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महात्मा गाँधी | Mahatma Gandhi in Hindi!

परम सत्यवादी और अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी का जन्म, 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के काठियावाड़ प्रान्त के पोरबन्दर नामक नगर में हुआ । इनका परिवार पर्याप्त संपन्न था ।

इनके पिता जी कर्मचन्द्र गाँधी थे । इनकी माता का नाम पुतलीबाई था । वे धार्मिक विचार सम्पन्न महिला थीं । माता की धार्मिक विचारधारा का प्रभाव इनके व्यक्तित्व को एक सदाचारी रूप देने में सफल हुआ । 13 वर्ष की छोटी आयु में उनका विवाह कस्तूरबा गाँधी से हो गया था ।

गाँधी जी ने हाई स्कूल तक की शिक्षा राजकोट में ही प्राप्त की और वकालत पढ़ने के लिए ये इंगलैण्ड चले गए । इंगलैण्ड से आकर गाँधी जी ने वकालत प्रारम्भ की और उन्हें इस कार्य में विशेष सफलता नहीं मिली । सन् 1893 में वह एक व्यापारी का मुकदमा लड़ने के लिए दक्षिण अफ्रीका पहुँचे ।

इस मुकदमें में उन्हें सफलता मिली । उन दिनों गोरे, अफ्रीकियों पर अमानवीय अत्याचार करते थे । गाँधी जी ने जात-भेद की नीति का विरोध करने का निश्चय किया । 1906 ईस्वी में ट्रासवाल काला कानून पास हुआ । इसका विद्रोह करने का उन्होंने निश्चय कर लिया ।

उन्होंने भयंकर संघर्ष किया और दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर किए जा रहे अत्याचारों को बन्द कराने में सफलता प्राप्त की । गांधी जी ने अफ्रीका से लौटकर भारतीय राजनीति में पदार्पण किया । उन्होंने भारत को स्वतन्त्र कराने का संकल्प लिया ।

उन्होंने अंग्रेज सरकार को कमजोर करने के लिए 1917 में कृषक सुधार आन्दोलन, 1920 में असहयोग आन्दोलन और 1930 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाया । जिससे अंग्रेज सरकार की जड़ें कमजोर होने लगी । प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों ने सक्रिय भूमिका निभाई ।

अंग्रेजों ने भारतवर्ष की स्वतंत्र करने का वचन दिया । परन्तु युद्ध की समाप्ति पर भारतवासियों पर अंग्रेजों के अत्याचार और बढ़ गए । उन्होंने रौलेट-एक्ट पास किया, जिसका देश में व्यापक विरोध हुआ याँवाला बाग में भयकर नरसंहार किया ।

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जिससे भारत में स्वतन्त्रता सेनानियों को खून खौल उठा । लोहार में रावी के तट पर हुए कांग्रेस अधिवेशन में पूर्ण स्वतन्त्रता की मांग रखी गई । 13 मार्च 1930 को गांधी जी ने दण्डी मार्च आरम्भ किया । जिससे एक बार सम्पूर्ण देश में क्रान्ति की लहर दौड़ गई ।

देश को स्वतंत्र कराने के लिए 1942 में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आन्दोलन प्रारम्भ किया । इस आन्दोलन में करोड़ो देशवासी उनके साथ थे । गांधी जी सहित अनेक स्वतंत्रता सेनानियों को जेल में डाल दिया गया । उन्हीं दिनों उनकी पत्नी कसतूरबा गाँधी, स्वर्ग सिधार गईं ।

लेकिन गाँधी जी अपने पथ में विचलित नहीं हुए । आखिर गाँधी जी के प्रयत्नों से 1946 में अंग्रेज सरकार को, अन्तरिम सरकार गठित करने के लिए विवश होना पड़ा । 15 अगस्त 1947 को गाँधीजी के प्रयत्नों से ये देश स्वतंत्र हो सका ।

गाँधी जी ने इस देश को केवल राजनैतिक स्वतन्त्रता ही प्रदान नहीं की, अपितु छुआ-छूत की कुप्रथा को मिटा कर देश के मस्तक से कलंक का टीका मिटा दिया । उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए भरसक प्रयास किया । 30 जनवरी 1948 को गांधी जी की मुस्लिम सन्तुष्टिकरण की नीति से क्षुब्ध होकर नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी ।

गाँधी जी का दाह-संस्कार दिल्ली में यमुना के तट पर किया गया । राजघाट पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की समाधि है । जो देश-विदेश के नेताओं के लिए प्रेरणा-स्थली है । गाँधी जी का नाम सदैव अमर रहेगा और वे सत्य और अहिंसा के अवतार के रूप में पूजे जाते रहेंगे ।

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