Hindi Story on the Crow and the Pitcher!

कौआ और घड़ा |

एक बार बड़ी ही भयानक गरमी पड़ रही थी । एक कौआ कई घंटे से आकाश में उड़ रहा था । तेज गरमी और लगातार उड़ते रहने से उसे बहुत तेज प्यास लगने लगी । प्यास बुझाने के लिए वह कुछ नीचे उतरा और इधर-उधर पानी की तलाश करने लगा ।

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परंतु आस-पास कहीं भी उसे पानी दिखाई नहीं दिया । ‘ओह ! अगर मुझे जल्दी ही पानी नहीं मिला तो मेरी तो जान ही निकल जाएगी ।’  कौए ने सोचा । तभी अचानक कौए को दूर एक पानी का घड़ा नजर आया । वह तुरंत उड़ता हुआ वहां पहुंचा और घड़े में झांकने लगा ।

घड़े में पानी तो था, मगर वह घड़े में इतना नीचे था कि कौआ वहां तक अपनी चोंच डालकर पानी नहीं पी सकता था । कौआ परेशान होकर सोचने लगा : ‘अब क्या करूं ? कैसे अपनी चोंच पानी तक पहुंचाऊं ?’ तभी उसकी बुद्धि में एक तरकीब आई ।

घड़े के पास ही कुछ कंकड़-पत्थर पड़े थे । कौआ अपनी चोंच में कंकड़ लेकर घड़े के पास पहुंचा और कंकड़ घड़े में डाल दिया । उसने कई कंकड़ घड़े में डाले । वह यह देखकर प्रसन्न हो गया कि घड़े में पानी का स्तर धीरे-धीरे ऊंचा उठने लगा । कौए को आशा बंधी कि अब वह पानी पी सकेगा ।

अपनी इस तरकीब की सफलता से खुश होकर वह दुगने उत्साह से घड़े में कंकड़ डालने में जुट गया । अंत में उसकी कड़ी मेहनत रंग लाई । पानी र ऊपर उठकर घड़े के मुंहतक पहुंच गया ।अब कौआ बहुत आसानी से पानी पी सकता था । कौए ने छक कर पानी पिया और संतुष्ट होकर दोबारा आकाश में उड़ गया ।

निष्कर्ष : यदि व्यक्ति ठान ले तो क्या नहीं कर सकतीं ।

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