टेलीफ़ोन पर निबंध | Essay on Telephone in Hindi!

टेलीफ़ोन एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा दूर स्थित वयक्तियों से संवाद किया जा सकता है । पहले लोगों से वार्ता के लिए उनके निकट जाना पड़ता था । आमने-सामने ही बातचीत संभव हो पाती थी । किसी को जरूरी संदेश भेजना हो तो हरकारों तथा घुड़सवारों को रवाना करना पड़ता था । इस प्रक्रिया में दूरी के हिसाब से घंटों, दिनों या सप्ताहों का समय लग जाता था । आधुनिक डाक प्रणाली स्थापित होने पर संदेश भेजने में लगने वाला समय कुछ घटा परंतु पूरी सहूलियत नहीं हो पाई । टेलीफोन के आविष्कार के बाद यह प्रक्रिया बहुत सरल हो गई ।

टेलीफोन का आविष्कार अलेक्ज़ेंडर ग्राहम बेल ने किया था । इसे हिन्दी में दूरभाष के नाम से भी जाना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है-दूर से होनेवाली बातचीत । इस पर किसी से बातचीत करने के लिए खास नंबर डायल करना पड़ता है जिससे दूसरी तरफ घंटी सुनाई देती है । घंटी से पता चलता है कोई बातचीत करना चाह रहा है । दूसरा व्यक्ति तब रिसीवर उठाकर वार्ता करने लगता है । वार्ता संक्षिप्त या लंबी की जा सकती है । जो व्यक्ति बातचीत करना चाहता है उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ती है । सुनने वाले का कुछ भी खर्च नहीं होता है ।

यदि बातचीत दूर के किसी स्थान, शहर या विदेश में रह रहे व्यक्ति से करनी हो तो संबंधित व्यक्ति का नंबर डायल करने से पहले एस.टी.डी या आई.एस.डी. कोड का नंबर भी डायल करना पड़ता है । आजकल टेलीफोन सेवा का इतना विस्तार हो चुका है कि देश के छोटे से छोटे गाँवों में रह रहे व्यक्ति से वार्ता की जा सकती है । पलक झपकते ही किसी अनजान देश में अपना संदेश पहुँचाया जा सकता है ।

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टेलीफोन पर बातचीत तार के माध्यम से होती है । मोबाइल फोन इसी का सुधरा हुआ रूप है । मोबाइल फोन पर बिना तार के वार्ता होती है । इसके माध्यम से बातचीत करना और भी आसान हो गया है । इसे व्यक्ति अपने साथ रख सकता है और अपनी सुविधा के अनुसार कहीं से भी बातचीत कर सकता है । इसीलिए बहुत से लोग मोबाइल फोन का ही अधिक प्रयोग करने लगे हैं । मोबाइल फोन को जेबी टेलीफोन कहा जा सकता है । सचमुच टेलीफोन और मोबाइल फोन एक बड़ा आविर्ष्कार था क्योंकि इसने संचार की दुनिया में क्रांति ला दी ।

टेलीफोन के माध्यम से संचार न केवल दुतगामी है अपितु सस्ता भी है । इसके द्वारा कोई खबर मिनट भर में ही दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुँच जाती है । सगे-संबंधी को कोई समाचार देना हो तो टेलीफोन हाजिर है । प्रधानमंत्री को किसी राष्ट्राध्यक्ष से वार्ता करनी हो तो कोई समस्या नहीं । अपने सहयोगी को कोई राजनीतिक संदेश देना हो तो देर किस बात की । अगरतला के व्यापारी मुंबई सर्राफा बाजार का हाल जानना चाहे तो बस नंबर डायल करने की देरी है ।

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विद्‌यालय से किसी छात्र न्नै । कोई खबर देनी हो तो टेलीफोन का प्रयोग कीजिए । अखबार के संपादक को संवाददाता कोई खबर बताना चाहता है तो टेलीफोन से संपर्क कर सकता है । मित्र को अपने जन्मदिन पर आमंत्रित करना हो तो अब निमंत्रण-पत्र छपवाकर भेजने की आवश्यकता नहीं । टेलीफोन की घंटी बजी और खबर पहुँची ।

टेलीफोन के आविष्कार के बाद से इसकी सेवाओं में निरंतर सुधार हुआ है । पहले यह सेवा बड़े शहरों तक सीमित थी । अब टेलीफोन के तार गाँवों-गाँवों तक पहुँच चुके हैं । गाँव का मुखिया अब बी.डी.ओ. से तुरंत संपर्क कर सकता है । टेलीफोन का उपयोग इंटरनेट सेवा में भी होता है ।

टेलीफोन के चलन के बाद से दुनिया छोटी नजर आने लगी है । अभी लंदन में हैं तो दूसरे पल न्यूयार्क पहुँच गए । वहाँ से निकले तो टोकियो पहुँचने में भी देर नहीं लगी । इस तरह संचार आम जनता की पहुँच में आ गया । अब वह भी बादशाह है, संदेश भेजना और प्राप्त करना उसके लिए हँसी-खेल है । धृतराष्ट्र को महाभारत युद्ध का हाल सुनाने वाला संजय था तो आज के मनुष्य के पास टेलीफोन और मोबाइल फोन है । जो छोटी-बड़ी सभी प्रकार की खबरों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक शीघ्र पहुँचा देता है ।

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