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दूरदर्शन के द्‌वारा जन-जागृति पर निबंध | Essay on Awareness Through Television in Hindi!

आधुनिक युग विज्ञान का युग है । विज्ञान ने मनुष्य के जीवन को पूर्णरूपेण प्रभावित किया है । जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जो विज्ञान से अछूता है । विज्ञान के माध्यम से मनुष्य ने अभूतपूर्व उपलब्धियाँ अर्जित की हैं ।

विज्ञान की इन अभूतपूर्व खोजों के माध्यम से मनुष्य हजारों मील दूर बैठे अन्य व्यक्तियों से बातें कर सकता है, उसे देख सकता है । प्राचीन काल में महीनों व वर्षों में तय की जाने वाली दूरियों को वह आज कुछ दिनों व घंटों में तय कर सकता है । विज्ञान की इन्हीं अभूतपूर्व खोजों में दूरदर्शन भी ऐसी ही एक अनुपम उपलब्धि है जिसने मानव जीवन में एक क्रांति ला दी है ।

दूरदर्शन का आविष्कार सन् 1944 ई॰ में अमेरिका के महान वैज्ञानिक जॉन बेयर्ड ने किया था । वर्तमान में दूरदर्शन का विस्तार केवल विकसित देशों में ही नहीं अपितु विश्व के समस्त कोनों तक पहुँच गया है । संसार का शायद ही कोई देश ऐसा होगा जहाँ तक इसकी पहुँच न हो । हमारे देश भारत में इसका शुभारंभ 1959 ई॰ में दिल्ली में दूरदर्शन केंद्र की स्थापना के साथ हुआ । भारत के तत्कालीन राष्टपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद जी ने इसका उद्‌घाटन किया था ।

इसके पश्चात् सभी महानगरों मुंबई, कोलकाता, चेन्नई के दूरदर्शन केंद्रों के अतिरिक्त अन्य प्रमुख नगरों में दूरदर्शन उपकेंद्र स्थापित किए गए । विगत दो दशकों में दूरदर्शन की सेवाओं के विस्तार में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है । भारत की जनता ने इसे सहर्ष स्वीकृति दी है । देश के महानगरों, छोटे-बड़े शहरों के अतिरिक्त ग्रामीण अंचलों तक इसकी लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है । परिणामस्वरूप आज दूरदर्शन असंख्य परिवारों का एक आवश्यक अंग बन गया है ।

दूरदर्शन मनुष्य के लिए अनेक रूपों में उपयोगी सिद्‌ध हुआ है । यह मानव जीवन के लिए मनोरंजन का एक अद्‌भुत साधन है । दिन भर की थकान भरी कार्यशैली से हटाकर दूरदूर्शन मनुष्य को मानसिक शांति पहुँचाता है व उसके जीवन में सरसता का समावेश करता है । शिक्षा के प्रचार-प्रसार में भी दूरदर्शन अत्यधिक उपयोगी सिद्‌ध हुआ है ।

इसके अतिरिक्त चिकित्सा, कृषि, खेल-जगत आदि सभी क्षेत्रों में दूरदर्शन का महत्व है । कई चैनल केवल समाचार प्रसारित करते रहते हैं । इस तरह जनता को देश-विदेश की पल-पल की खबरें मिलती रहती हैं । यह दूरदर्शन की ही उपयोगिता का एक उदाहरण है कि मनुष्य लगभग ढाई लाख मील दूर चंद्रमा की सतह का चित्र प्राप्त करने में सक्षम हो जाता है । अत: टेलीविजन अथवा दूरदर्शन मनुष्य के लिए किसी जादुई छड़ी से कम नहीं है ।

जन-जागृति अभियान में टेलीविजन की उपयोगिता असीमित है । शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग ने असंख्य अशिक्षित भारतीयों को साक्षर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । सरकार द्वारा चलाए गए विभिन्न शिक्षा कार्यक्रमों द्वारा दूरदर्शन के माध्यम से सभी लोग घर पर रहकर भी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं ।

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प्राथमिक शिक्षा के प्रोत्साहन एवं उसकी अनिवार्यता के उद्देश्य की पूर्ति हेतु शिक्षा मंत्रालय धीरे-धीरे सभी स्कूलों में टेलिविजन सेटों की व्यवस्था कर रहा है । सितंबर 2004 में एक शैक्षिक उपग्रह के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण से टेलीविजन द्वारा गाँव-गाँव में शिक्षा के प्रचार-प्रसार का कार्य आरंभ हो चुका है । दूरदर्शन के माध्यम से कृषि जगत में भी विशेष क्रांति आई है ।

सभी कृषक इसके द्वारा आधुनिक कृषि उपकरणों, स्वस्थ बीजों तथा कृषि के आधुनिक एवं वैज्ञानिक विधियों से अवगत हो रहे हैं । खेती के लिए नई विधियों की जानकारी से ही आज हमारे देश की उत्पादन क्षमता में अभूतपूर्व सुधि हुई है जिसका सकारात्मक परिणाम यह है कि हम 100 करोड़ की जनसंख्या को भी अन्न उपलब्ध कराने में समर्थ हो गए हैं ।

टेलीविजन का पहले-पहल विस्तार केवल सरकारी क्षेत्र में दूरदर्शन के नाम से हुआ था । बाद में केबल टी. वी. के रूप में कई देशी-विदेशी निजी चैनल उभर कर सामने आए । इस तरह उपभोक्ताओं को अपनी-अपनी रुचि के अनुसार कार्यक्रम देखने के अवसर प्राप्त हुए ।

चिकित्सा के क्षेत्र में भी दूरदर्शन के प्रयोग ने जन-जागृति में विशेष उपयोगिता सिद्ध की है । देश की बढ़ती जनसंख्या हमारी प्रमुख राष्ट्रीय समस्या है । इस समस्या के निदान हेतु ‘ परिवार नियोजन ‘ की आवश्यकता पर विशेष जन-जागृति अभियान चलाया जा रहा है । प्रतिदिन दूरदर्शन पर इस संदर्भ में विशेष कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं ।

इसके अतिरिक्त अन्य स्वास्थ्य संबंधी जानकारियाँ भी उपलब्ध कराई जा रही हैं । इस प्रकार मनुष्य के शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक चेतना के विकास हेतु दूरदर्शन एक उपयोगी माध्यम है । दूरदर्शन का सकारात्मक दिशा में उपयोग संपूर्ण मानव समाज को उत्थान की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है ।

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