Here is an essay on sports in India especially written for school and college students in Hindi language.

जिस प्रकार किसी मनुष्य के जीवन में शिक्षा का महत्व है उसी प्रकार किसी मनुष्य के लिए खेलों के महत्व को भी कम करके नहीं आंका जा सकता है । क्योंकि वर्तमान समय हो या प्राचीन, खेलों का अपना अलग महत्व रहा है ।

प्राचीन काल में भी खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से ही प्रतिभाओं की खोज की जाती थी और वर्तमान काल में खेल किसी व्यक्ति के लिए दौलत और शोहरत कमाने का माध्यम बन चुका है । भारत में मुख्यत: क्रिकेट पर बल दिया जाता है ।

जबकि भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है । क्रिकेट इंग्लैण्ड का राष्ट्रीय खेल होने के बावजूद भारत में सर्वाधिक देखा व खेला जाता है । भारत में क्रिकेट एक जुनून है जहां गली-मौहल्लों, पार्क आदि में क्रिकेट खेलते बच्चों को देखा जा सकता है ।

विश्व में भारतीय क्रिकेट टीम एक ऐसी टीम है जो दुनिया की अन्य किसी टीम के मुकाबले सर्वाधिक जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती है । लगभग छ: अरब की दुनिया में सवा अरब जनसंख्या में से चुने गये ग्यारह खिलाडी सवा अरब जनसंख्या की भावानाओं को पूरा करने का कार्य करते हैं ।

यही कारण है कि भारत में क्रिकेट खेलना सवा अरब लोगों की भावनाओं की कद्र करना भी है तभी तो भारत में क्रिकेट के प्रति जुनून देखने को मिलता है भारत का प्रत्येक क्रिकेट प्रेमी अपने देश की टीम को सदैव जीतते हुए देखना चाहता है तभी तो भारतीय क्रिकेट टीम के हारने पर सम्पूर्ण टीम की प्रतिकात्मक शव यात्रा तक निकाल दी जाती है ।

जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में क्रिकेट एक खेल न होकर एक जुनून है और क्रिकेट के इस जुनून की हद तो तब होती है जब भारत व पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच होता है जो क्रिकेट मैच न होकर मानों दो देशों के बीच युद्ध हो ।

ऐसा वातावरण देखने को मिलता है जो देश के क्रिकेट प्रेमियों का क्रिकेट के प्रति जुनून को दर्शाता है । भारत में क्रिकेट ही एक मात्र ऐसा खेल है जिसके खिलाड़ी रणजी मैच खेलते ही लखपति और अन्तराष्ट्रीय मैच में अच्छा प्रदर्शन करते ही करोड़पति बन जाते हैं ।

इसके अलावा जो अथाह पैसा विज्ञापनों के माध्यम से मिलता है । वो तो किसी भी खिलाड़ी के खेल और मानसिक संतुलन बिगाड़ने के लिए पर्याप्त है । भारत एक ऐसा देश है जो दुनिया की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए बहुत बड़ा बाजार है यही कारण है कि भारतीय क्रिकेटर बहुत कम समय में ही करोड़पति, अरबपति हो जाते हैं ।

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भारत में क्रिकेट के एक नये सस्करण आई॰पी॰एल॰ ने तो भारतीय क्रिकेट के मायने ही बदल दिये जो क्रिकेट के प्रत्येक क्षेत्र में अपना वर्चस्व बनाने में सफल रहा है चाहे वह खेल की दृष्टि हो या पैसा कमाने की दृष्टि से या लोकप्रियता की दृष्टि से और चाहे भ्रष्टाचार की दृष्टि से आई॰पी॰एल॰ ने प्रत्येक विभाग में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर दी ।

यहां तक की भारतीय राजनीति को भी आई॰पी॰एल॰ ने नहीं छोड़ा और विदेश राज्यमंत्री तक को आई॰पी॰एल॰ ने अपना पद छोड़ने को मजबूर कर दिया । भारतीय क्रिकेट का आई॰पी॰एल॰ ही था जिसने आई॰पी॰एल॰ आयुक्त तक को भी नहीं छोड़ा ।

उपर्युक्त घटनाओं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय क्रिकेट किस हद तक भारतीयों के दिलों दिमाग को प्रभावित करता है और भारत में क्रिकेट व क्रिकेटरों दोनों को कितना महत्व दिया जाता है । भारत में क्रिकेट के अलावा अन्य खेल भी हैं जो भारतीयों द्वारा देखे व खेले जाते हैं ।

