नागार्जुन सागर परियोजना पर निबन्ध | Essay on Nagarjuna Water Project in Hindi!

आन्ध्र प्रदेश में नलगोण्डा एवं गुण्टूर जिलों को सीमा के पास प्राचीन नागार्जुन कोण्डा के समीप एक बहुउद्देशीय योजना के लिए कृष्णा नदी पर विशाल बांध बनाया गया है। यह स्थल यहाँ की राजधानी से लगभग 180 किलोमीटर दूर है ।

बाँध की लम्बाई बहुत है । इस बाँध में एक किनारे से दूसरे किनारे को जाने वाली सुरंगे हें । ये सुरंगे एक के ऊपर दूसरी बनी है । इस पार से उस पार इन सुरंगों में से जा सकते हैं । इन सुरंगों को बनाने का एक उद्देश्य है ।

बांधे में कभी-कभी किसी स्थान पर कमजोर दरारें आ जाती है । वहाँ से पानी टपकने लगता है । ऐसे स्थलों का पता लगाने पर इंजीनियर उन्हें मजबूत बना देते हैं । बाँध के ऊपर से सड़के बनाई गई है। यह सड़के नलगोण्डा जिले के विजयपुरी से गुटूर जिले को जोड़ती हैं हैदराबाद से गुंटूर जाने का यह मार्ग है ।

बाँध बन जाने से एक बहुत विशाल क्षेत्र पानी में डूब गया है । नागार्जुन क्षेत्र पानी में डूब गया है । नागार्जुन कोण्डा जहाँ ओचीय नागार्जुन का विश्व विद्यालय था, एक द्वीप के रूप में रह गया है । इस विश्व विद्यालय के बहुत से भवन जो खण्डहरों के रूप में रह गए थे पानी में डूब गए हैं ।

उन खण्डहरों से प्राप्त ऐतिहासिक सामग्री को नागार्जुन कोण्डा के संग्रहालय में लाकर एकत्रित कर दिया गया है । इसनागार्जुन कोण्डा पर संग्रहालय बनाया गया है । इसके वातायनों को सर्पाकार आकार दिया गया है । संग्रहालय तक पहुँचने के लिए अब मोटर नौका का प्रबन्ध है । पर्यटक संग्रहालय को अवश्य देखते हैं ।

नागार्जुन सागर बाँध से दोनों किनारों पर दो नहरें बनाई गई हैं । एक किनारे की नहर तेलंगाने के क्षेत्र में सिलाई के लिए उपयोग में आती है तो दूसरे किनारे की नहर आन्ध प्रान्त को जल की आपूर्ति करती है। इन नहरों का पर्याप्त लम्बा भाग भूमिगत होकर बाहर निकलता है । इन नहरों ने प्रदेश को हरा – भरा बनाने में बहुत सहयोग दिया है ।

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विद्युत उत्पन्न करने के लिए दोनों किनारों पर विद्युत घर बनाए गए हैं । ये विजली घर आन्ध्र प्रदेश की बिजली की समस्या को काफी हद तक पूरा करते हैं ।

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बांध के बन जाने से नागार्जुन सागर के किनारे बसा हुआ शहर विजयपुरी बहुत विकसित हो गया है । पर्यटकों के निरननर आते-जाते रहने से पर्यटन से सम्बन्धित उद्योग जैसे भोजनालय यातायात में पयाप्त अभिवृद्धि हुई है । यहाँ शिक्षा का भी केन्द्र है । प्रत्येक प्रकार के विद्यालय विजयपुरी में स्थित हैं ।

शिक्षा का केन्द्र बन जाने के कारण यहाँ की जनसंख्या में भी वृद्धि हुई है । बाँध के बनने से पूर्व कृष्णा नदी का पानी व्यर्थ बहकर समुद्र में चला जाता था । वर्षा ऋतु में नदी में बाढ़ आती थी । किनारे पर बसे हुए गाँवों को प्रतिवर्ष बाढ़ के समय कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था । फसल मारी जाती थी । किनारों को पर्याप्त हानि हो जाया करती थी ।

सिंचाई के साधन न होने से दुबारा फसल तैयार करना भी सम्भव न था । अब सिंचाई की व्यवस्था हो गई है । वर्षा का पानी नागार्जुन सागर में इकट्ठा हो जाता है। उस पर नियन्त्रण रहता है । आवश्कतानुसार पानी को नहरों में छोड़ा जा सकता है । अनावश्यक पानी नदी में भी छोड़ सकते हैं ।

बाँध बनने से जनता को बहुत लाभ हुआ है । इसके क्षेत्र हरे – भरे नजर आने लगे हैं। वर्ष में तीन फसलें उगाई जा रही हैं । किसानों की स्थिति सुधर गई हैं । इसी कारण चाचा नेहरू ने देश की बड़ी-बड़ी ऐसी योजनाओं के ‘ आधुनिक पूजा ग्रह ‘ की संज्ञा दी थी ।