Here is a compilation of Essays on ‘Cricket ’ for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Cricket ’ (Indian Cricket) especially written for School and College Students in Hindi Language.

List of Essays on Indian Cricket and Cricketers


Essay Contents:

  1. भारत और क्रिकेट | Essay on India and Cricket in Hindi Language
  2. सुनील गावस्कर । Essay on Sunil Gavaskar  for School Students in Hindi Language (Indian Cricketer)
  3. कपिल देव । Paragraph on Kapil Dev  for School Students in Hindi Language (Indian Cricketer)
  4. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर । Essay on Sachin Tendulkar for College Students in Hindi Language (Indian Cricketer)
  5. अनिल कुम्बले । Essay on Anil Kumble for College Students in Hindi Language (Indian Cricketer)

1.  भारत और क्रिकेट | Essay on India and Cricket in Hindi Language

आज क्रिकेट भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय खेल है । क्रिकेट खेलने और देखने वालों की संख्या यहाँ सबसे अधिक है । यद्यपि क्रिकेट भारत का अपना खेल नहीं है । वास्तव में क्रिकेट इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया आदि देशों की देन है । पहले भारत में हाँकी, बालीबाल, फुटबॉल अधिक लोकप्रिय थे ।

परन्तु धीरे-धीर यहाँ क्रिकेट सभी खेलों को पछाड़ते हुए लोप्रियता के शिखर पर पहुँच गया । क्रिकेट के प्रति लोगों में एक प्रकार का जुनून सा है । अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जब भी भारतीय क्रिकेट टीम का किसी अन्य टीम से मुकाबला होता है, तो यहाँ लोगों का जुनून देखने लायक होता है ।

हॉकी, फुटबॉल आदि खेलों की तुलना में क्रिकेट को मिलने वाली अधिक लोकप्रियता के कारण खोजना तो सम्भव नहीं है । परन्तु यह सत्य है कि क्रिकेट का जादू भारतवासियों के सिर चढकर बोलता है ।

यहाँ 4-5 वर्ष के बच्चे से लेकर 70-80 वर्ष के वृद्ध तक क्रिकेट के दीवाने हैं ।

भारत के गांव हों या शहर, गली मुहल्लों में, खुले मैदानों में, प्रत्येक स्थान पर क्रिकेट का खेल देखा जा सकता है । बच्चों के खिलौनों में क्रिकेट बैट का विशेष स्थान बन गया है । छोटे बच्चों के हाथों में लकड़ी का न सही, प्लास्टिक का क्रिकेट बैट अवश्य देखा जा सकता है ।

स्पष्टत: क्रिकेट को भारत में भरपूर प्रेम मिला है । लेकिन क्रिकेट ने भी भारत को अनेक अवसरों पर सम्मान दिलाया है । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त यह खेल भारत के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, इग्लैंड, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, बंगला देश, जिम्बाब्बे, केन्या, हॉलैण्ड आदि देशों की टीम खेलती हैं और इनसे मुकाबले में भारत ने अनेकों बार विजय प्राप्त की है ।

ADVERTISEMENTS:

क्रिकेट इन सभी देशों का प्रमुख खेल है । परन्तु चीन सहित अन्य साम्यवादी देश, जापान, अमरीका आदि देशों में क्रिकेट को पसन्द नहीं किया जाता । मुस्तिम देशों में भी केवल पाकिस्तान और बंगला देश के लोग ही क्रिकेट में रुचि रखते हैं । स्पष्टत: क्रिकेट विश्व के सभी देशों का प्रिय खेल नहीं है । परन्तु जहाँ भी यह खेला जाता है, वहाँ इसके दीवानों की कमी नहीं है ।

विशेषत: भारत में युवा पीढ़ी सिने कलाकार और क्रिकेट खिलाड़ी, इन दोनों से सर्वाधिक प्रभावित है । आज का नौजवान या तो फिल्म का हीरो बनने के सपने देखता है या क्रिकेट का खिलाड़ी । सिने कलाकारों को तो पहले से ही लोगों का प्रेम प्राप्त था । अत: बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ भी अपने उत्पादन के प्रचार के लिए सिने कलाकारों का वर्षो से इस्तेमाल कर रही थीं ।

