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सार्वजनिक जीवन में हिंसा पर निबन्ध | Essay on Violence in Public Life in Hindi

सार्वजनिक जीवन में हिंसा पर निबन्ध | Essay on Violence in Public Life in Hindi! वास्तव में हिंसा की मानसिकता एक बुरी व्याधि है । इसके खिलाफ समूची मानवजाति को उठ खड़ा होना है और एकजुट होकर आवाज बुलंद करनी है । यह एक ऐसा खतरा है, जो किसी देश अथवा जाति विशेष का नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए [...]

By |2015-12-17T13:30:45+05:30December 17, 2015|Violence|Comments Off on सार्वजनिक जीवन में हिंसा पर निबन्ध | Essay on Violence in Public Life in Hindi

भारतीय जीवन और पाश्चात्य आदर्श पर निबन्ध |Essay on Indian Life and Western Model in Hindi

भारतीय जीवन और पाश्चात्य आदर्श पर निबन्ध |Essay on Indian Life and Western Model in Hindi! प्राय: यह देखा जाता है कि जब दो जातियों या दो संस्कृतियों का परस्पर सम्मिलन होता है तब दोनों एक-दूसरे पर अपना प्रभाव छोड़ती हैं । विचार-विनिमय, आदर्श, सभ्यता, संस्कृति या सभ्यता-विशेष प्रभुत्वशाली होने पर विजित जाति पर विशेष प्रभाव छोड़ती है और वह [...]

By |2015-12-17T13:29:39+05:30December 17, 2015|India|Comments Off on भारतीय जीवन और पाश्चात्य आदर्श पर निबन्ध |Essay on Indian Life and Western Model in Hindi

ग्रामीण जीवन का आनन्द पर अनुच्छेद | Paragraph on The Pleasure of Life in the Village in Hindi

ग्रामीण जीवन का आनन्द पर अनुच्छेद | Paragraph on The Pleasure of Life in the Village in Hindi प्रस्तावना: अति प्राचीनकाल से कवि, विद्वान् तथा साधारण व्यक्ति सभी ग्रामीण जीवन के आनन्द के गुण गाते रहे है, फिर भी ससार के हर देश में आज भीड़भाड़ से भरे शहरों और नगरों की ओर दौड़ रहे हैं । ऐसा लगता है [...]

By |2015-11-24T07:11:47+05:30November 24, 2015|Paragraphs|Comments Off on ग्रामीण जीवन का आनन्द पर अनुच्छेद | Paragraph on The Pleasure of Life in the Village in Hindi
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