17 जुलाई को हर वर्ष शिक्षा सत्र के प्रारम्भ में ही मेरा जन्मदिवस पड़ता है । सौभाग्य से मैं अच्छे अक लेकर पास हो गया था । इतना ही नहीं मैं पूरी कक्षा में प्रथम आया था । मैं भी बहुत खुश था और मेरे मम्मी-पापा भी । निर्णय किया गया कि, इस बार मेरा जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाए ।

इस बार मेरा जन्मदिवस रविवार को था । पहले मैं तथा मेरे घर वाले तथा दो चार आस-पड़ोस के बच्चे ही मेरे जन्मदिन के अवसर पर हुआ करते थे । इस बार मेरा जन्म दिन बड़े स्तर पर मनाने के प्रबन्ध किये गये । आस-पड़ोस तथा मेरे साथ के बच्चों को तो निमंत्रण दिया ही गया, मेरी कक्षा के सभी बच्चों को भी आमंत्रित किया गया । सभी मित्रों और सम्बन्धियों को निमंत्रण-पत्र प्रेषित किये गये ।

मेरे पापा उपहार आदि लेने-देने को पसन्द नहीं करते हैं । अत: निमंत्रण-पत्र पर यह विशेष रूप से उल्लेख कर दिया गया कि, जन्मदिवस के अवसर पर उपहार प्राप्त करने से बच्चा लालची और स्वार्थी बनता है।निमंत्रण-पत्र में इस बात का भी विशेष रूप से उल्लेख किया गया कि बच्चे को केवल आशीर्वाद दिया जाए ।

जन्म दिवस आ पहुँचा तो घर के सामने पार्क में कनातें लगा दी गईं । लोग आने भी शुरू हो गए । जहाँ अच्छे वस्त्र पहने सम्पन्न परिवारों के बच्चे आए, वहीं साधारण वस्त्र पहने आठ-दस निर्धन बच्चे भी आए ।

जन्मदिवस का कार्यक्रम हवन, यज्ञ तथा वेद मंत्रों के साथ शुरू हुआ । मुझे मुख्य यजमान बनाया गया था । मैं घी की आहुति दे रहा था । अग्नि होम से सारा वातावरण सुगंधित हो उठा । हवन यज्ञ कराने वाला पंडित बहुत ही मधुर ढंग से मंत्रों का उच्चारण कर रहा था । लोग बहुत ही श्रद्धा के साथ यज्ञ में सम्मिलित हो रहे थे । आधे घंटे के बाद हवन यज्ञ की पूर्णाहुति दी गई । उसके बाद पंडित जी ने मुझसे संकल्प करवाया कि मैं खूब पढ़ूँगा ।

आलस्य कभा नहीं करूंगा । सदैव परिश्रम करके उन्नति करता रहूँगा । मैं छोटों से प्यार करूंगा, बड़ों का आदर करूंगा, देश और समाज की सेवा करूँगा तथा अगले जन्मदिवस के आने तक मैं और अधिक उन्नति कर चुका होऊँगा । तदुपरान्त सभी ने मिलकर मुझे आशीर्वाद दिया और मुझ पर पुष्प वर्षा की । मेरे मम्मी पापा ने बच्चों के लिए पाठ्‌यक्रम की पुस्तकें खरीद रखी थीं और उनके सैट बनाकर बाँध दिए थे ।

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मैंने सभी निर्धन लडुकों को पाठ्‌यक्रम की पुस्तकों का एक-एक सैट अपने जन्मदिवस के अवसर पर उपहार स्वरूप प्रदान किया । लड़कों ने मुझे धन्यवाद दिया और जन्म दिवस पर मुबारकबाद दी । उनकी आखों में कृतज्ञता के भाव थे ।

यज्ञ से उठकर सभी लोग दूसरे पंडाल में आ गए जहाँ जलपान की व्यवस्था की गई थी । खाने-पीने के लिए सब कुछ था – बरफी, गुलाब जामुन, रसगुल्ले, समोसे थे । एक ओर गाने बजाने का कार्यक्रम था, जैसे ही आर्केस्टा बजा और एक लड़के ने पॉप गीत गाना शुरू किया आठ दस लड़के नाचने लगे । मधुर धुन संगीत और साथ में नाच भी, पंडाल में उपस्थित सभी लोग झूमने लगे और तालियाँ बजाने लगे ।

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एक लड़के ने माइक छोड़ा तो दूसरे ने पकड़ लिया । आर्केस्ट्रा बज रहा था, गाने वाला गा रहा था । बाकी कक्षा के लड़के नाच रहे थे उन्हें नाचने से मतलब था । बाकी उपस्थित लोग तालियां बजा-बजाकर गीत-संगीत और गड़े का आनन्द ले रहे थे । खाने-पीने और जलपान करने की किसी को जल्दी नहीं थी ।

काफी देर गीत-संगीत का कार्यक्रम चलता रहा । उसके बाद सभी ने जलपान लेना शुरू किया । मेरी कक्षा के लड़के खा-पी रहे थे और बहुत खुश थे । साथ-साथ धीरे- धीरे आर्केस्ट्रा पर धुन बज रही थी । लड़के अपनी प्लेटों पर रसगुल्ले, गुलाब जामुन तथा समोसे आदि रखकर घूम-घूमकर खा रहे थे तथा एक दूसरे से मजाक करके हँस रहे थे ।

पार्टी का यह कार्यक्रम एक घण्टा चलता रहा । तदुपरान्त सभी ने मुझे जन्मदिवस पर मुबारकबाद देकर एक-एक करके सबने विदा ली । इस प्रकार मेरी जन्मदिवस पार्टी सम्पन्न हो गई । इस बार मेरी जन्म दिवस पार्टी एक यादगार पार्टी बन गयी ।

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