Hindi Story on Forgetful Farmer!

भुलक्कड़ किसान |

एक किसान था, जो भुलक्कड़ था । उसके पास छ: गधे थे । वह उन गधों पर अपने खेत की फसल लादकर ले जाता और मंडी में बेचा करता । एक बार उसने गधों पर चावल के बोरे लादे और बाजार की ओर चल दिया ।

उसने मंडी में चावल बेचा और शाम को घर के लिए वापस लौटा । वह खुद तो एक गधे पर बैठा था तथा अन्य पांच गधों को हांक-हांककर आगे बढ़ा रहा था । रास्ते में उसने सोचा कि गधों को गिन लिया जाए कि कहीं कोई पीछे तो नहीं छूट गया ।

वैसे ही मेरी पत्नी मुझे भुलक्कड़ कहती रहती है, यह सोचकर उसने गधों को गिनना शुरू किया : ‘एक…दो…तीन…चार…पांच ! अरे पांच ही गधे !’ उसने दोबारा गिना, फिर तीसरी बार भी गिना : ‘अरे…वही पांच गधे ! छठा कहां गया ?’ वह गिनता रहा और परेशान होता रहा ।

एक बार भी उसने उस गधे को नहीं गिना, जिस पर वह स्वयं बैठा हुआ था । वह बुरी तरह परेशान हो गया । सोच-सोचकर कि आखिर छठा गधा गया कहां ? उसे याद था, सुबह जब वह घर से चला था तो छ: गधे थे । आखिर छठा कहां हो सकता है ? बाजार काफी पीछे छूट गया था ।

फिर भी वह मुड़कर बाजार की ओर चल पड़ा । रास्ते में उसने कई राहगीरों से भी पूछा कि क्या आस-पास कोई गधा देखा था, कार हर व्यक्ति ने यही कहा कि उन्हें कहीं कोई गधा दिखाई नहीं दिया । बेचारा उदास होकर तथा गधा मिलने की सभी आशाएं छोड्‌कर दोबारा घर की ओर चल पड़ा ।

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देर रात होने पर वह घर पहुंचा । उसकी पत्नी घर के बाहर खड़ी थी । वह अपने पति को देखते ही समझ गई कि वह कुछ परेशान है, हो न हो आज भी कुछ भूल आया है । यही सोचकर उसने पूछा : ”क्या बात है ? कुछ परेशान दिखाई दे रहे हो !”

”आज बड़ा नुकसान हो गया ।” किसान बोला: ”मेरे छ: गधों में एक गधा कहीं खो  गया । जब मैं घर से चला था तो पूरे छ: गधे थे । मगर जब बाजार से वापस लौट रहा था तो रास्ते में मैंने गधों की गिनती की तो एक गधा कम था ।

सैकड़ों बार गिना, मगर पांच ही गधे थे !” यह कहकर वह उस गधे से नीचे उतर आया, जिस पर वह बहुत देर से बैठा हुआ था । यह सुनकर उसकी पत्नी को बड़ा गुस्सा आया । उसके सामने छहों गधे खड़े थे । वह समझ गई कि क्या हुआ होगा ।

अत: क्रोधित होकर वह चिल्लाई- ”तुम तो निरे मूर्ख हो! तुमने उस गधे को तो गिना ही नहीं, जिस पर तुम स्वयं बैठे हुए थे! ये रहे हमारे छ: गधे ।” अब किसान की समझ में आया कि छठा गधा न मिलने का क्या कारण था । वह मुंह बाए अपनी पत्नी को देखता रहा । अपनी झेंप मिटाने के लिए उसने अपनी पत्नी से कहा : ”देखो, बात यह है ओक दिन भर की दौड़-धूप से मैं इतना थक जाता हूं कि बस कुछ याद ही नहीं रहता !”उसकी पत्नी मुस्कँराने लगी ।

निष्कर्ष : जल्दबाजी और घबराहट में काम बिगड़ जाता है ।

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