रंगों का संसार पर निबंध | Essay on a Colorful World in Hindi!

रंगों का संसार बड़ा ही विचित्र है । रंग हमारे जीवन के अभिन्न अंग है । इनसे जीवन में रूचि, विविधता और ताजगी बनी रहती है । बिना रंगों के तो जीवन नीरस और बेस्वाद हो जायेगा । हमारे आस-पास और वातावरण में रंगीन वस्तुएं जीवन को मोहक और सार्थक बनाती हैं ।

रंग-बिरंगे फूल-पौधे, नीला आकाश, सोने जैसा उगता हुआ सुरज, सतरंगी इन्द्रधनुष, कई रंगों की भरमार है । पशु पक्षी, वनस्पतियां सभी रंग में डूबे हुए-से लगते हैं । हमारे वस्त्रों के रंग भी कई तरह के होते हैं । उनको पहनकर कितना आनन्द आता है । रंगीन वस्तुओं को देखना और दिखाना आकर्षक लगता है ।

रंगीन वस्त्रों से हमारे व्यक्तित्व में एक नया निखार और आकर्षण आ जाता है । अलग-अलग व्यक्ति अलग-अलग रंग के वस्त्र पहनना पसंद करते हैं । हमारे घरों के रंग भी व्यक्ति की रुचि के अनुसार होते हैं । इसके अतिरिक्त हम अपने घर-बार को विभित्र रंगों के फूलों, पत्तों, वन्दनवारों, मांडणों, रंगोली आदि से सजाते हैं ।

हमारे सभी त्योहार रंग-बिरंगे होते है । होली तो है ही रंगों का त्योहार । उस दिन रंगों की जो धूम रहती है, वह तो सचमुच अद्‌भुत है । बसंत ऋतु में तो रंगों की जैसे बहार आ जाती हैं । रंग प्रकाश का एक धर्म है । सूरज की श्वेत किरण वस्तुत: सार रंगों का मिश्रण है ।

ये सात रंग इन्द्रधनुष में भी देखे जा सकते हैं । मुख्य सा तीन है- लाल, नीला और हरा । इनको प्राथमिक रंग कहते हैं । इनके मिश्रण से और अनेक रंग प्राप्त किये जा सकते हैं । इनके अलग-अलग अनुपात में मिश्रण से अलग-अलग रंग बनते हैं । इस तरह सैकड़ों तरह के रंग और उनकी छवियां हैं ।

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आइजक न्यूटन पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने सबसे पहले यह सिद्ध कर दिखाया कि प्रकाश की श्वेत किरण में सात रंग होते हैं । उन्होंने एक प्रिज्म में से प्रकाश की किरण को गुजारा और रंगों का स्पेक्ट्रम देखा । इन रंगों को फिर से मिलाने पर वही श्वेत प्रकाश बन जाता है ।

ये सात रंग हैं- लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, आसमानी और जामनी या बैंगनी । वस्तुत: प्रकाश के स्पैक्ट्रम में 100 से भी ज्यादा रंग होते हैं । लेकिन हमारी आखें केवल इन्ही सात रंगों को देख पाती हैं । अनेक पशु तो रंग को देख ही नहीं पाते । वे रंगों के प्रति अंधे होते हैं, अर्थात् वर्णांध । ये जानवर हैं बिल्ली, कुत्ता, बैल और खरगोश ।

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लेकिन मधुमक्खी, पक्षी, सांप आदि रंगों को देख-पहचान सकते हैं । हमारी आखों में दो तरह की रंग कोशिकाएं होती है । एक देखने में सहायता करती है, तो दूसरी रंगों को देखने और पहचानने में । यदि किसी व्यक्ति में रंगों को देखने वाली कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हों, तो वह विभिन्न रंग नहीं देख सकता । वह केवल सफेद और सलेटी जैसे रंग ही देख पायेगा ।

रात के अंधेरे में सब रंग और उनकी छटाएं खो जाती हैं । रंग के लिए प्रकाश का होना आवश्यक है । बिना प्रकाश के रंग की कल्पना भी नहीं की जा सकती । हमें हरी पत्तियां इसलिए हरी दिखाई देती हैं क्योंकि वे प्रकाश के हरे रंग को परावर्तित कर देती हैं, और अन्य रंगों को अपने में समा लेती हैं ।

गुलाब का गुलाबी रंग इसलिए गुलाबी है क्योंकि गुलाब का फूल गुलाबी रंग को परावर्तित कर देता है और अन्य सभी रगौं कं सोख लेता है । उगता हुआ सूरज लाल दिखाई देता है और आकाश नीला और सरसों के फूल पीले । यह सब प्रकाश और उसके रंगों का ही खेल है । रंगों का हमारे जीवन पर गहरा असर पड़ता है ।

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