विलियम शेक्सपियर पर निबन्ध | Essay on William Shakespeare in Hindi

1. प्रस्तावना:

शेक्सपियर अंग्रेजी साहित्य में अपने नाटकों के लिए उतने ही विश्व प्रसिद्ध रहे हैं, जितने संस्कृत साहित्य में कालिदास । शेक्सपियर के नाटक मानवमन की अनुभूतियों को अत्यन्त मनोवैज्ञानिकता व सजीवता के साथ चित्रित करते हैं ।

उनके नाटक काल्पनिक जगत् में मनुष्य को बड़ी यथार्थता के साथ ले जाते हैं । नाटकों में चित्रित उनके पात्र वीरोचित गुणों से युक्त प्रतीत होते हैं, तो दूसरी तरफ प्रेम की सूक्ष्म अनुभूतियों को भी अभिव्यक्ति देते हैं ।

शेक्सपियर न केवल नाटककार थे, अपितु कवि हृदय भी रखते थे । उन्होंने इन दोनों विधाओं में अपनी साहित्यिक श्रेष्ठता साबित की । वे एलिजाबेथ प्रथम के काल के प्रसिद्ध कवि और नाटककार थे, जिन्होंने 37 नाटक तथा 153 सानेट लिखे ।

2. जीवन परिचय:

विलियम शेक्सपियर के जीवन परिचय के सम्बन्ध में बहुत प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं हो पायी है; क्योंकि उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की पहचान उनकी साहित्यिक कृतियों से ही अधिक सम्भव हुई है । तत्कालीन समय में कवि एवं साहित्यकार अपने जीवन परिचय को उतना महत्त्व नहीं दिया करते थे । शेक्सपियर का जन्म 23 अप्रैल 1564 में वार्विकशायर में स्ट्रैटफोर्ड-अपोन-एवोआ में हुआ था । उनके पिता जॉन शेक्सपियर तथा माता मैरी आर्डन थी । शेक्सपियर के पिता चमड़े का छोटा-मोटा व्यवसाय किया करते थे ।

घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण शेक्सपियर अधिक पढ़-लिख न सके । शेक्सपियर की 4 बहिनें तथा 3 भाइयों का विवरण मिलता है, किन्तु उनके बारे में यह प्रचलित है कि वे असमय ही काल-कवलित हो गये थे । वे ही अपने माता-पिता की एकमात्र सन्तान थे । उन्होंने ग्रामर स्कूल में लेटिन की शिक्षा प्राप्त की थी ।

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शेक्सपियर को बचपन से ही नाटक देखने व पढ़ने का शौक था । उस समय नाटकों की प्रसिद्ध कम्पनियां हुआ करती थीं । शेक्सपियर की इच्छा इन नाटकों को देखने के साथ-साथ इनमें काम करने की भी थी । इस शौक में एक प्रमुख शौक था-नाटक लिखने का । 18 वर्ष की अवस्था में उन्होंने अपने से 8 वर्ष बड़ी एनी हैथवे से विवाह करने का विचार किया और टैम्पिल ग्रैपटॉन में विवाह सम्पन्न किया ।

शेक्सपियर का प्रारम्भिक वैवाहिक जीवन सुखमय बीता । उसके बाद के जीवन के सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि पहली सन्तान सुसन्न तथा जुड़वां बच्चों का जन्म होने के बाद वह नाटक-मण्डली में काम करने भाग आये । 1552 में शेक्सपियर ने कुछ नाटकों में अभिनय किया तथा कुछ नाटकों का लेखन-कार्य भी किया ।

1597 में शेक्सपियर ने अर्जित सम्पत्ति में से एक भवन खरीदा । उनकी 2 बेटियां थीं, जिसमें बड़ी सुसन्न का 1608 में तथा छोटी ज्यूडिथ का विवाह 1616 में हुआ । शेक्सपियर ने जो नाटक लिखे, उनमें प्रमुख हैं-रोमियो एण्ड जूलियट, द मर्चेन्ट ऑफ वेनिस, जूलियस सीजर, हैमलेट, मैकबैथ, एण्टोनी एण्ड क्लोपैट्रा, द विंटर्स टेल, द टैम्पेस्ट, अ मिडसमर्स नाइट्‌स ड्रीम, ऑथेलो, द कमेडी ऑफ एरर्स, किंग जॉन, किंग हेनरी फर्स्ट, सेकेंड, फोर्थ, एट्‌थ । कविताओं में-वीनस एण्ड एडोनिस ल्यूक्रेस, द सौनेट्‌स, द फीनिक्स एण्ड द टर्टिल हैं ।

शेक्सपियर के नाटकों की विशेषता उसकी आलंकारिक संवाद-शैली तथा काव्यात्मक, उपदेशात्मक है । शेक्सपियर कहा करते थे कि- ”यह संसार एक रंगमंच है और मनुष्य इसमें नाटक के पात्र की तरह अपनी-अपनी भूमिका निभाकर चले जाते हैं ।” उन्होंने मानव स्वभाव के विभिन्न आयामों को अपनी रचनाओं का आधार बनाया था । शेक्सपियर के अधिकांश नाटक आज भी रंगमंच पर उतनी ही जीवन्तता के साथ खेले जाते हैं । नाटकों का प्रेम-पक्ष समस्यात्मक होते हुए भी बहुत ही प्रबल रहा है ।