लेकिन आज क्रिकेट खिलाड़ियों की बढ़ती लोकप्रियता के कारण उनका भी कम्पनियों के उत्पादनों के प्रचार में भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है । आज किसी संस्था के द्वारा चंदे के रूप में धन एकत्र करने के लिए भी क्रिकेट खिलाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है ।

जिस प्रकार सिनेमा ने कलाकारों को पृथ्वी के सितारे बनाया, उसी प्रकार क्रिकेट ने खिलाड़ियों को पृथ्वी के सितारे बना दिया है । यही कारण है कि आज की युवा पीढ़ी सिने कलाकार बनना अधिक पसन्द करती है या क्रिकेट खिलाड़ी ।भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता के चलते छोटे-बड़े क्रिकेट क्लब भी बन रहे हैं ।

राष्ट्रीय स्तर पर यहाँ रणजी ट्राफी, दिलीप ट्राफी, विल्स ट्राफी आदि के जरिये राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय टीमों के लिए खिलाड़ियों का चयन किया जाता है । स्कूल-कॉलेज स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले प्रतिभावान खिलाड़ियों को ही राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का अवसर प्राप्त होता है ।

चमकने वाले सितारे कम ही होते हैं । क्रिकेट सितारा बनने के सपने देखने वाले सभी नौजवानों की चाहत पूरी नहीं होती । परन्तु क्रिकेट का जुनून भारत के बच्चे-बच्चे पर है, इसमें संदेह नहीं है ।


2. सुनील गावस्कर । Essay on Sunil Gavaskar  for Kids in Hindi Language (Indian Cricketer)

1. प्रस्तावना ।

2. जीवन परिचय एवं उपलब्धियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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”लिटिल मास्टर” और ‘रन मशीन’ के नाम से माने जाने वाले सुनील मनोहर गावस्कर क्रिकेट इतिहास में सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाज के रूप में सम्मानित हैं । बडे-से-बडे गेंदबाजों का सामना करते समय ये हेलमेट भी नहीं पहनते थे ।

टेस्ट क्रिकेट की दुनिया में शतकीय पारी लगाने वाले गावरकर ने सर डॉन ब्रैडमैन के 29 शतक के रिकार्ड को न केवल तोड़ा, बल्कि 10 हजार रन भी पूरे किये और 55 अर्द्धशतक भी लगाये । इन्होंने 46 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की । गावस्कर पर पूरे देश को ही नहीं, सारे विश्व को गर्व है ।

2. जीवन परिचय एवं उपलब्धियां:

सुनील मनोहर गावस्कर का जन्म 10 जुलाई, 1949 को मुम्बई में हुआ था । क्रिकेट के प्रति इनके मन में ऐसी रुचि जागी कि विश्वविद्यालयीन टीम से खेलने के बाद इन्होंने भारतीय टीम में जगह मिलने पर अपने नाम इतने रिकार्ड बनाये, जितने शायद ही किसी क्रिकेट खिलाड़ी ने बनाये हों ।

इन्होंने 125 टेरट मैचों में 10 हजार 122 रन बनाने का कीर्तिमान बनाया । सबसे अधिक 34 शतक इन्होंने लगाये । एक कैलेण्डर वर्ष में 1 हजार रन बनाने का श्रेय इन्हें ही हासिल है । अपनी पहली टेस्ट वृंखला में इन्होंने 774 रन बनाये ।

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वेस्टइण्डीज के विरुद्ध सर्वाधिक रन बनाकर 58 शतकीय पारियां खेलीं । एक टेस्ट की दोनों पारियों में सर्वाधिक रन 5 बार बना चुके हैं । इन्होंने 125 अधिकतम टेस्ट खेलते हुए 214 पारियां खेलीं । टेस्ट क्रिकेट में 50 से अधिक रन 79 बार बनाये । ये 2 बार शून्य पर आउट हुए । गावरकर का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण रिकार्ड को मद्रास गे रहा, जब इन्होंने वेस्टइण्डीज के खिलाफ 30 शतक लगाकर ‘सर डॉन ब्रैडमैन’ के रिकार्ड को

