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मेरी माँ पर निबंध | Essay for Kids on My Mother in Hindi!

मेरी माँ बहुत सुन्दर है, उसके बाल लम्बे और आँखें हिरणी जैसी सुन्दर हैं । देखने में पतली लेकिन पूर्ण स्वस्थ है । उस की आयु लगभग 35 वर्ष है । हमेशा अपने को व्यस्त रखती है ।

मैं अपनी शक्ति के अनुरुप अपनी माँ के कार्यों में सहायता करती हूँ । वह घर के सभी काम स्वयं करती हैं । सुबह सबसे पहले घर की सफाई करती हैं । भोजन स्वयं ही बनाती है और सब को प्यार से खिलाती हैं । कपड़ों को धोकर उन्हें प्रैस करके हमें पहनाती हैं ।


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शाम को हमारे साथ खेलती भी हैं । रामायण, महाभारत आदि धार्मिक ग्रन्थों और महापुरुषों की कहानियाँ भी सुनाती हैं । उसकी सोचने समझने की शक्ति बहुत अच्छी है । घर का खर्च भी अच्छी तरह चलाती है। घर में सुबह सबसे पहले उठती है और सबको सुलाने के बाद ही सोती है ।

उसे संगीत सुनना बहुत पसन्द है । संगीत के विषय में अच्छी जानकारी रखती है । वह स्वयं भी बहुत अच्छा गाती है । भजन गाना उन्हें बेहद पसन्द है । वह प्रतिदिन ईश्वर की पूजा करती है और तुलसी को जल चढ़ाती है । वह हमें देवी जैसी लगती है ।

घर का सारा काम बहुत तेजी और कुशलता से करती है । वह हमेशा प्रसन्न रहती है । हमारे शरीर और स्वास्थ्य की देखभाल एक नर्स की तरह करती है । छोटी-छोटी बीमारियों का एक डाक्टर की तरह इलाज भी करती है ।

मेरी माँ बी॰ ए॰ पास है । वह हमारी पढाई का भी बहुत ध्यान रखती है । हमें पढ़ाती और याद कराने का कार्य भी करती है । विद्यालय में जाकर हमारी कक्षा अध्यापिका से भी मिलती है और हमारी पढ़ाई की प्रगति के बारे में जानकारी लेती रहती है ।

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हमारी माँ हमें प्रसन्न देखकर बहुत प्रसन्न होती है । उनकी अस्त्रों से सदैव प्यार झलकता है । हमारा पालन-पोषण करने के साथ-साथ हमारी गलतियों को भी क्षमा कर देती है । किसी यूरोपियन का कथन है, ईश्वर के अस्तित्व में मेरा विश्वास नहीं है । परन्तु जब मैं किसी माँ को देखता हूँ तो सोचने लगता हूँ कि यदि सचमुच ईश्वर होगा तो अवश्य ही एक माँ जैसा होगा ।

इस कथन में उसने माँ के त्याग और नि:स्वार्थ प्रेम को प्रकट किया है । बच्चे की नजर में माँ की शक्ल चाहे जैसी भी हो उसकी माँ संसार की सबसे सुन्दर औरत है । मेरी माँ का सुन्दर साड़ियाँ पहनने का शौक है । उसके पास 50 साड़ियाँ हैं ।

किसी अवसर पर किस साड़ी को पहनना है, यह वह बहुत अच्छी तरह जानती है । वह करवा चौथ तथा अहोई को आभूषण से सुसज्जित होकर पूजा करती है । त्यौहारों के अवसर पर वह बढ़िया पकवान बनाती है । होली, दीपावली, दशहरा, जन्माष्टमी आदि सभी पर्व विधि विधान पूर्वक पूजन करके मनाती है ।

वह मेरी बहन और बुआ को सावन की तीज का सिंदारा देना नहीं भूलती । समय-समय पर उन के यहाँ उपहार भिजवाना नहीं भूलती । वह मेरे पिताजी का बड़ा आदर करती है, पर उसे उनका मदिरा पान करना कतई पसन्द नहीं है । इस बात को लेकर घर में कभी-कभी कहासुनी हो जाती है । अब मेरे पिताजी ने मदिरा पान करना लगभग छोड़ दिया है । अगर पीते होंगे तो घर से बाहर ।

वह घर पर आने वाले अतिथियों, पिताजी के मित्रों और हमारे साथियों का यथा संभव स्वागत करती है । वह घर आये अतिथि को भगवान मानती है । वह उन्हें कभी बोझ नहीं समझती । मैं यह समझती हूँ कि हमारे घर को सुख-पूर्वक चलाने में मेरी माँ की बहुत बड़ी भूमिका है । मुझे मेरी माँ पर गर्व है ।

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