विज्ञान एवं संस्कृति पर निबन्ध | Essay on Science and Culture in Hindi!

आज का युग विज्ञान का युग है । जीवन में कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहाँ विज्ञान और तकनीक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाते हैं ।

यह क्षेत्र खाद्य संबंधी हो, सुरक्षा संबंधी या वस्त्र एवं सुख-सुविधा संबंधी, अवकाश संबंधी या मनोरंजन संबंधी सभी क्षेत्रों में कधुनिक विज्ञान एवं तकनीक ने मानव जीवन को अधिक प्रभावकारी, तीव्र और आनन्दमय बना दिया है । कला के क्षेत्र में भी विज्ञान ने प्रवेश कर लिया है ।

ADVERTISEMENTS:

विज्ञान को सुव्यवस्थित अध्ययन क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया गया है । यह सामान्यत: वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध सामान्य नियमों, सत्यों पर आधारितहोता होता है । संस्कृति से तात्पर्य बौद्धिक और नैतिक विकास की प्रक्रिया से है, जो शिक्षा से संभव है । इससे मनुष्य में उत्थान और उत्कृष्टता उत्पन्न होती है ।

समाज के संदर्भ में संस्कृति से अभिप्राय किसी विशेष वर्ग के लोगों के सामान्य रहन-सहन से है । आधुनिक विज्ञान का जन्म मध्ययुग के अंधविश्वास के विरूद्ध हुआ था । इसने पहले वैज्ञानिक अनुसंधान के तरीकों की खोज की । तत्पश्चात् इन नियमों को प्रकशति के व्यापारों पर आरोपित किया । कुछ ही वर्षो में विज्ञान ने अप्रतिम सफलता प्राप्त कर ली, रेलगाडियाँ, दूरभाष, तारलेखी, मोटर गाड़ी, चलचित्र, रेडियों, हवाई जहाज आदि सभी आधुनिक विज्ञान की महान उपलब्धियाँ है ।

आज जीवन में इनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है । इन्होंने वैज्ञानिकों को उत्साहित भी किया । इसलिए स्वभावत: वे सोचते है कि विज्ञान का स्थान धर्म और नैतिकता से अधिक ऊंचा है । इस उत्साह के कारण वे नैतिकता को पूर्णत: भुला बैठे हैं । वे वैज्ञानिक खोजों को नैतिकता से अधिक मान्यता देते हैं । इस कारण आज क्या है और क्या होना चाहिए, की विचारधारा पनप रही है । वे अपने कार्यों के परिणामों से बेखबर होकर प्रयोग करते जा रहे हैं ।

फिर भी, विज्ञान और तकनीक मनुष्य के कार्यों का वैज्ञानिक पुनर्गठन करते हैं । वैज्ञानिक और तकनीकी विकास अपरिवर्तनीय तथ्यों पर आधारित होते हैं । विज्ञान में केवल भावनाओं की आवश्यकता नहीं होती । यहां तक कि वैज्ञानिक नियम जो कि वैज्ञानिक सिद्धांतों का निर्माण करते हैं, भी परीक्षण पर आधारित होते है ।

विज्ञान में किसी तथ्य की परख हेतु कड़े दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है । यह मानव मस्तिष्क को किसी घटना, वस्तु या स्थिति के संबंध में स्पष्ट, वस्तुनिष्ठ और निष्पक्ष बनने का प्रशिक्षण देता है । अत: इस युग में विज्ञान अनगिनत मानवीय समस्याओं को सशक्त ढंग से सुलझाने और नए मापदंडों को प्रस्तुत करने, अधिकतम कार्य क्षमता प्राप्त करने और मातृत्व भावना बढ़ाने के सफल प्रयास कर रहा है । ये सभी गुण औद्योगीकृत मानव समाज की परम्परा का अंग बन गए है, इसलिए इन्हें सच्ची संस्कृति का तत्व कहा जा सकता है ।