लेकिन अन्य खेलों को भारत में कोई विशेष महत्व नहीं दिया जाता । जिसका कारण जो भी हो लेकिन एक बात साफ है कि भारत में खेलों को प्रोत्साहन देने के स्थान पर राजनीति अधिक की जाती है । जिसके पीछे एक मूल वजह है कि भारत में प्रत्येक खेल के संघ या एशोसिएशन के सर्वोच्च पद पर राजनीतिक लोगों का कब्जा है और जहां किसी भी जगह पर राजनीतिक लोग विराजमान हैं वे राजनीति करने से नहीं चूकते । वे भूल जाते हैं कि जहां वे राजनीति कर रहे हैं वह उनका राजनीतिक मंच नहीं है ।

यही कारण है कि भारत में खेलों का विकास नहीं हो पा रहा है अन्यथा दुनिया की सर्वाधिक दूसरे नम्बर की जनसंख्या रखने वाला देश ओलम्पिक और एशियाड में पदकों की सूखा से ग्रस्त है और हमारा पड़ोसी देश चीन दुनिया की सर्वाधिक जनसंख्या के साथ ही ओलम्पिक और एशियाड जैसे खेल आयोजनों में सर्वाधिक पदक जीतने वाले देशों में से एक है ।

नई दिल्ली को 19वें राष्ट्रमण्डल खेलों की मेजबानी मिली, सम्पूर्ण देश खुश हुआ कि देश के लिए गौरव की बात है कि वह एक अन्तराष्ट्रीय आयोजन की मेजबानी करेगा लेकिन जब खेलों की मेजबानी का वक्त आया तो हमारी आयोजन समिति व उसके कार्यकर्ता राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय मीडिया के निशाने पर थे ।

जब अन्तराष्ट्रीय मीडिया की दृष्टि खेल गांव व स्टेडियम पर गई तो देश की साख दाँव पर लग गई । अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने जितनी छवि बनाई थी वह छवि मात्र पन्द्रह दिन के खेल आयोजन के कारण धूमिल हो गई । कारण भी वाजिब था जब खेलों के उद्‌घाटन से मात्र दस दिन पहले तक स्टेडियम भी तैयार नहीं थे ।

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खेल गाँव में कोबरा साँप निकल रहे थे, तो राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय मीडिया ने हाय तौबा किया तब जाकर मामला प्रधानमंत्री के दरबार तक पहुंचा तो प्रधानमंत्री द्वारा वरिष्ठ आई॰ए॰एस॰ अधिकारियों की निगरानी समिति गठित कर आयोजन की तैयारियां पूरी की ।

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ऐसा नहीं था कि भारत एक गरीब देश है और खेलों के सफल आयोजन के लिए उसके पास पैसा नहीं था बल्कि सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है । शायद ही दुनिया के किसी अन्य देश में किसी अन्तराष्ट्रीय खेल आयोजन पर इतना पैसा खर्च हुआ हो जितना भारत में हुआ है ।

मीडिया रिपोट्रों के अनुसार भारत में राष्ट्रमडल खेलों के आयोजन पर लगभग सत्तर हजार करोड रूपये खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है । जिसमें आयोजन पर कम और आयोजकों की जेबों में अधिक पैसा जाने की बात कही जा रही है ।

जिसका पता लगाने के लिए सी॰बी॰आई॰ जांच के आदेश दिये गये और सी॰बी॰आई॰ ने आयोजन पूर्ण होने पर अपनी जांच शुरू की तो आयोजन समिति के कई अधिकारी सी॰बी॰आई॰ की गिरफ्त में है जांच जारी है

यहां तक कि आयोजन समिति के अध्यक्ष व सांसद सुरेश कलमाड़ी के निवास पर भी छापे पड़े जहां पर सी॰बी॰आई॰ को कुछ अहम दस्तावेज मिले बताया जाता है कि भारतीय खेल व्यवस्था का सबसे नकारात्मक पहलू यह है की यहां सरकार खेलों के लिए कोई विशेष योजना या प्रोत्साहन नहीं देती लेकिन उसके बावजूद भी अपने दम पर खिलाड़ियों का प्रदर्शन सराहनीय है ।

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राष्ट्रमण्डल खेल 2010 हो या एशियाई खेल 2010, दोनों में भारतीय दल का प्रदर्शन अपेक्षा से अधिक रहा और ऐसी स्पर्धाओं में भी पदक मिले । जिनमें कभी भारतीय खिलाड़ी दूर-दूर तक भी नजर नहीं आते थे । ये सब भारतीय खिलाडियों द्वारा की गई मेहनत ओर उनकी लगन का ही परिणाम था न कि भारतीय खेल व्यवस्था का ।