तोड़ा ।

इन्होंने 100 कैच भी लिये । 1971 में वेस्टइण्डीज और इंग्लैण्ड को पराजित कर इन्होंने 40 वर्षो के बाद बाहर जीतने का रिकार्ड बनाया । गावरकर ने स्पिन गेंदबाजी भी की । ये बड़े संयमी और सतर्क बल्लेबाज रहे हैं । जब ये रन के लिए भागते थे, तो इनकी नजर गेंद पर ती टिकी रहती थी ।

3. उपसंहार:

सुनील गावस्कर ने अपनी एकाग्रता के बल पर बिखरती हुई पारी को अनुशासित ढंग से संभाला । वर्तमान समय में इन्होंने खेल और खिलाड़ी की गतिविधियों पर बारीक नजर रखते हुए इनके लिए कलम लिखना भी शुरू किया है । ये विशेषज्ञ कमेन्द्रेटर के रूप गे अपनी सेवाएं दे रहे हैं । क्रिकेट जगत् की भावी पीढ़ी को इनका जीवन हमेशा प्रेरणा देता रहेगा ।


3.  कपिल देव । Paragraph on Kapil Dev for School Students in Hindi Language (Indian Cricketer)

1. प्रस्तावना ।

ADVERTISEMENTS:

2. प्रारम्भिक उपलब्दियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

विश्व के सर्वश्रेष्ठ  ऑल राउण्डरों में से एक तूफानी गेंदबाजी के मशहूर, फारट रन बनाने वाले, हरफनमौला खिलाड़ी एवं विश्व कप में भारत को जीत दिलाने वारने एकमात्र खिलाड़ी कप्तान कपिल देव ने भारत को ही नहीं, अपितु विश्व को भी गौरान्वित किया है ।

2. प्रारम्भिक उपलब्धियां:

ADVERTISEMENTS:

कपिल देव का जन्म 6 जनवरी, 1959 को चण्डीगढ में हुआ था । बचपन से ही कपिल की क्रिकेट में इस कदर दिलचस्पी थी कि ये हाथ से बनाई हुई बैट या लकड़ी के पट्टे से खेला करते थे । 6 फुट के इस नौजवान ने 1971 में हरियाणा स्कूल से पजाब के विरुद्ध खेलते हुए शानदार खेल का प्रदर्शन किया ।

1975-76 में इन्होंने रणजी ट्रॉफी मैचों में हिस्सा लिया और इसके बाद 1978 में पाकिस्तान के दौरे पर जाने वाले भारतीय टीम में इन्हें शामिल कर लिया गया । वेस्टइण्डीज के विरुद्ध दिल्ली में खेले जाने वाले पांचवें टेस्ट में कपिल देव ने जीवन का पहला शतक बनाया ।

भारतीय खिलाड़ियों में सबसे कम अवस्था में शतक बनाने वाले खिलाडियों में ये भी एक हैं । कपिल देव एक तेज गेंदबाज होने के साथ-साथ तेज बल्लेबाज भी हैं । कम गेंदों में अधिक रन बनाना इनकी विशेषता रही है । इन्होंने अपने टेस्ट जीवन में 5 हजार से अधिक रन तथा 432 विकेट लिये हैं ।

सर रिचर्ड हेडली के सर्वाधिक विकटों का रिकॉर्ड इन्होंने ही तोड़ा था । 20 वर्ष की अवस्था में 27 जनवरी, 1979 को इन्होंने दिल्ली में वेस्टइण्डीज के विरुद्ध सर्वाधिक 126 नाबाद रन बनाये । इसी वर्ष सर्वाधिक विकेट इन्होंने लिये । 17 टेस्ट में 74 विकेट लिये । 25 मैचों में 100 विकेट तथा 1000 रन भी बनाये । 1983 का वर्ल्ड कप जीतकर कपिल देव ने सनसनी फैला दी ।

