अटल बिहारी वाजपेयी पर निबन्ध | Essay on Atal Bihari Vajpayee in Hindi

1. प्रस्तावना:

ADVERTISEMENTS:

प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो अपनी पार्टी में ही नहीं, विपक्षी पार्टी में समान रूप से सम्माननीय रहे हैं ।

उदार, विवेकशील, निडर, सरल-सहज, राजनेता के रूप में जहां इनकी छवि अत्यन्त लोकप्रिय रही है, वहीं एक ओजस्वी वक्ता, कवि की संवेदनाओं से भरपूर इनका भाबुक हृदय, भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति आस्थावान इनका व्यक्तित्व सभी को प्रभावित कर जाता है ।

ये देश के सफल प्रधानमन्त्रियों में से एक हैं । इनकी विलक्षण वाकपटुता को देखकर लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने यह कहा कि- ”इनके कण्ठ में सरस्वती का वास है ।” तो नेहरूजी ने इन्हें ”अद्‌भुत वक्ता की विश्वविख्यात छवि से नवाजा ।”

2. जन्म व शिक्षा:

श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था । इनके पिता पण्डित कृष्णबिहारी वाजपेयी एक स्कूल शिक्षक थे और दादा पण्डित श्यामलाल वाजपेयी संस्कृत के जाने-माने विद्वान् थे । वाजपेयीजी की प्रारम्भिक शिक्षा भिंड तथा ग्वालियर में हुई ।

विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान महारानी लक्ष्मीबाई कला एवं वाणिज्य विश्वविद्यालय) से स्नातक की उपाधि ग्रहण की । राजनीति शास्त्र में एम०ए० करने हेतु ये डी०ए०वी० कॉलेज कानपुर चले आये । कानून की पढ़ाई करते-करते अधूरी छोड़कर राजनीति में सक्रिय हो गये ।

ये अपने प्रारम्भिक जीवन में छात्र नेता के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय एवं समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं । राष्ट्रीय स्वयंसेवक के रूप में लखनऊ में इन्होंने राष्ट्रधर्म एवं पांचजन्य नामक पत्रिका का सम्पादन किया । इसी तरह वाराणसी से प्रकाशित वीर चेतना साप्ताहिक, लखनऊ से प्रकाशित दैनिक स्वदेश और दिल्ली से प्रकाशित वीर अर्जुन का भी सम्पादन किया ।

3. राजनीतिक जीवन:

श्री वाजपेयीजी की लेखन क्षमता, भाषण कला को देखकर श्यामाप्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय जैसे नेताओं का ध्यान इनकी ओर गया । 1953 में अटलजी को जनसंघ के प्रथम अध्यक्ष डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी का निजी सचिव नियुक्त किया गया । साथ में जनसंघ का सचिव भी बनाया गया । 1955 में पहली बार चुनाव मैदान में कदम रखते हुए विजयलक्ष्मी पण्डित की खाली की गयी सीट के उपचुनाव में इन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा ।

ADVERTISEMENTS:

ADVERTISEMENTS:

1957, 1967, 1971, 1977, 1980, 1991, 1996 और 1998 में सातवीं बार लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए । 1962 और 1986 में ये राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए । 1977 से 1979 तक जनता पार्टी के शासनकाल में ये विदेश मन्त्री रहे । सन् 1980 से 1986 तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे । विदेश मन्त्री के रूप में इन्होंने निःशस्त्रीकरण, रंगभेद नीति आदि की ओर सदस्य राष्ट्रों का ध्यान आकर्षित किया ।

संयुक्त राष्ट्र संघ में इनका हिन्दी में दिया गया भाषण इन्हें एक कुशल वक्ता साबित करता है । इन्होंने अमेरिका, इजराइल, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फ्रांस तथा पूर्वी एशियाई देशों की यात्राएं भी कीं । आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण तथा अन्य नेताओं के साथ इन्होंने जेलयात्रा भी की । 19 अप्रैल 1998 को भारत के राष्ट्रपति के०आर० नारायणन ने इन्हें प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी । ये 21 मई 2004 तक भारत के प्रधानमन्त्री रहे ।

4. इनके कार्य व विचार:

श्री अटल बिहारी वाजपेयी का सम्पूर्ण जीवन एवं इनके सम्पूर्ण विचार राष्ट्र के लिए समर्पित रहे हैं । राष्ट्रसेवा के लिए इन्होंने गृहस्थ जीवन का विचार तक त्याग दिया । अविवाहित प्रधानमन्त्री के रूप में ये एक ईमानदार, निर्लिप्त छवि वाले प्रधानमन्त्री रहे हैं । इन्होंने राजनीति में रहते हुए कभी अपना हित नहीं देखा ।

प्रजातान्त्रिक मूल्यों में इनकी गहरी आस्था है । हिन्दुत्ववादी होते हुए भी इनकी छवि साम्प्रदायिक न होकर धर्मनिरपेक्ष मानव की रही है । लेखक के रूप में इनकी प्रमुख पुस्तकों में मेरी 51 कविताएं, न्यू डाइमेंशन ऑफ इण्डियाज, फॉरेन पालिसी, फोर डिकेड्‌स इन पार्लियामेंट तथा इनके भाषणों का संग्रह उल्लेखनीय है ।

5. उपसंहार:

सन् 1992 में ”पद्मविभूषण” तथा 1994 में श्रेष्ठ सांसद के रूप में पण्डित गोविन्द वल्लभ पन्त और लोकमान्य तिलक पुरस्कारों से इन्हें सम्मानित किया गया । आज भी विपक्ष में रहते हुए ये राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वाह में पूर्णत: आस्थावान हैं । ये एक कुशल राजनेता एवं जनप्रिय प्रधानमन्त्री के रूप में श्रद्धेय और सम्मानित हैं ।

Home››Personalities››