भारत में ऐसा नहीं है कि प्रतिभा की कमी है लेकिन अगर कमी है तो वह है भारतीय खेल व्यवस्था द्वारा सहयोग व प्रोत्साहन की । ऐसा नहीं है कि यह किसी एक खेल में हो रहा है बल्कि आमतौर पर सभी खेलों की हालत यही है जो बिना किसी सरकारी सहयोग व प्रोत्साहन के फल-फूल रहा है ।

उत्तर प्रदेश राज्य में एक ऐसा खेल महाविद्यालय भी है जो बिना किसी सरकारी सहयोग के अन्तराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार कर रहा है चाहे कबड्‌डी हो या कुश्ती या फिर बुशु सभी खेलों में उक्त कालिज के खिलाड़ी इस देश का नाम रोशन कर रहे हैं ।

लेकिन दुर्भाग्य इस देश के खिलाड़ियों का और ऐसे कालिजों का जो बिना किसी सरकारी सहायता के अपनी मेहनत और लगन के बल पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं । यदि सरकार का सहयोग मिल जाये तो हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि हमारे खिलाड़ी भी चीन व अमेरिका की तरह पदक तालिका में अग्रणी आ सकते हैं । उसके लिए आवश्यक है एक योजनाबद्ध तरीके से सरकार को कार्य करने की ।

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भारत सरकार व राज्य सरकारों को चाहिए कि वह एक निश्चित कार्य योजना बनाकर खेलों के विकास पर ध्यान दें जिसके लिए आवश्यक है कि सरकारें शिक्षा बजट की तरह खेल बजट का प्रावधान कर एक ऐसी योजना लागू करें कि जिससे स्कूल स्तर से ही ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों से बच्चों की रूचि के अनुसार व उनकी योग्यतानुसार खेलों का चयन कर उनको प्रशिक्षिण दिया जाना सुनिश्चित हो तभी खेलों के विकास को बल मिलेगा अन्यथा जो स्थिति पिछले वर्षों से बनी हुई है वही बनी रहेगी ।

क्योंकि बिना किसी सरकारी सहयोग के कोई खेल ऐसा नहीं है जिसमें कोई खिलाड़ी उन्नति कर सके । वर्तमान समय में प्रत्येक जागरूक अभिभावक अपने बच्चों को इंजीनियर बनाना चाहते हैं । लेकिन कुछ अभिभावक ऐसे भी हैं जो अपने बच्चों को खिलाड़ी बनना चाहते हैं ।

लेकिन उनके सामने समस्या यह है कि न तो उनके पास इतना धन है और न ही कोई राजनीतिक पहुंच है जो बच्चों को खेलों में अवसर दिला सके क्योंकि भारतीय खेल व्यवस्था में भारतीय राजनीतिक का भी महत्वपूर्ण योगदान है जो किसी भी खिलाड़ी को अर्स से फर्श पर और किसी भी खिलाड़ी को फर्श से शिखर पर पहुंचा देते हैं ।

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यही कारण है कि कुछ अभिभावक तो अपने बच्चों को खिलाड़ी बनाने के नाम से ही परहेज करते हैं । भारत में अगर कुछ अपवादों को छोड़ दे तो शायद ही ऐसा कोई खिलाड़ी होगा जो राजनीति का शिकार नहीं हुआ है चाहे वह खिलाड़ी किसी टीम स्पर्धा का हो या फिर व्यक्तिगत स्पर्धा का सभी को कहीं न कहीं राजनीति का शिकार होना पड़ा है यही कारण है कि भारत में खेलों के विकास पर कोई अधिक ध्यान नहीं दिया जाता अन्यथा सवा सौ करोड़ की आबादी के देश में ऐसे खिलाडियों की सूखा है जो देश को एशियाई व ओलम्पिक में पदक दिला सके ।

यह सूखा समाप्त हो सकती है बशर्तें देश की सरकार खेलों के विकास में ईमानदारी का परिचय दें और देश के अन्दर खेलों के विकास के लिए क्रांतिकारी कदम उठायें ताकि इस देश में अच्छे खिलाड़ी तैयार हो सके और खेलों के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना का श्रीगणेश हो ताकि देश को अच्छे खिलाडी मिल सके । तभी यह देश खेल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपब्धियां हासिल कर सकता है ।

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