23 फरवरी, 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व करते हुए इन्होंने जिम्बावे के विरुद्ध एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मैच में 16 चौकों और 6 छक्कों की मदद से नाबाद 175 रन बनाये, वह भी 17 रन पर 5 विकटों के गिरने पर ।  25 जून, 1983 को तीसरे विश्व कप में विश्व विजेता वेस्टइण्डईस्ज को 43 रन से हराकर भारत को विश्व विजेता होने का सर्वप्रथम गौरव दिलाया ।

16 नवम्बर, 1983 में इन्होंने अपने जीवन की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी कर 83 रन देकर 9 विकेट झटके । 1988 में कानपुर के ग्रीन पार्क में श्रीलंका के विरुद्ध 165 गेंदों में 163 रन बनाये, जिसमें 19 चौके व 1 छक्का शामिल

था । इतना ही नहीं, मात्र 74 गेंदों में शतक भी लगाया । 1990 की 3 टेस्टों की भूखला के पहले टेस्ट इंग्लैण्ड के विरुद्ध 6 छक्के मारकर विश्व कीर्तिमान बनाया । इन्होंने 131 टेस्ट में 5248 रन 31.05 की औसत से बनाये व 8 शतक तथा 432 विकेट 29.64 की औसत से लेकर 64 कैच भी लिये ।

3. उपसंहार:

इस ”हरफनमौला’ महान खिलाड़ी को सन् 2002 में शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर का सम्मान मिला । इनके बेहतरीन खेल के लिए 1979 का अर्जुन पुरस्वगर, 1982 में पदमश्री तथा 1991 में पद्‌मप[षण ने नवाजा गया ।

कपिल देव ने 2 नवम्बर, 1994 को अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया, किन्तु ये भारतीय टीम के प्रशिक्षक भी रहे । क्रिकेट के अलावा इनकी गोल्फ और फुटबाल खेलने में भी रुचि रही है । निःसन्देह विश्व के सर्वश्रेष्ठ आलराउण्डर हैं । भारत को विश्व कप विजेता बनाने का चमत्कार कपिल देव ही कर सकते हैं ।


4. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर । Essay on Sachin Tendulkar for College Students in Hindi Language (Indian Cricketer)

भारतीय क्रिकेट की शान व विश्व के नंबर एक बल्लेबाज का रुतबा रखने वाले मास्टर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने बहुत ही कम समय व उम्र में क्रिकेट में ऐसे रिकार्ड बना डाले हैं जिन्हें तोड़ना इतना आसान नहीं । रन बनाने व नये कीर्तिमान बनाने की उनकी भूख अभी भी नहीं मिटी है । क्रिकेट इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर वे अपना नाम दर्ज करा चुके हैं ।

1989 में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में सचिन का कदम रखना तमाम भारतीयों के मस्तिष्क में आज भी कैद है । बीते वक्त में हमेशा भारतीयों की उम्मीदों की पतवार सचिन का बल्ला ही बना है । यही वजह है कि आज भी सचिन की बल्लेबाजी में वही ताजगी नजर आती है । अपने एक साक्षात्कार में सचिन ने कहा था कि- मैं आगे खेलना और सिर्फ खेलना चाहता हूं । मैं अब तक जो चाहता रहा वह मुझे मिलता रहा ।

क्रिकेट के बिना मैं जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता । भारतीय क्रिकेट की शमां रोशन करने वाले तेंदुलकर महज एक बेमिसाल क्रिकेटर ही नहीं बल्कि देश के क्रिकेट प्रेमियों के होंठों की मुस्कान भी हैं । उनका बल्ला चलने पर देश में दीवाली सी मनायी जाने लगती है और नहीं चलने पर शमशान-सी मुर्दनी छा जाती है ।

परंपरागत प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ 1989 में पहला मैच खेलने वाले सोलह बरस के सचिन ने महान लेग स्पिनर अब्दुल कादिर की जमकर धुलाई करते हुए एक ही ओवर में चार चौक्के लगाते हुए 27 रन बनाकर सनसनी फैला दी थी । विश्व कप 2003 में पाकिस्तान के रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से पहचाने जाने वाले शोएब अख्तर के पहले ही ओवर में 18 रन बनाये थे ।

