अनुशासन |Discipline in Hindi!

अनुशासन से तात्पर्य है उच्च सत्ता की आज्ञाओं का निर्विवाद पालन और उनका उल्लंघन करने पर दिए गए दण्ड को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करना । यदि जीवन में कोई अनुशासन न हो तो अराजकता फैल जाएगी । जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा ।

कोई योजना नहीं होगी । किसी काम का दूसरे काम से संबंध नही होगा जिससे कोई भी काम ठीक प्रकार से नही हो सकेगा । यदि हम थोड़ा ध्यान से देखें तो पता चलेगा कि आकाश से नीचे धरती तक सभी जगह अनुशासन का स्थान बहुत ऊंचा है । उदाहरण के रूप में, धरती, चन्द्रमा और तारे विशेष नियमों में बंधे सूर्य के चारों ओर घूमते हैं ।

यहाँ तक कि पशु भी अपने नेता के अधीन अनुशासन में रहते हैं । शहद के छत्ते में मधुमक्खियों का जीवन भी अनुशासित जीवन का एक नमूना है । यदि व्यक्ति को ही देख लिया जाए तो उसके शरीर के विभिन्न अंग एक दूसरे के साथ सहयोग करते हैं और सारे शरीर के अनुरक्षण और विकास के लिए अनुशासित रूप से कार्य करते हैं ।

समाज की प्रारंभिक अवस्था में भी जंगली लोग अपने कबीले के नियमों को मानते थे । सभ्य लोग भी अपने परिवार के मुखिया की आज्ञा मानते है । व्यक्ति का घर ही एक पाठशाला हैं, जहाँ पर हम अपने माता-पिता और बड़ों की आज्ञापालन के माध्यम से अनुशासन का पहला पाठ पढ़ते हैं ।

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जब हम इस पाठशाला से बाहर निकलते हैं और शिक्षा संस्थाओं के द्वार में पदार्पण करतै हैं तो अनुशासन का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है । ऐसा इसलिए है कि विद्यार्थी जीवन, आगे के जीवन में लड़ाई की तैयारी है । खेल के मैदान मैं भी अनुशासन की कम आवश्यकता नही हैं । एक कमजोर परन्तु अनुशासित टीम सुदृढ़ परन्तु असंगठित विरोधी टीम से कही प्रदर्शन करती है।

समाज में भी अनुशासन की बहुत आवश्यकता है । यदि इसके अलग-अलग सदस्यों को मनमानी करने दी जाए तो समाज के टुकड़े-टुकड़े हो जाएगें और सभ्यता की गति और प्रगति रूक जाएगी । किसी देश के युवकों में अनुशासन का अभाव राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है ।

सेना में अनुशासन जितना आवश्यक है उतना संभवत: कहीं अन्य नहीं हो सकता । यहाँ पर एक क्षण की हिचकिचाहट भी हार और मृत्यु में बदल सकती है । कठिनाई, भय और मौत भी किसी सैनिक को अपने कमाण्डर के आदेश के पालन से नही रोक सकता चाहे वह आदेश गलत तथा अनुचित ही क्यों न हो ।

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परन्तु कुछ लोग ऐसे है जो अनुशासन का विरोध करते है । उनका मत है कि इससे मौलिकता का हनन हो जाता है और व्यक्ति की स्वत: प्रेरणा समाप्त हो जाती है । उनके अनुसार अनुशासित व्यक्ति मशीन के कलपुर्जे की तरह है । व्यक्ति कोई मशीन नही है । अत: उससे यह आशा नही की जानी चाहिए कि वह सदैव नियमबद्ध रहे अथवा आज्ञा का पालन करें ।

अनुशासन एक अमूल्य कोष है । अनुशासन के बिना जीवन, पतवार बिना जहाज के समान है । यह गलती को रोकने के लिए दण्ड और मनुष्य के बिना सोच-विचार के किए गए कार्यो पर नियंत्रण है । इसका प्रयोजन यह देखना है कि स्वतंत्रता मानव को मनमानी करने की छूट न दे दे ।

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