प्रस्तावना:

एक दिन एन.ए.एस. स्कूल की फुटबाल टीम के केप्टन ने एक मैत्री मैच खेलने की चुनौर्तो दी । हमारे स्कूल र्को फुटबॉल टोम के कैप्टन रति मोहन ने चुनौती स्वीकार कर ली और प्रिंसिपल महोदय से इजाजत मांगी । उन्होंने सहर्ष स्वीकृति दे दी । स्कूल में मैच की तिथि और समय की घोषणा कर दी गई ।

मैदान में भीड़:

हमारे स्कूल के फुटबाल मैदान में ही मैच खेलने का निर्णय हुआ । समय से पूर्व ही दर्शकों से सारा मैदान भर गया । हमारे स्कूल के लड़के मैदान के दोंनों ओर बैठ गए । एन.ए.एस. स्कूल के अधिकाँश लड़के मैदान के उत्तर की उगेर थे । शहर के बहुत-से लोग और लड़कों के अभिभात्स्क भी मैच देखने के लिए आए थे । दोनों स्कूल के अध्यापकों तथा आमंत्रित दर्शकों के बैठने के लिए कुर्सियां लगाई गईं ।

मैच प्रारंभ होने के पूर्व उत्तेजना:

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मैच प्रारंभ होने के पूर्व से हो लडको में बड़ा उत्साह और उत्तेजना दिखाई दे रही थी । हर आदमी मैच के विषय में ही बातें कर रहा था । दोनों ही टीमें शहर की मशहूर टीमें थीं । हमें अपने जीतने का पूरा भरोसा था । विरोधी टीम के समर्थक भी कम आशावान नहीं थे । हमारी टीम के फॉर्वड खिलाड़ियों का बड़ा नाम था । दर्शकों में उनकी विशेष चर्चा हो रही थी ।

मैच का प्रारंभ:

शाम के पौने पांच बजे दोनों टीमों ने मैदान में प्रवेश किया । वे अपनी-अपनी रंगीन वर्दियों में दोनों ही टीमों के खिलाड़ी बड़े चुस्त दिखाई दे रहे थे । ठीक पांच बजे रेफरी ने जोर से सीटी बजाई । इसी के साथ मैच प्रारम्भ हो गया । हमारे कैप्टन ने बाल पर बड़े शानदार स्टाइल से किक लगाई ।

हमने उसे बढ़ावा देने के लिए जोर-जोर से तालियाँ बजाईं । कुछ समय तक दोनों ही टीमों के खिलाड़ी बड़े अच्छे ढंग से खेले । दोनों टीमों में काटे का मुकाबला था । बाल कभी एक टीम के गोल की तरफ जाती, तो कभी दूरनरे टीम के गोल की ओर । लेकिन अधिकतर समय मैदान के मध्य में ही रही ।

मध्यान्तर के पूर्व के प्रयत्न:

धीरे-धीरे हमारे स्कूल के खिलाड़ी विरोधी टीम पर दबाव बढ़ाने लगे । हमारे फॉरवर्ड खिलाडियों ने विरोधियों की ओर बाल ले जाने का भरपूर प्रयास किया । विरोधियों के हाफ बैक खिलाडियों ने बाल अपने कब्जे में लेकर हमारी ओर किक किया ।

एक खिलाड़ी ऑफ साइड था । रेफरी ने सीटी बजाकर फाउल दे दिया । एनए एस स्कूल का कैप्टन बड़ा तेज दौड़ लगाता था । उसने एक बार इतने जोर से दौड़ते हुए किक लगाई कि एकदम गोल होता दिखाई दिया । हमारा गोलकीपर बड़ा चौकन्ना और होशियार था ।

उसने ऊँची उछाल लेकर दोनों हाथों से बाल को रोक लिया और इस प्रकार गोल बच गया । विरोधी टीम को बड़ी निराशा हुई और हम सब लोगों ने तालियाँ बजाकर हर्ष प्रकट किया । मध्यातंर के कुछ पहले हमारे कैप्टन को एक मौका मिल गया । वह बाल के साथ दौडकर विरोधी गोल के पास तक पहुँच गया और एक जोरदार किक लगाकर गोल कर दिया ।

यह गोल बिजली की सी तेजी से हुआ और विरोधी गोलकीपर हक्का-बक्का रह गया । गोल हो जाने पर विरोधी खिलाड़ी बड़े उत्तेजित हो गए । खेल में एकदम तेजी आ गई । उन्होंने हमारी ओर बाल पहुँचाने में जी-जान से कोशिश की । इतने में रेफरी ने मध्यांतर की सीटी बजा दी ।

मध्यांतर के दौरान:

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दोनों ही टीमों के खिलाड़ी बहुत थक गए थे । उनके समूचे बदन से पसीना चू रहा था । मध्यांतर के दौरान वे मैदान में ही लेट कर आराम करने और अपने हाथ-पैर सीधे करने लगे । उन्हें खाने को कुछ फल आदि दिए गए । दोनो टीमों के कैप्टन के अपने खिलाडियों का उत्साह बढ़ाया और उन्हें उचित निर्देश दिए ।

मध्यांतर के बाद का खेल:

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रेफरी की लम्बी सीटी बजी और मैच पुन: प्रारम्भ हो गया । दोनों ही ओर से शुरू से ही बड़ा उक्तेनक खेल खेला जाने गया । हम सब बड़ी रुचि से खेल देख रहे थे । विरोधी टीम बराबर दबाव डालने की कोशिश करती रही ।

सेकेण्डों में बाल इधर से उधर चली जाती । कई बार ऐसा लगा कि अब गोल हुआ लेकिन कोई टीम और गोल नहीं कर पाई । इतनी देर में एन.ए.एस. स्कूल के सेन्टर फॉरवर्ड खिलाड़ी ने एक जोर से किक लगाई और बॉल सीधे हमारे गोल में घुस गई ।

विरोधी टीम के समर्थक हर्ष से नाच उठे । हम बड़े निराश हो गए । अब दोनो टीम एक-एक गोल करके बराबरी पर थीं । अब हमारी टीम के खिलाड़ी दुगने जोश से खेलने लगे । मैच के अंतिम क्षणों में बड़ा उत्तेजक खेल रहा । दोनों ही टीमें मैच का फैसला चाहती थीं और गोल करने का प्रयास कर रही थीं ।

लेकिन कोई भी टीम और कोई गोल न कर पाई । इतने में मैच का समय समाप्त हो गया और रेफरी ने जोर से सीटी बजा दी । मैच अनिर्णीत रहा । दोनों ही टीमों ने एक-एक गोल किया और वे बराबर रहीं ।

उपसंहार:

मैच की समाप्ति पर भीड़ छंटने लगी । हमारे स्कूल ने दोनों ही टीमों के नाश्ते का प्रबन्ध किया था । मैच की समाप्ति पर उन्हें नाश्ता कराया गया । हमारे प्रिंसिपल ने दोनों ही टीमों के कैप्टन को अच्छे खेल के लिए शाबासी दी ।

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