मेरी प्रिय पुस्तक  | Paragraph on My Favourite Book in Hindi!

छपाई कला के आविष्कार के बाद पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में क्रांति आ गई । प्रत्येक वर्ष हजारों पुस्तकों का प्रकाशन होने लगा । शैक्षणिक ऐतिहासिक धार्मिक वैज्ञानिक जैसे विविध विषयों में छपी अनगिनत पुस्तकों में से किसी एक प्रिय पुस्तक का चुनाव करना बहुत कठिन होता है ।

मेरे दादाजी पुस्तक प्रेमी व्यक्ति थे । उन्होंने घर में कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का संग्रह कर रखा था । एक दिन मेरी नजर इनमें से एक पुस्तक पंचतंत्र पर पड़ी । एक बार पढ़ना आरंभ किया तो पड़ता ही चला गया । इसकी प्रत्येक कहानी मुझे शिक्षाप्रद एव रोचक लगी ।

मुझे लगा यह कोई साधारण पुस्तक नहीं ज्ञान का खजाना है । मैंने इसे कई बार पढ़ा । यह मेरी सर्वाधिक प्रिय पुस्तक है ।  विष्णु शर्मा द्वारा रचित पुस्तक पंचतंत्र को भारतीय समाज और संस्कृति का दर्पण कहा जा सकता है । पूरी की पूरी शिक्षा कहानियों के माध्यम से दी गई है ।

कहानियाँ अनेक हैं परतु इन कहानियों को मित्रों के संवाद के रूप में वर्णित किया गया है । इनका आपस में जुड़ाव अनूठा है । पंचतंत्र की कहानियों के अधिकांश पात्र घरेलू तथा वन्य जीव-जंतु हैं । बैल ऊँट सियार शेर हाथी गदहा कबूतर चूहा साँप मगरमच्छ बंदर कौवा आदि पशु-पक्षियों को पात्र बनाकर रची गइ प्रत्येक कहानी में जीवन की वास्तविकता छिपी हुई है ।

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सच्चा मित्र कौन है इसकी क्या पहचान है धूर्त लोगों की क्या पहचान होती है बुद्धि के प्रयोग से किस प्रकार कठिन से कठिन कार्य को सरल बनाया जा सकता है, इत्यादि तथ्यों का पुस्तक में खुलासा किया गया है । लोभी मनुष्यों की कैसी दुर्गति होती है, बुजुर्गों का उचित परामर्श न मानकर लोग किस प्रकार के संकट में फँसते हैं, जिन लोगों को छोटा समझ कर अपमानित किया जाता है, वे समय पाकर भकर प्रतिशोध लेते हैं ऐसी अनेक शिक्षाएँ पंचतंत्र की कहानियों का आधार हैं ।

चूँकि शिक्षा कहानियों के माध्यम से दी गई है, अत: यह कहीं से भी बोझिल प्रतीत नहीं होती है । मैं जब भी किसी दुविधा या मुश्किल में होता हूँ झट मुझे पचतत्र की याद आती है । इसकी किसी न किसी कहानी में मेरी समस्या का समाधान छिपा होता है । मैं समझता हूँ यह पुस्तक मेरी भांति अन्य व्यक्तियों की शंका का निवारण करने में पूरी तरह सक्षम है ।

मन के विभिन्न भावों का प्रस्तुतिकरण पुस्तक में बड़े ही सहज ढंग से किया गया है । सचमुच विष्णु शर्मा एक महान साहित्यकार ही नहीं अपितु महान मनोवैज्ञानिक भी थे । यही कारण है कि संस्कृत भाषा में लिखी गई पुस्तक पंचतंत्र का अनुवाद विश्व की लगभग सभी भाषाओं में हो चुका है ।

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पूरे संसार में पंचतंत्र की कहानियाँ बड़े चाव से पड़ी जाती हैं । बच्चों की पाठ्‌य पुस्तकों में भी पंचतंत्र की कहानियों को शामिल किया गया है । वर्तमान समय में हालाकिं ज्ञान-विज्ञान का काफी विस्तार हो गया है, फिर भी लोगों की समस्याएँ ज्यों की त्यों बनी हुई हैं । बहुत से मनुष्य इन समस्याओं से घबरा जाते हैं । इन स्थितियों में पंचतंत्र की कहानियाँ उनकी सहायता कर सकती हैं ।

उनके हृदय में आशा का संचार हो सकता है । पुस्तक पढ़कर ढोंगी, पाखंडी, दुश्चरित्र, निर्दयी तथा कृतप्न मनुष्यों की पहचान करने में तथा इनसे अपना बचाव करने में मदद मिल सकती है । दूसरी ओर पुस्तक के माध्यम से सीधे-सादे, निष्कपट, मधुरभाषी, सच्चरित्र और कृतज्ञ मनुष्यों के गुणों को धारण करने में भी मदद मिलती है । उपरोक्त गुणों के आधार पर ही यह मेरी सबसे प्रिय पुस्तक है ।

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