युवा-वर्ग पर फिल्मों का प्रभाव पर निबन्ध | Essay on The Influence of Films on Young People in Hindi!

आजकल फिल्मों की हल्के मनोरंजन के साधन के रूप गिनती नही होती है । आज फिल्में हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग बन गई हैं । बच्चे-बूढ़े सभी फिल्मों की नकल करने की कोशिश करते हैं ।

सामान्यत: बड़ों की अपेक्षा छोटे बच्चे तथा किशोर फिल्मेनिया से प्रभावित होते हैं । वीडियो के आविष्कार के बाद, नई फिल्म के प्रथम शो का घर बैठे-बैठे ही आनंद उठा लिया जाता है । लेकिन फिर भी फिल्मों के प्रति आकर्षण का भाव किसी भी प्रकार कम नहीं हुआ है ।

प्राय: नगर में चल रही किसी लोकप्रिय फिल्म से प्रेरित होकर लूटमार अथवा अपहरण की घटनाएं सुनने में आती हैं । शहर अथवा सड़क पर गुंडो का उपद्रव भी किसी फिल्म से प्रभाव लेकर युवा वर्ग द्वारा उत्पन्न किया जाता है । अत: आज समाज में व्याप्त कई बुराइयों और समस्याओं की जड़ फिल्में ही है ।

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कुछ फिल्मों से समाज तथा युवा-वर्ग पर अच्छा प्रभाव भी पड़ता है । सामाजिक विषयों से संबंधित फिल्में युवावर्ग में देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता और मानव-मूल्यों का प्रसार करती हैं । ऐसी फिल्में जाति-प्रथा, दहेज-प्रथा, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद जैसी सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की प्रेरणा देती है ।

लेकिन फिल्मों के कुप्रभावों की संख्या ही अधिक है । युवा-वर्ग को हिंसा-प्रधान फिल्ममें ही अच्छी लगती है । आज यदि वे अपने प्रिय नायक-नायिकाओं का पदानुसरण करते हैं, तो इसके लिए पूर्णत: उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है । सारा दोष फिल्मों और फिल्म-निर्माताओं का है ।

फिल्मों ने हमारे सामाजिक जीवन को विकृत कर दिया है । इसमें सुधार लाने के लिए सामाजिक उद्देश्य प्रधान फिल्मों के निर्माण की आवश्यकता है । ऐसी फिल्मी ऊबाऊ नहीं होनी चाहिए, क्योंकि दर्शक वर्ग उनके प्रति आकर्षित नहीं होगा । इसलिए सामाजिक संदेश वर्ग उनके प्रति आकर्षित नही होगा । इसलिए सामाजिक संदेश की फिल्में भी मनोरंजन से भरपूर होनी चाहिए । मार्गदर्शन भी होना चाहिए ।

युवा वर्ग देश का भावी निर्माता है, उन पर फिल्मों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए उन फिल्मों का निर्माण होना चाहिए, जिनमें मनोरंजन और मार्गदर्शन दोनों का सम्मिलित पुट है । हिंसा की भावना समाज की प्रगति में बाधक है ।

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यदि सभी निराश युवक फिल्मी नायक की भांति कानून अपने हाथ में ले लेंगे तो हमारे देश में जंगल शासन लागू हो जाएगा । युवा वर्ग के अति संवेदनशील मस्तिष्क को सामाजिक और नैतिक गुणों से भरपूर फिल्मों के माध्यम से योग्य नागरिक के रूप में तैयार किया जा सकता है । यही समय है जबकि फिल्म निर्माता अपने दायित्व को समझें और अच्छी फिल्मों का निर्माण करें ।

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