भारतीय लोक गीत पर निबन्ध | Essay on Indian Folk Songs in Hindi!

मनुष्य की वास्तविक संस्कृति उसकी प्रथाओं-लोक नृत्यों, परम्पराओं, परम्परागत विश्वासों और लोक गीतों में अन्तर्निहित होती है । विश्व का कोई भी देश इसका अपवाद नहीं है ।

किसी भी वर्ग विशेष के सांस्कृतिक इतिहास का ज्ञान उसकी प्रथाओं, लोक विधाओं और गीतों को संकलित कर सहज ही लगाया जा सकता है । अपरिवर्तनीय रूप से जन-समुदायों के पास यह अमूर्त संस्कृति महान् संपदा है, जिसकी झलक उनके त्यौहारों और उत्सवों पर पाई जा सकती है ।

भारत विशाल देश होने के नाते विभिन्न बहुमूल्य लोक गीतों से भरा पड़ा है, ये गीत इस विशाल क्षेत्र पर बसे विभिन्न संप्रदायों की संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं । भारतीय लोक गीत पौराणिक और परम्परागत कथाओं से गुंथे हुए हैं जिस कारण इनकी मान्यता सर्वव्यापक है । पीढ़ी-दर-पीढ़ी ये लोक गीत विरासत में मिलते हैं ।

ये लोक गीत खुशी, दु:खों, ऐतिहासिक घटनाओं व पौराणिक कथाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं । हिमाचल प्रदेश के लोक गीत पंजाब और हरियाणा के लोक गीतों से सर्वथा भिन्न हैं । हीर-रांझा, शीरी-फरहाद, लैला-मजनूं की प्रेम कहानियाँ व परम्पराएँ अभी भी दूरवर्ती पंजाब के लोगों के होठों पर पाई जा सकती है । इन गीतों की संगत नृत्य व संगीतों से होती है ।

राजस्थान के लोक नृत्य अभी भी वही अनुभूति और शौर्य प्रदान कर रहे है जो मुसीबत के समय राजपूतों और उनकी स्त्रियों के द्वारा दिखाए गए थे । यहां तक कि एक निहायत डरपोक व्यक्ति भी राजस्थान के लोक गीतों को सुनने के पश्चात् अपने आप को साहसी और वीर महसुस करने लगता है ।

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ऐसा व्यक्ति, जो भगवान् कृष्ण और राधा तथा गोपियों के बारे में जानने की रुचि रखता है, वह उत्तर-प्रदेश की यात्रा द्वारा खासकर ब्रजभूमि जहाँ इन लोकगीतों को समय-समय पर मुख्य रूप से होली, दीवाली, दशहरा और रक्षा बन्धन आदि त्यौहारों पर, जब इनकी छटा निराली होती है, सुना जा सकता है ।

दक्षिण की तरफ जाने पर आप दक्षिण भारतीय लोक गीतों के संपर्क में आएंगे, यदि आप इन्हें नही समझ पाते फिर भी निश्चित रूप से आप उनकी मीठी स्वर लहरी का आनन्द उठा सकते है । उड़ीसा और बिहार जैसा माधुर्य असम और नागालैंड के भीतरी हिस्सों के लोक गीतों में भी झलकता है ।

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भारतीय संस्कृति इन विभिन्न प्रदेशों के लोक गीतों में बसे साकार स्वरूप के दर्शन व उनकी सूक्ष्म अन्तरात्मा द्वारा पहचानी व देखी जा सकती है । अप्रवीण व्यक्ति भी इनकी सादगी, भोलेपन और माधुर्य को समझ सकता है जो विभिन्न दृष्टिकोणों से समरूपता को लिए हुए है ।

जिन व्यक्तियों ने 26 जनवरी की गणतंत्र दिवस परेड देखी हो, वे पूर्णतया लोक गीतों की इस शोभा को अनुभव कर सकते हैं । भारत लोक गीतों के क्षेत्र में धनी है तथा इस कला का प्रसार दूसरे देशों में भी कर सकता है । विश्व स्तर पर कई देशों द्वारा सांस्कृतिक राजदूत विश्व को भारत के इस संचित धन से अवगत कराने तथा विश्व में आध्यात्मिक उत्थान और मनोरंजक उपलब्धियों की प्राप्ति में लोक गीतों के आदान-प्रदान के लिए एक दूसरे को प्रोत्साहित कर सकते हैं, क्योंकि मनोरंजक होने के अलावा इनकी आधारशिला शिक्षाप्रद भी है ।

वे आनन्द के साथ शिक्षा और शिक्षा के साथ आनन्द प्रदान करते हैं । इस बात को मद्देनजर रखते हैं कि इन लोक गीतों का भारतीय युवाओं की सांस्कृतिक गतिविधियों में सम्मिलित होना उनके जीवन की खुशहाली व सजीवता का प्रतीक होगा ।

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