हड़ताल पर निबंध | Essay on Strike in Hindi!

हड़ताल शब्द हमारे देश में आज अत्यधिक प्रचलित है । समाज के सभी वर्गों में हड़ताल का प्रचलन एक सामान्य बात हो गई है । हड़ताल का अर्थ है- किसी वर्ग अथवा समूह के लोगों द्‌वारा किसी विशेष उद्‌देश्य की प्राप्ति के लिए कार्य करने से इंकार कर देना ।

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हड़ताल का उपयोग यदि सार्थक हो तब यह समाज के लिए उपयोगी है परंतु इसका अनुचित उपयोग अथवा दुरुपयोग देश व समाज के लिए हानिकारक है । प्राचीन काल में हड़तालें प्राय: नहीं के बराबर होती थीं क्योंकि तत्कालीन समय में राजशाही प्रथा प्रचलित थी ।

मालिक की इच्छा के अनुसार ही सभी को कार्य करना पड़ता था । उसकी तानाशाही के विरोध का सीधा अर्थ नौकरी से निकाला अथवा अन्य प्रकार से हर्जाना व नुकसान अदा करना था । औद्‌योगिक क्रांति के पश्चात् मजदूर वर्ग की परिस्थिति में अनेक परिवर्तन आए । विभिन्न प्रकार के मजदूर संगठनों तथा यूनियनों का गठन प्रारंभ हुआ । इसके परिणामस्वरूप अब मालिक मनमानी नहीं कर सकते थे ।

किसी भी अन्यायपूर्ण निर्णय के विरोध में यह मजदूर संघ अथवा यूनियन अपना सक्रिय योगदान अदा करती थी । वे अपने संघ के सदस्यों को एकत्र कर हड़ताल पर चले जाते तथा मालिकों को उनकी माँगों के समक्ष झुकने के लिए विवश कर देते थे ।

आज हड़ताल का स्वरूप अत्यंत व्यापक हो चुका है । आज सभी वर्ग अपनी माँगों की पूर्ति के लिए हड़ताल का उपयोग करने लगे हैं । कॉलेजों व विश्वविद्‌यालयों में छात्रसंघ का गठन होता है जो किसी भी अनुचित निर्णय के विरोध में संगठित होकर हड़ताल करते हैं तथा प्रशासन को अपनी माँगों की पूर्ति के लिए बाध्य करते हैं ।

सरकारी कार्यालयों में आज हड़ताल बिस्कूल ही आम बात हो गई है । आए दिन किसी न किसी विभाग में हड़ताल को देखा जा सकता है । राजनीति में अपना दबदबा बनाने अथवा जनता में स्वयं को अच्छा साबित करने के लिए विरोधी दलों द्‌वारा सत्ता पक्ष के विरोध में हड़ताल एक प्रमुख हथियार बन गई है ।

परंतु राजनीतिक उद्‌देश्यों की पूर्ति के लिए कई बार हड़तालें आवश्यक हो जाती हैं । इन पर प्रतिबंध लगाने से लोकतंत्रकी जड़ें कमजोर हो सकती हैं । लोकतंत्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि सत्ता पक्ष निरंकुश न हो पाए ।

हड़ताल यदि सकारात्मक कारणों के लिए हो तो यह लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है । इससे तानाशाही पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जा सकता है । हड़ताल के प्रभाव से सामान्य जनमानस का शोषण कम होता है । इसके अतिरिक्त प्रशासन अपने निर्णयों के प्रति अधिक सजग रहता है ताकि सभी वर्गों को साथ लेकर चल सकें जो आज के वातावरण में अत्यंत आवश्यक है ।

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परंतु हड़ताल का दुरुपयोग समाज और देश के लिए घातक सिद्‌ध हो सकता है । अस्पतालों के चिकित्सकों द्‌वारा की गई हड़ताल अनेक रोगियों के लिए जानलेवा सिद्‌ध होती है । निर्धन वर्ग इसमें सबसे अधिक प्रभावित होता है । छात्रों अथवा शिक्षकों द्‌वारा की गई हड़ताल से अध्ययनरत छात्र प्रभावित होते हैं ।

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कर्मचारियों द्‌वारा की गई हड़ताल से कंपनी अथवा फैक्ट्रियों का कामकाज ठप हो जाता है जिससे मजदूर वर्ग के साथ ही साथ बाजार भी बुरी तरह प्रभावित होता है । हमारे नेताओं द्‌वारा निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए की गई हड़ताल देश की प्रगति में बाधा पहुँचाती है ।

अत: हम सभी का नैतिक दायित्व बनता है कि हम हड़ताल को केवल सकारात्मक परिणामों के लिए उपयोग करें । यह तभी संभव है जब हम न्यायोचित दृष्टिकोण

रखें । लेकिन यह तथ्य भी ध्यान देने योग्य है कि मजदूरों से हड़ताल का अधिकार छीन लेने से वे आज तक जो कुछ भी हासिल कर पाए हैं उन्हें वे गँवा देंगे । अत: हड़ताल करने अथवा न करने की पूर्ण जवाबदेही मजदूरों को ही उठानी होगी ।

एक ओर तो वे अनावश्यक हड़ताल से बचें तथा दूसरी ओर जब अन्य कोई उपाय शेष न बचा हो तब वे इस ब्रह्‌मास्त्र का प्रयोग अवश्य करें । परंतु अस्पतालों, दवा-विक्रेताओं, पुलिस, अग्निशमन सेवा तथा विद्‌यालयों को हड़ताल के दायरे से मुक्त रखने की आवश्यकता है ।

शिक्षा संस्थानों में वैसे भी बहुत छुट्‌टियाँ होती हैं, यहाँ हड़ताल होने से छात्र-छात्राओं की शिक्षा पर अत्यंत बुरा असर पड़ता है । लेकिन विभिन्न राज्यों में शिक्षकों एवं प्राध्यापकों की हड़ताल आम बात हो गई है । इसी तरह चिकित्कों की सामूहिक हड़ताल से संकट में फँसे मरीजों का जीवन दाँव पर लग जाता है ।

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