अपने ही रिकार्ड तोड़ने और नये रिकार्ड बनाने की कहानी तो वह कई सालों से लिखते आ रहे हैं । कई बार भारत की जीत और हार के बीच खड़े होने वाले तेंदुलकर ने जिस कौशल से दबावों का सामना किया है उसने उन्हें कुंदन बना दिया । उन्होंने साबित कर दिखाया कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी प्रतिभा के फूल खिलते रहते हैं ।

सचिन का बनाया रिकार्ड ही उनकी प्रतिभा की गवाही देने के लिए काफी है । टेस्ट क्रिकेट में 105 मैच खेलकर 57-58 की औसत से 8811 रन बनाने वाले तेंदुलकर ने 31 शतक अपने नाम किये हैं । टेस्ट क्रिकेट में शतक के मामले में वह सिर्फ लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर से पीछे हैं । सुनील गावस्कर ने टेस्ट मैचों में 34 शतक लगाये थे ।

एक दिवसीय क्रिकेट में सचिन ने 314 मैचों में 44-45 की औसत से 12,219 रन बनाए हैं । इसमें 34 शतक शामिल है । शतकों के मामले में दूसरा नंबर भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली का है । उन्होंने अब तक 22 शतक बनाये हैं । रनों का पहाड़ बना चुके सचिन तेंदुलकर जब क्रिकेट को अलविदा कहेंगे तो न जाने वे तब तक कितने रिकार्ड बना चुके होंगे ।

इसमें से कई ऐसे होंगे जिन्हें तोड़ना कोई आसान काम नहीं होगा । आज विश्व के सबसे लोकप्रिय क्रिकेटर बन चुके सचिन तेंदुलकर निहायती पारिवारिक इंसान हैं । अपना खाली समय वे पत्नी व बच्ची के साथ बिताना पसंद करते हैं । युवाओं का आदर्श बने सचिन का कैरियर बेदाग व विवादों से परे है ।

जन्म दिन किसी के लिए भी एक खास महत्व रखता है । यदि यह अवसर हर दिल अजीज सचिन तेंदुलकर जैसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हस्ती का हो तो मौका और भी खास हो जाता है । विश्व पसंदीदा क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने अपना 30वां जन्म दिन 23 अप्रैल 2003 को जयपुर में मनाया । सचिन को 26 अप्रैल को अमरीका अपने दाहिने हाथ की उंगली का ऑपरेशन कराने के लिए जाना था ।

इसलिए इस बार उन्होंने जन्म दिन की पार्टी एक दिन पहले ही दे दी । उन्होंने अपना जन्म दिन इस बार बड़ी सादगी व मीडिया से दूर रह कर परिवार के सदस्यों के बीच मनाया । विश्व भर से उन्हें इस अवसर पर बधाई संदेश प्राप्त हुए । उनके हर प्रशंसक ने इस अवसर पर जहां उनकी लंबी उम्र की कामना की वहीं हमेशा की तरह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को नये आयाम देने की बात भी कही ।

विश्वभर के तमाम बल्लेबाजों ने अपने जीवन के तीन दशक पूरे करने के बाद सफलता का स्वाद चखा लेकिन सचिन ने काफी कम उम्र में ही वो मुकाम हासिल कर लिया है जिसे छू पाना आने वाले समय में कोई आसान काम नहीं होगा ।

सचिन ने 1989 में महज सोलह वर्ष की आयु में पाकिस्तान दौरे के साथ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा था । क्रिकेट मैदान में कदम रखते ही उन्होंने अपने देश को अपनी काबलियत का भरोसा दिला दिया

था । क्रिकेट जगत में सचिन तेंदुलकर एक जीती जागती मिसाल बन गये हैं ।

किसी भी मैच में हार जीत की उम्मीद सचिन के खेल पर ही निर्भर करती है । मैदान में गेंदबाजों की धुलाई करते देख एक अजीब सा उत्साह हर किसी के मन में भर उठता है । सचिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अब तक 21 हजार से अधिक रन बना चुके हैं ।

सचिन के प्रशिक्षक रमाकांत अचरेकर ने सचिन के 30वें जन्म दिवस के अवसर पर बताया कि मैदान में आक्रामक व गंभीर दिखने वाला सचिन बचपन में शरारती था । वह अक्सर शरारत करता था और मैच के लिए कभी समय पर नहीं आता था ।

