मेरे प्रिय उपन्यासकार: मुंशी प्रेमचंद पर निबंध | Essay on My Beloved Novelist : Munshi Premchand in Hindi!

मुंशी प्रेमचंद एकरस होकर सामाजिक, राष्ट्रीय और धार्मिक परिस्थितियों का चित्रण करनेवाले, कहानी-कला के पारखी और संवेदनशील दूरदर्शी थे । वे अपने समय के सच्चे और सर्वोत्तम प्रतिनिधि तथा एक यथार्थवादी लेखक थे ।

उनकी उपन्यास-कला भी इतनी मँज गई थी कि वे ‘गोदान’ जैसा सर्वांगपूर्ण और भारतीय किसान जीवन का प्रतिनिधित्व करनेवाला विश्व-प्रसिद्ध उपन्यास देकर ‘उपन्यास सम्राट्’ कहलाए । प्रेमचंद का जन्म संवत् १९३७ में बनारस जिले के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था । उनके बचपन का नाम धनपतराय था । उनकी शिक्षा उर्दू और फारसी से आरंभ हुई । आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए उन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा पास की ।

इसके पश्चात् हिंदू कॉलेज में प्रविष्ट हुए और गणित में कमजोर होने के कारण कई बार इंटर की परीक्षा में असफल हुए । अंत में कॉलेज छोड़कर अध्यापक हो गए । कुछ दिनों बाद सहकारी शिक्षा विभाग में सब-डिप्टी इंस्पेक्टर बन गए ।

विद्याभ्यासी होने के कारण उन्होंने अंतत: बी.ए. की परीक्षा पास कर ली । सन् १९२० में उन्होंने राजनीतिक परिस्थितियों से प्रभावित होकर नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और स्थायी रूप से काशी में रहने लगे । बाद में यहीं से ‘हंस’ व ‘जागरण’ का संपादन करने लगे ।

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प्रेमचंदजी एक उच्च कोटि के साहित्यकार थे । लिखने का उन्हें व्यसन था । उपन्यास, कहानी, नाटक, जीवनियाँ इत्यादि की रचना करके उन्होंने हिंदी साहित्य-भंडार में अद्वितीय योगदान दिया । कुछ दिनों के लिए वे बंबई के फिल्म-क्षेत्र में भी रहे । स्वास्थ्य बिगड़ जाने के कारण वे पुन: गाँव लौट आए ।

सन् १९३६ (संवत् १९९३) में उनका स्वर्गवास हो गया । अपने जीवन काल में उन्होंने विपुल साहित्य रचा । उन्होंने कई पुस्तकों का सफल अनुवाद किया । अनूदित रचनाओं में उपन्यास, नाटक और कहानियाँ आती हैं । अनातोले के ‘टॉमस’ का अनुवाद ‘अहंकार’ नाम से किया । इलियट के ‘साइलस मार्नर’ का अनुवाद ‘सुखदास’ नाम से किया । ‘चाँदी की डिबिया’, ‘हड़ताल’, ‘न्याय’ तथा ‘सृष्टि का आरंभ’ उनके अनूदित नाटक है ।

‘आजाद कथा’ नाम से उन्होंने रतननाथ सरकार द्वारा लिखित ‘किसान-ए-आजाद’ का अनुवाद किया । ‘पिता का पत्र पुत्री के नाम’ अनुवादित ग्रंथ हैं । (संपादित ग्रंथ) मनमोदक, गल्प समुच्चय और गल्प-रत्न । (नाटक) संग्राम, कर्बला, प्रेम की बेटी तथा चंद्रहार ।

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(कहानी-संग्रह) सप्तसरोज, नवनिधि, प्रेमपूर्णिमा, बड़े घर की बेटी, लाल फीता, नमक का दारोगा, प्रेम पचीसी, प्रेम प्रसून, बैंक का दिवाला, प्रेम प्रमोद, प्रेम प्रतिमा, प्रेम द्वादशी, शांति, प्रेमतीर्थ, प्रेम चतुर्थी, अग्नि समाधि, पाँच फूल, सप्तसुमन, समर यात्रा, प्रेम कुंज, प्रेम सरोवर, प्रेरणा, पंच प्रश्न, नवजीवन, मानसरोवर (आठ भाग), कुत्ते की कहानी, हिंदी की आदर्श कहानियाँ, कफन, नारी जीवन की कहानियों, जंगल की कहानियाँ, प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ, प्रेम पीयूष आदि ।

(उपन्यास) सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि (दो भाग), कायाकल्प (अपूर्ण), निर्मला, प्रतिज्ञा, वरदान, गबन, गोदान, मनोरमा । (निबंध-संग्रह) स्वराज्य के फायदे तथा कुछ विचार । (जीवन-चरित्र) महात्मा शेखसादी, रामचर्चा, तलवार और न्याय, दुर्गादास ।

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