों और शहरों में सड़क के किनारे भीड़ का मनोरंजन कराते है, हम उसे देखते हैं ।

पोशाक और रहन-सहन:

बाजीगर आमतौर पर किसी निश्चित स्थान पर नहीं रहते । वे घुमंतू की भाँति एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं । हमे उसकी पत्नी या उसके बच्चे उसके साथ नहीं दीखते । वह एक स्थान रार 2-3 दिन से अधिक नहीं टिकता ।

इसके बाद वह किसी अन्य स्थान के लिए प्रस्थान कर देता है । वह अधिकतर अपने जिले के गाँवो और शहरों में घूमता है, लेकिन कभी-कभी भाग्य आजमाने के लिए दूरदराज के स्थानों पर भी चला जाता है ।

उसकी पोशाक और डील-डौल बड़ा अजीब लगता है । वह सिर पर एक बडी और ढीली पगड़ी बाँधता है ।

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वह लम्बी और भरी-पूरी दाढ़ी रखता है । वह बहुत चौड़ी बांहों वाला लम्बा-सा चोगा जैसा कुरता पहनता है । उसके कन्धे से एक भारी थैला लटकता रहता है, जिसमें बाजीगरी का विभिन्न प्रकार का सामान भरा होता है । वह आमतौर पर लम्बे कद का होता है । उसके चेहरे से उसकी आँखें बड़ी सतर्क और धूर्तता से भरी होती हैं ।

बाजीगरी के खेल-तमाशे:

खेल-तमाशे दिखाने का उसका ढंग बड़ा आश्चर्यजनक होता है । अपना तमाशा दिखाते समय उसके हाथ बड़े तेजी से चलते रहते है । हमारी आखें उसके हाथ की सफाई नहीं देख पातीं । वह अकेला होता है और उसे सभी दर्शकों की आखों का सामना करना पड़ता है ।

सभी दर्शक भरसक प्रयत्न करते हैं कि उसकी हाथ की सफाई पकड़ लें । लेकिन वह सभी को धोखा देने में सफल रहता है । हम सैकडों बार उसकी हाथ की सफाई के खेलों को देखने के बाद भी उसे पकड़ नहीं पाते । हम उसकी चालों को समझने का भरसक प्रयत्न करने के बाद भी उन्हें समझ नहीं पाते ।

वह तरह-तरह के जादू के खेल और हाथ की सफाई के प्रदर्शन दिखाता है । उसके सभी खेल आनन्ददायक और आश्चर्य से भरे होते हैं । वे इतने अच्छे लगते है कि सभी दर्शक दाँतो तले उंगली दबा लेते है । सभी दर्शक मंत्रमुग्ध होकर उसके तमाशों को देखते हैं ।

अक्सर वह अपने खेल का शुभारम्भ राह की धूल से रुपया बनाकर शुरू करता है । इसके बाद वह एक दो रुपये करके दिखाता है । फिर उससे चार और चार से आठ रुपये बनाकर दर्शकों को चकित कर देता है । इसके बाद वह छोटी-छोटी अनेक गेंदों को हवा में उछालता जाता है और उन्हें बिना जमीन पर गिराये एक-एक करके पुन: अपने हाथों में पकड़ लेता है । वह इतनी शीघ्रता से गेंदों का उछाल कर लपकता रहता है कि हम वे गेंदों हवा में चक्कर काटती-सी लगती हैं ।

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वह आम का एक खेल दिखाता है, जो बड़ा चकित करता है । सबके सामने एक गमले में वह आम गुठली को बोकर उसे कपड़े से ढक देता है । कुछ समय तक अन्य खेल दिखाने के बाद वह गमले से कपड़ा हटाता है । हम सब यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं कि गमले में आम का एक छोटा-सा पौधा उग आया है जिसमें आम के फल लगे होते हैं ।

सभी खेलों में टोकरी का खेल बड़ा अचम्भे का होता है । बाजीगर के साथ एक छोटा लड़का होता है, जिसे वह जम्बूरा कहकर पुकारता है । वह उस बच्चे को जमीन पर बैठाकर उस पर बांस की एक बड़ी टोकरी ढंक कर उस पर कपड़ा डाल देता है ।

इसके बाद बाजीगर हाथ में तलवार लेकर टोकरी पर अनेक चोटे करता है । टोकरी के अन्दर का बच्चा जोर-जोर से रोने और चिल्लाने लगता है । जब वह टोकरी से बाहर तलवार खींचता है, तो वह खून से भरी दीखती है ।

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सभी दर्शक भय से त्राहि-त्राहि कर उठते हैं । वह ऐसा दिखाता है कि टोकरी का बच्चा मर गया है । वह उसके मरने का शोक व्यक्त करने लगता है और तब तक वह बच्चा टोकरी से कूदकर बाहर निकल आता है । बच्चे को हट्टा-कट्टा देखकर दर्शक प्रसन्नता से झूम उठते हैं ।

उसकी कम आमदनी:

यद्यपि बाजीगर बहुत-से दर्शकों के सामने काफी समय तक तरह-तरह के खेल-तमाशे दिखाता है, फिर भी उसकी आमदनी बहुत कम होती है । उसके खेल देखने की कोई निश्चित फीस या टिकट नहीं होती । दर्शक अपनी मर्जी से जो भी दे देते हैं, उसी से उसका गुजारा चलता है ।

बहुत-से दर्शक बिना कुछ दिए ही खेल देखकर चले जाते हैं । बदलते समय के साथ उसके तौर-तरीको में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है । अत: आज वह बडी कठिनाई से अपना गुजारा कर पाता है ।

उपसंहार:

भारत का बाजीगर पढ़ा-लिखा नहीं होता है । वह अपना काम बड़ी ईमानदारी से करता है । वह दर्शकों का खूब मनोरंजन करता है । उसे यकीन होता है कि दर्शक खुश होकर उसकी सेवाओं का उचित पुरस्कार अपने आप दे देंगे । लेकिन आज के युग में उसका यकीन सही नही ठहरता ।

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आज संसार में स्वार्थ का बोलबाला है । बहुत-से लोग खेल देखकर मनोरंजन तो भरपूर कर लेते हैं, पर बाजीगर को बिना कुछ दिए ही चल देते हैं । बहुत कम लोग उसकी मेहनत का उचित मुआवजा देते है ।

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