विज्ञान एवं संस्कृति के बढ़ते संबंधों के कारण एक ऐसी संस्कृति का विकास हो रहा है, जिसे वैज्ञानिक संस्कृति का नाम दिया गया है । विज्ञान एवं संस्कृति में कुछ विशेष गुण हैं जैसे सामान्य प्रकृति, व्यवहार के स्तर एवं नियम, सामान्य प्रयोग एवं सामान्य पूर्वधारणाएं आदि ।

ADVERTISEMENTS:

आज के समाज में विद्यमान, दो प्रकार की संस्कृतियों साहित्यिक संस्कृति और वैज्ञानिक संस्कृति के समर्थकों में प्रभावपूर्ण संवाद का अभाव है । साहित्य से जुड़े व्यक्ति का विचार है कि पारम्परिक संस्कृति ही संपूर्ण संस्कृति है । प्राकृतिक व्यवस्था और विज्ञान का अपना कोई मूल्य नहीं है, ये इसी के अंदर समाहित हैं ।

वे सोचते हैं कि इस भौतिकवादी संसार में मनुष्य के मस्तिष्क का सबसे उत्कृष्ट कार्य इसका अदभुत सामूहिक और जटिल प्रयत्न है । दूसरी ओर कई वैज्ञानिकों का सम्पूर्ण पारम्परिक संस्कृति के साहित्य के क्षेत्र में कोई योगदान नहीं है । उन्हें यह मानव की वास्तविक उपयोगिता से दूर की वस्तु प्रतीत होती है ।

ADVERTISEMENTS:

आधुनिक संस्कृति के विकास में विज्ञान ने पर्याप्त योगदान दिया । आधुनिक वैज्ञानिक आविष्कारों जैसे लाउडस्पीकर, रेडियो, टेलीविजन आदि से संस्कृति और कलाकार का संबंध सामान्य व्यक्ति से स्थापित हो गया है और लोगों को कला एवं कलाकार की संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकी है । संस्कृति के विकास और कला के उन्नति के शिखर तक पहुंचने में सफलता मिली ।

शिक्षा एवं संस्कृति के क्षेत्र में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार करके ही संयुक्त राष्ट्र ने यू.एन.ई.एस.सी. ओ. शाखा की स्थापना की । अब संस्कृति और कला संपन्न व्यक्तियों के मनोरंजन, आमोद-प्रमोद का साधन नहीं है । अब वह आम जनता से जुड़ गई है और यह विज्ञान की सहायता से ही संभव हो सका है । विज्ञान के कारण ही संस्कृति अन्तरराष्ट्रीय संबंधों को बढ़ाने का माध्यम बनी है ।

विज्ञान और तकनीकी विकास के कारण सांस्कृतिक दृष्टिकोण में व्यापकता आई है । अंतरराष्ट्रीय संचार माध्यमों ने संकीर्ण परम्पराओं की सीमाओं को तोड़ दिया है । कलाएं संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है । वे भी विज्ञान से तेजी से सार्वभौमिक रूप प्राप्त कर रहा है ।

रेडियो, टेलीविजन, वायुयान और अंतरिक्षयान, कम्प्यूटर और चलचित्र जैसे संचार माध्यमों से विभिन्न संस्कृतियों का आदान-प्रदान तेजी से हो रहा है । विज्ञान अंतरराष्ट्रीय रूचियाँ उत्पन्न कर रहा है और विभिन्न संस्कृतियों को आपस में मिलाने का काम सफलता से कर रहा है ।

हम वैज्ञानिक क्रांति के युग में जी रहे हैं । विज्ञान मनुष्य के लिए धन, सत्ता और भौतिक सुख-सुविधाओं को जुटाने में रत है । कुछ तेजी से बदल रहे समाजों में तनाव और विवादों की आशंका है, इसलिए वैज्ञानिक प्रगति और संस्कृति अर्थात सौन्दर्य एवं नैतिकता में सामंजस्य होना चाहिए । इसी से हमारा जीवन वास्तविक आनंद से भर सकता है ।

Home››Science››