होली | Holi in Hindi!

होली का त्योहार रंगों का त्योहार है । इस दिन लोग एक दूसरे पर रंग फेंकते हैं तथा गुलाल लगाते हैं । ये रंग हर्ष, उल्लास, स्नेह और भ्रातृ – भाव के प्रतीक है । होली फागुन ( फाल्गुन ) के महीने में आती है ।

अत: यह त्योहार बसंत ऋतु के आगमन की सूचना भी देता है । जहाँ एक ओर होली के शुभ अवसर पर लोग हंसी-खुशी से नाचते और गाते हैं वहाँ दूसरी ओर प्रकृति भी चारों ओर अपना रंग-रूप बिखेर देती है। तरह-तरह के फूलों से बगिया महक उठती है । ऐसे में कोयल खुशी के मारे ‘कुहू-कुहू’ का स्वर करने लगती है ।

होली के त्योहार के साथ एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है । हिरण्यकश्यप राजा अभिमानी और अत्याचारी था । उसका अभिमान इस सीमा तक पहुँच चुका था कि वह अपने आप को भगवान समझने लगा था और लोगों को अपनी पूजा करने के लिए बाध्य करने लगा था । वह अपनी प्रजा पर तरह-तरह से अत्याचार करता ।

किन्तु उसका अपना पुत्र प्रहाद प्रभु भक्त था । वह अपने पिता को प्रभु मानने के लिए तैयार नहीं था । हिरण्यकश्यप ने प्रह्वाद को मनाने के बहुत प्रयास किये । किन्तु असफल रहा । राजा हिरण्यकश्यप की एक बहन थी – होलिका । होलिका को एक वस्त्र वरदान स्वरूप मिला हुआ था जिसके ओढ़ने से अग्नि के प्रभाव से बचा जा सकता था । होलिका ने एक चिता सजाई और वरदान वाला वस्त्र ओढ़कर बैठ गई।

अपने साथ उसने प्रह्‌लाद को भी ले लिया । उसका उद्देश्य था प्रहलाद की हत्या में अपने भाई की सहायता करना । चिता को आग लगाई गई । जैसे ही चीता की अग्नि तेज हुई होलिका का वस्त्र प्रभु भक्त प्रहलाद पर आ गिरा ।

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होलिका जलकर राख हो गई और प्रभु भक्त प्रहलाद बच गया । होलिका बुराई का प्रतीक थी । बुराई इसी तरह स्वत: नष्ट हो जाती है । होली के त्योहार में भी होली को जलाया जाता है । होलिका के जलाने में हम ईर्ष्या, पाप, बुराई और असत्य को जलाते हैं ।

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होली का त्योहार विचित्र दृश्य प्रस्तुत करता है । दावान का टोलियाँ नाचते, गाते और हुल्लड़ मचाते सुबह ही गलियों और बाज़ारों में दिखाई देने लगती है । लोग एक दूसरे पर पिचकारियों से रंग फेंकते हैं । एक-दूसरे पर गुलाल लगाते हैं और गले मिलते हैं। गले मिलने से वर्ष भर का वैर और वैमनस्य समाप्त हो जाता है । शत्रुता मित्रता में बदल जाती है । घृणा प्रेम का रूप ले लेती है । ऐसे मिलन पर मिठाइयाँ बांटी जाती है ।

होली हंसी और खुशी का त्योहार है । होली के अवसर पर लोग जी भर कर खुशियां मनाना चाहते हैं । हास्य व्यंग्य के कवि सम्मेलन होते हैं और झाकियाँ निकाली जाती है । जहाँ दूसरों से मजाक किये जाते हैं,वहाँ अपने पर मजाक करके दूसरों को हसाया जाता है । ‘ महामूर्ख सम्मेलन ‘ का आयोजन किया जाता है और नगर का कोई सम्मानित और प्रतिष्ठित व्यक्ति सहर्ष महामूर्ख बनना स्वीकार करता है ।

होली का त्योहार ऋतु पर्व के रूप में भी मनाया जाता है । किसान की फसलें पक जाती हैं । अपने श्रम का फल सामने देखकर किसान खुशी से फूला नहीं समाता ।

होली को ‘ अष्ठहिका ‘ पर्व भी कहते हैं । होली के अवसर पर जैन समुदाय के लोग आठ दिन तक सिद्ध चक्र की पूजा करते है । होली का त्योहार प्रेम, सद्‌भावना, मैत्री और समता का त्योहार है ।

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