भारतीय संविधान  |  Indian Constitution in Hindi!

15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ और 26 जनवरी 1950 को एक गणतंत्र बना । संविधान बनाने के लिए राजेन्द्र बाबू की अध्यक्षता में संविधान समिति बनाई गई । जनवरी 26, 1949 को यह बन कर तैयार हो गया और इस पर हस्ताक्षर हुए ।

26 जनवरी, 1950 से यह प्रभाव में आया और भारत एक सर्वप्रभुसत्ता सम्पत्र लोकतंत्रीय गणराज्य बन गया । इसका तात्पर्य यह है कि भारत पर इसके किसी भी कार्य, नीति आदि के संबंध में किसी बाहरी शक्ति का कोई हस्तक्षेप नहीं हैं और यहां की जनता और उसके चुने हुए प्रतिनिधियों में ही अंतिम और संपूर्ण शक्ति है ।

केन्द्र में, अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति ही देश का प्रधान है । लेकिन वास्तविक सत्ता का उपयोग प्रधान मंत्री और उनका मंत्री मंडल करता है । प्रधान मंत्री और उनके सहयोगी मंत्री संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं । संसद के दो घर हैं- लोक सभा, राज्य सभा ।

लोकसभा के सदस्य जनता द्वारा सीधे चुने जान हैं । हर व्यस्क भारतीय को चुनाव में अपना मताधिकार उपयोग करने की स्वतंत्रता रहती है । भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है । भारत के वयस्क मतदाता राज्यों में विधानसभाओं के सदस्यों का भी प्रत्यक्ष रूप से चुनाव करते हैं ।

राज्यों में राज्यपाल प्रमुख है । लेकिन वास्तविक सत्ता मुख्यमंत्री और उसके मंत्रीमंडल में नीहित रहती है । देश में सारे कार्य राष्ट्रपति के नाम पर किये जाते हैं । वह सेना के तीनों अंगों का प्रधान होता है, लेकिन यह सब औपचारिक होता है । सारी सत्ता और शक्ति प्रधानमंत्री और उसके सहयोगी मंत्रियों में होती है ।

हमारा संविधान पूरी तरह लिखित है । इसकी कई अन्य विशेषताएं भी हैं । यह लचीला हे और कठोर भी । जहां तक संविधान में संशोधन का प्रश्न है यह बड़ा कठोर हैं 1 संविधान के मूल हार्वे में परिवर्तन सरल नहीं है । इसका लचचापन देश के विकास में सहायक है । इसका कई बार आवश्यकतानुसार संशोधन भी किया जा चुका है ।

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यह संघीय भी है और केन्द्रीय भी । केन्द्र व राज्यों के बीच अधिकारों और विषयों का साफ-साफ बंटवारा है लेकिन केन्द्र अधिक शक्तिशाली है । केन्द्र ही राज्यों -में राज्यपालों की नियुक्ति करता है । हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान हैं ।

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यह संविधान भारतीय नागरिकों को उनके मूल अधिकार प्रदान करता है । यदि उनका उल्लंघन होता है, तो कोई भी न्यायालय की शरण जा सकता है । उच्चतम न्यायालय का यह कर्त्तव्य है कि वह नागरिकों के मूलभूत अधिकारों और स्वतंत्रता पर आंच न आने दे । इन अधिकारों में स्वतंत्रता, धर्म और समानता के अधिकार प्रमुख हैं । संविधान में नागरिकों के दायित्व और कर्त्तव्य भी बताये गये हैं ।

संविधान में दिये गये राज्य की नीति के निर्देशक तत्व भी बहुत महत्वपूर्ण हैं । सरकार को अपनी नीतियां बनाते समय इनको ध्यान में रखना होता है, लेकिन इनका पालन करने के लिए सरकार को बाध्य नहीं किया जा सकता । हमारे न्यायालय पूर्णत: स्वतंत्र हैं ।

हमारा उच्चतम न्यायालय किसी भी नियम-कानून पर विचार कर सकता है और आवश्यक हो तो उसे असंवैधानिक घोषित कर सकता है । हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है । इसका तात्पर्य है कि यहां सभी धर्मों को समान रूप से स्वतंत्रता है । यहां कोई राज्य धर्म नहीं हैं केन्द्र या राज्य सरकारें किसी धर्म विशेष का पक्ष नहीं लेती । धर्म के नाम पर कोई भेदभाव नहीं है ।

हमारा संविधान लगभग 50 वर्ष पुराना है । इससे हमारे देश को आगे बढ़ने में बड़ी सहायता मिली है, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि इसमें हमारी बदलती हुई आवश्यकताओं के अनुरूप मूलभूत परिवर्तन होना चाहिये । इसका निर्माण संविधान समिति ने किया था । इसके सभी सदस्य बड़े विद्वान और देशभक्त थे लेकिन वे सच्चे अर्थों में जनप्रतिनिधि नहीं थे क्योंकि वे जनता द्वारा नहीं चुने गये थे ।

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