भारत-अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला पर निबंध | Essay on International Trade Fair in India in Hindi!

विभिन्न स्थानों पर समय-समय पर अनेक मेलों अथवा प्रदर्शनियों का आयोजन सरकार अथवा अन्य व्यापारिक संस्थानों द्‌वारा किया जाता है । देश की राजधानी में प्रतिवर्ष प्रगति मैदान में नवंबर माह में आयोजित व्यापार मेला अत्यंत महत्वपूर्ण होता जा रहा है ।

यह देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी प्रसिद्‌धि पा रहा है जिसके कारण देश-विदेश के कोने-कोने में लोग इस आयोजन में सम्मिलित होते हैं । विश्व की लगभग सभी प्रमुख कंपनियाँ अपने उत्पाद को बाजार में उतारने के लिए इस अवसर की हर वर्ष प्रतीक्षा करती हैं ।

यह व्यापार मेला प्राय: नवंबर की चौदह तारीख से प्रारंभ होकर सत्ताईस तारीख को समाप्त होता है । यह व्यापार मेला देश के गौरव का प्रतीक बन गया है । मेला प्रारंभ होने के एक सप्ताह पूर्व से ही कंपनियाँ अपनी तैयारी प्रारंभ कर देती हैं । प्रतिदिन लाखों की संख्या में दर्शकों व ग्राहकों के एक साथ आने की संभावना सदैव बनी रहती है ।

इस बार मुझे भी इस व्यापार मेले को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । मुझे मेरे एक मित्र द्‌वारा पास मिल गए थे जिससे मुझे टिकट लेने की आवश्यकता न थी । जब मैं अपने मित्र के साथ गेट पर पहुँचा तो वहाँ की भीड़ को देखकर आश्चर्यचकित रह गया। लोग लंबी-लंबी कतारों में टिकट लेकर अंदर की ओर जा रहे थे । मैं भी अपने मित्र के साथ अंदर गया ।

प्रगति मैदान में अंदर प्रवेश करने पर सुरक्षाकर्मियों द्‌वारा हमारे सामान आदि की जाँच के बाद ही अनुमति दी गई । अंदर सभी ओर चहल-पहल दिखाई पड़ रही थी । सभी लोग उत्साह एवं उत्सुकता से भरे हुए थे । बच्चे तथा युवाओं में मेले का उत्साह देखते ही बनता था ।

मेले में देश के सभी प्रदेशों की प्रगति की झाकियाँ देखने को मिलीं । अलग-अलग हॉल में सभी प्रदेशों की कला-संस्कृति व विकास की झाकियाँ एक साथ देखकर मैं हर्षोल्लासित हो उठा । इन सभी में मुझे पंजाब प्रदेश की झाँकी सबसे उत्तम लगी । प्रादेशिक झाँकियों के अतिरिक्त सेना, तकनीक व संचार के क्षेत्र में देश की प्रगति के नमूने बड़े ही आकर्षक ढंग से दर्शाए गए थे । निस्संदेह देश के विकास की सजीव झाँकियों को देखने का इससे उत्तम अवसर दूसरा नहीं हो सकता ।

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इसके अतिरिक्त सभी प्रमुख कंपनियों के स्टाल हमने देखे जिनमें उन्होंने अपने उत्पाद प्रदर्शन तथा बिक्री हेतु रखे हुए थे । लगभग सभी स्टाल भीड़ से खचाखच भरे हुए थे। कुछ लोग नए उत्पादों को प्रशंसनीय ढंग से देखते, उनका अवलोकन करते तथा कुछ उसी समय खरीद-फरोख्त भी कर रहे थे ।

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रीबॉक, नाइक, मोटोरोला, फिलिप्स, नोकिया तथा अन्य विदेशी कंपनियों के अतिरिक्त हमने देश की प्रमुख कंपनियों एवं स्वदेश में निर्मित वस्तुओं को देखा । इस प्रदर्शनी द्‌वारा मेरे विश्वास को और भी बल मिला कि हम किसी से पीछे नहीं हैं ।

खान-पान व मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध थे । देश के सभी व्यंजनों के साथ विदेशी व्यंजन भी उपलब्ध थे । सायंकाल होते-होते हम काफी थक गए थे । मन तो कर रहा था कि अभी और घूमे व मेले का आनंद लें पर थकान काफी हो रही थी । उस सायं हमने पंकज उधास की गजलों का आनंद भी उठाया ।

यह मेला जानकारी व मनोरंजन का खजाना था । निस्संदेह ऐसे आयोजनों का होना अनिवार्य है जो हमारे देश की प्रगति को दर्शाते ही नहीं अपितु प्रगति के नए आयाम भी स्थापित करते हैं । इन मेलों में उत्पादन की नई विधियों और तकनीकों का प्रदर्शन होता है जिससे उपभोक्ता, व्यापारी तथा कंपनियाँ सभी लाभान्वित होती हैं ।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में विदेशी कंपनियों की शिरकत से हमें विश्व व्यापार जगत की नवीनता हलचलों की जानकारी मिलती है । साथ-साथ इस अवसर का लाभ उठाकर देश के विशेषज्ञ एवं व्यापारी भारत की स्थिति का आकलन भी कर सकते हैं ।

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