मेरे स्कूल का चपरासी पर अनुच्छेद | Paragraph on My School Peon in Hindi

प्रस्तावना:

प्रिंसिपल के कार्यालय के बाहर बैठने वाले व्यक्ति को स्कूल का चपरासी कहते है । हम समझते हैं कि उसका काम महत्त्वहीन है, लेकिन स्कूल का प्रिंसिपल भली-भाँति जानता है कि उसकी सेवायें स्कूल के लिए इतनी जरूरी हैं कि उसके बिना स्कूल नहीं चल सकता । इस प्रकार वह भी स्कूल का एक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति है ।

उसका नाम व आयु:

हमारे रकूल के चपरासी का नाम श्याम सुन्दर है । उसकी उम्र चालीस वर्ष है । वह लम्बा युवक है । उसका शरीर रचरथ और सशक्त है । उसका रग गेहुँआ है । वह उत्तर प्रदेश के एक छोटे-से गाँव का रहने वाला है ।

पोशाक और परिवार:

वह हमेशा खाकी वर्दी पहनता है । उसके सिर पर सफेद गाँधी टोपी रहती है । उसे स्कूल से वर्ष में दों वर्दियाँ मिलती हैं । वह स्कूल की इमारत के एक छोटे-से कमरों में रहता है । वह शादी शुदा है, लेकिन उसकी पत्नी और बच्चे गाँव मे रहते हैं ।

उत्तरदायित्व:

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उसे स्कूल के सैकड़ों काम करने पड़ते हैं । वह रकूल के खुलने के समय से एक घंटा पूर्व अपनी ड्‌यूटी पर आ जाता है । वह कार्यालय तथा प्रिंसिपल के कमरों की सफाई करता है और वहाँ की सभी चीजों को करीने से लगाता है । वह कक्षाओं के कमरों को भी खोलता है और वही की टेबल, डेस्कों और कुर्सियों की धूल झाड़ता है । इसके बाद स्कूल का समय हो जाने पर वह घंटी बजाता है ।

जब तक रकूल लगा रहता है, तो वह प्रिसिपल के कमरे के बाहर बैठा रहता है । वह प्रिंसिपल के आदेशों का पालन करता है । कभी-कभी उसे चिट्‌ठियाँ डालने के लिए डाकखाने तथा रुपया निकालने या जमा करने लिए बैंक भी भेजा जाता है ।

वह प्रिंसिपल से मिलने आने वाले व्यक्तियो को एक-एक करके प्रिंसिपल से मिलवाता है । वह इन कामों तथा अन्य सभी कामों को रचेच्छा से प्रसन्नतापूर्वक करता है । प्रत्येक पीरियड की समाप्ति पर ठीक समय से वह घंटी बजाता रहता है । जब कभी वह इससे कोई चूक कर देता है, समूचे स्कूल की व्यवस्था बिगड़ जाती है और सभी लोग उसकी शिकायत करने लगते हैं ।

जब स्कूल बन्द होने का समय हो जाता है, तो वह छुट्टी की घंटी बजा देता है । जब सभी लड़के स्कूल से चले जाते हैं, तो वह कमरों की खिडकियों और दरवाजे बन्द करके ताला डाल देता है । इसके बाद सभी चाभियों को संभाल कर वह अपने घर चला जाता है ।

उपसंहार:

वह कड़ा कठिन परिश्रम करता है । उसे महीने में केवल पाँच सौ रुपया वेतन मिलता है । इतने कम वेतन में वह शहर में परिवार का भरण-पोषण नहीं कर सकता । वह पिछले पन्द्रह वर्षों से हमारे स्कूल में कार्यरत है ।

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