एक दिन देर से आने की वजह से उसे मैच में शामिल नहीं किया गया । उसके बाद से यह समय पर आने लगा । उन्होंने बताया कि जब सचिन उसके संपर्क में आया तो बच्चा था । पश्चिमी उपनगर बांद्रा में साहित्य निवास कालोनी में दोस्तों के साथ खेलते समय एक बार सचिन पेड़ से गिर गया था ।

उसके बाद से सचिन के पिता और बड़े भाई अजित ने फैसला किया कि सचिन को शिवाजी पार्क में खिलाया जाए । इस तरह सचिन को श्री अचरेकर के पास लाया गया । बांद्रा से शिवाजी पार्क (दादर) दूर पड़ता था । इसलिए सचिन दादर में अपने एक रिश्तेदार के यहां रहने लगे ।

सचिन के तीसवें जन्म दिवस पर फिल्म अभिनेता व महानायक अमिताभ बच्चन ने सचिन को जन्म दिन की बधाई देते हुए कहा हम उम्मीद करते हैं कि आपके जीवन के आने वाले सत्तर वर्ष और भी ज्यादा चमत्कारी होंगे ।

आप अपने खेल प्रदर्शन से यूंही हमेशा देशवासियों के दिलों पर राज करते रहोगे । स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने सचिन के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि मैं सचिन को धरती पर भेजा गया ईश्वर का चमत्कार मानती हूं । सचिन भी एक अभिनवकृत्ति है और एक चमत्कार है और मैं उसको नमस्कार करती हूं ।

रिकार्ड दर रिकार्ड कायम करके क्रिकेट जगत की जीवित किंवदन्ति बन चुके सचिन तेंदुलकर को खेल में वही मुकाम हासिल है जो संगीत में लता मंगेशकर को और अदाकारी में अमिताभ बच्चन को प्राप्त है । मजे की बात यह है कि तीनों-लता मंगेशकर, अमिताभ बच्चन और सचिन तेन्दुलकर एक दूसरे के जबरदस्त फैन है ।

लता मंगेशकर व अमिताभ बच्चन की बधाई स्वीकारते हुए तेन्दुलकर ने कहा कि मेरे पास कहने के लिए शब्द नहीं हैं मैं क्या कहूँ । सचिन ने कहा: कि मुझे जब तेज खेलना होता है तो मैं लता मंगेशकर जी का तेज गीत गुनगनाने लगता हूँ और धीमे खेलने के लिए कोई दर्द भरा नग्मा याद कर लेता हूं । इस पर लता ने कहा कि मुझे रियाज के समय जब कोई लम्बी तान छेड़नी होती है तो मैं सचिन का छक्का याद कर लेती हूं ।

अमिताभ के शो कौन बनेगा करोड़पति के दौरान सचिन ने फिल्मों और अमिताभ की अदाकारी के प्रति अपनी दीवानगी का इजहार करते हुए कहा: कि मैंने अमिताभ बच्चन की फिल्म अमर अकबर एन्थेनी करीब दस बार देखी । आज भी जब कभी मौका मिलता है तो मैं उस फिल्म को देखना पसंद करता हूँ ।


5. अनिल कुम्बले । Essay on Anil Kumble in Hindi Language (Indian Cricketer)

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1. प्रस्तावना ।

2. प्रारम्भिक जीवन एवं उपलब्धियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

भारत में क्रिकेट का खेल दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता के शिखर छूता जा रहा है । बच्चे, बूढ़े, जवान, स्त्री हो या पुरुष या फिर किसी भी वर्ग का व्यक्ति हो, सभी पर क्रिकेट का बुखार छाया रहता है । कारण यह है कि यहां गावस्कर, कपिल देव, तेंदुलकर और वर्तमान में खेल रहे महेन्द्रसिंह धोनी, इरफान पठान और अनिल कुम्बले जैसे खिलाडियों ने इसके रोमांच को और अधिक बढा दिया है । विश्व कप विजेता होने के बाद तो हर गली, मुहल्ले में क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी मिल जायेंगे ।