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अपने नाटकों में मानव मन के अन्तद्वन्द्व के सूक्ष्म चित्रण के साथ-साथ उसकी रहस्यात्मक अलौकिक मनोवृत्तियों को भी दर्शाया है । दुःखान्त परिणिति में उनके नाटकों के पात्रों में भूत-प्रेतों, चुड़ेलों, प्रेतात्मा, यन्त्र-तन्त्र, टोना-जादू का भी खूब उपयोग किया । उनके पुरुष-पात्रों का चरित्र बहुरंगी है । ऑथेलो में इयागो जैसा मक्कार खल पात्र है । मूर जैसा कान का कच्चा योद्धा नायक है ।

डेसडेमोना जैसी सुन्दरी साध्वी के बलि का षड्‌यन्त्र है, जिसमें दानवीय पात्रों की उपस्थिति रहती है, जिसमें उनके पात्रों और चरित्रों की भावनात्मक कमजोरियों से पाठक प्रभावित होता है । वह दुष्टों पर क्रोधित होता है । नारीचरित्रों के रूप-रंग को बड़े ही रूप-यौवन, आन-बान, संगीत की मोहक-मादक प्रस्तुति के साथ अपने विशाल कैनवास पर अवतरित किया है, जिसमें परियों का काल्पनिक सुन्दर संसार है, तो कहीं नारी के साथ दुराचार की कोशिश करते हुए खल-पात्र है ।

उन्होंने नारी-पात्र को सुन्दर रूप में ही प्रस्तुत किया है, जो अपनी आत्मरक्षा की शक्ति भी रखती है, जिसमें इसाबेला, डायना, इमोजिन जैसी युवतियां हैं । पोरशिया जैसी युवती अपने पति के मित्र की रक्षा करके साहस व बुद्धिमत्ता का परिचय देती है । उनकी रोमांटिक कहानियों का कल्पनालोक ऐसा है, जो दर्शकों को दीवाना बनाने के साथ सूझ-बूझ खोने पर मजबूर कर देता है ।

हैमलेट के पात्रों के क्रियाकलाप कलात्मकता के साथ-साथ दार्शनिकता की ओर ले जाते हैं । हास्य के प्रसंगों में आलम्बन और उद्दीपन का भाव एवं शिल्प अपनी विशेषताओं के साथ उन्हें अद्वितीय नाटककार बना देता है । युद्ध की भयावहता, मारकाट, हिंसा-प्रतिहिंसा का ओजस्वी चित्रण उनके नाटकों की लोकप्रियता का कारण है ।

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परिस्थिति और परिवेश के अनुसार उन्होंने गद्य और पद्य दोनों का उपयोग करके अपनी प्रतिभा का परिचय दिया । उनके विदूषक या सनकी टाइप के पात्र कभी-कभी बड़ी काम की बातें कर जाते हैं । चाटुकार या विनोदी पात्रों की भाषा में मिठास अच्छी लगती है ।

उनके नाटकों में अकसर एक प्लाट के समानान्तर दूसरा प्लाट चलता है । जैसे ”किंग लीयर” का राजा अपनी बेवफा बेटियों से परेशान है । वैसे ही ”अर्ल ऑफ ग्लास्टर” अपने बेटों से । ट्रेजेडी का नायक बुराइयों से लड़ता है, तो दूसरी ओर अन्तःकरण के संघर्षों में फंसा रहता है ।

प्रेमानाख्यक नाटकों में कॉमेडी का प्रयोग करके उन्होंने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया । उनके नाटकों में धूप-छांव की तरह आनन्द और विषाद दोनों का ही स्वाद मिलता है । कुल मिलाकर अपनी रचनाओं के साथ उन्होंने जीवन का यथार्थ रूप प्रस्तुत करते हुए जीवन-दर्शन भी दिया है ।

3. उपसंहार:

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शेक्सपियर का व्यक्तित्व एक ईमानदार, भाबुक, कोमल, कल्पनाशील, सृजनात्मक, एकान्तप्रिय था । वीर तथा शृंगार रस पर उनके नाटक तथा कविताएं पाठकों को पूरी तन्मयता के साथ उसकी कथावस्तु में डुबो देते हैं । उनकी अभिव्यक्ति अत्यन्त कोमल व सहज थी । यद्यपि उसमें सजीवता और आलंकारिता थी ।

शेक्सपियर की हाजिर जवाबी के किस्से भी बहुत मशहूर हैं । वे हर इन्सान से प्रेम करते थे और सभी को सम्मान भी देते थे । उनके बारे में डॉ० जे० मैकेल ने सही कहा है- ”किसी कलाकार की जीवनी उसकी जीवनगाथा में नहीं, उसकी कला में ही जीवित रहती है ।” 23 अप्रैल 1616 में ऐसा विश्वविख्यात साहित्यकार चिरनिद्रा में सो गया।

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