भारत में फारट बॉलर के साथ-साथ स्पिन गेंदबाजी को विशेष महत्त्व मिला है । इन स्पिन गेंदबाजों में बिशनसिंह बेदी, चन्द्रशेखर, मनिन्दर सिंह के याद उाब तो अनिल कुम्बले सर्वश्रेष्ठ स्पिनर माने जाते है ।

500 से भी अधिक विकेट लेने का कीर्तिमान बनाने वाले ये प्रथम भारतीय होने का गौरव हासिल कर चुके हैं ।

2. प्रारम्भिक जीवन एवं उपलब्धियां:

अनिल कुम्बले का जन्म 1970 में कर्नाटक के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था । इन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद क्रिकेट को अपनाया । ये एक ऐसे स्पिनर है, जो विश्व के श्रेष्ठ-से-श्रेष्ठ बल्लेबाजों को चक्कर में डाल देते हैं । इनकी बॉल विकेट की ओर जाती हुई किस दिशा में कटेगी, बल्लेबाज जान नहीं पाते ।

ये 105 मैचों में 501 विकेट ले चुके हैं, जिसगें 75 क्लीन बोल्ड, 75 कैच उतऊट, 240 कीपर कैच, 23 रूम, 122 कैच एण्ड बोल्ड रहे हैं । इन्होंने जिम्बाबे के खिलाफ 100 वां व 200वां, इंग्लैण्ड के खिलाफ 300वां, 400वां व 500वां विकेट लिया है ।

अभी तक दुनिया के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी शेन वार्न कहलाते हैं । इसके बाद मुरलीधरन, मैक्ग्राथ, कर्टनी वाला का क्रम आता है । अनिल कुम्बले ऐसे खिलाडी हैं, जो बॉलिंग के साथ-साथ अवश्यकता पड़ने पर अच्छी बल्लेबाजी भी कर लेते हैं ।

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लेग स्पिनर अनिल कुम्बले ने द॰ अफ्रीका के खिलाफ दूसरे अन्तिम टेस्ट में इडन गार्डन में 434 विकेट लैकर कपिल देव के रिकॉर्ड को तोड़ा था । इस कीर्तिमान की बराबरी करने के वाद ये भारत के सर्वाधिक विकेट प्राप्त करने वाले खिलाड़ी बन चुके है ।

कुम्बले इंग्लैण्ड के जिम लेकर के बाद दुनिया के ऐसे दूसरे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने टेस्ट मैच की एक पारी में सभी 10 विकेट हासिल किये । इन्होंने 1999 में नयी दिल्ली में पाकिरतान के खिलाफ खेलते हुए मात्र 74 रन देकर 10 विकेट डाटके थे ।

यह इनके कैरियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा । 19 वर्ष की अवस्था में इन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदापर्ण किया था और अगस्त 1990 में इंग्लैण्ड के खिलाफ पहला टेस्ट खेला था । इस माइल स्टोन तक पहुंचने के लिए इन्होंने 14 साल का सफर तय किया । हालांकि कुम्बले ने कपिल देव से कम मैच खेले हैं, अत: इनका विकेट लेने का स्ट्राइक रेट पूर्व ऑलराउण्डर से अधिक है ।

कुम्बले ने 28 बार 5 से अधिक विकेट तथा 6 बार 10 से ज्यादा विकेट लिये हैं । कपिल देव ने 23 बार 5 या उससे ज्यादा विकेट लिये हैं, जबकि 10 बार में इन्होंने 10 से ज्यादा विकेट लिये हैं । कपिल देव का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 83 रन पर 9 विकेट है ।

3. उपसंहार:

अनिल कुम्बले भारतीय क्रिकेटरों में एक बॉलर के रूप में सर्वाधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी बन गये हैं । 600 से भी अधिक विकेट लेकर इन्होंने सर्वश्रेष्ठ भारतीय बॉलर होने का गौरव प्राप्त किया है । ये भारत के सर्वश्रेष्ठ लेग स्पिनर हैं, साथ ही ये अच्छे रन भी बना लेते हैं ।


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