Hindi Story on a Man and a Donkey!

एक बूढ़ा, उसका बेटा और एक गधा |

एक बार एक आ और उसका पुत्र दोनों अपने गधे को साथ लेकर बाजार जा रहे थे । जब वे बाजार में एक स्थान पर खड़े कुछ लोगों के पास से गुजरे तो वे सभी लोग, जिनमें बच्चे भी सम्मिलित थे हंसने लगे ।

एक व्यक्ति बोला : ”भला इस गधे को बिना बोझ लादे ले जाने से क्या लाभ ? अरे तुम दोनों में से एक इस पर बैठ क्यों नहीं जाता ।” “अरे हां !” बूढ़ा आदमी बोला: ”आप ठीक कहते हैं । हमने इसके बारे में पहले नहीं सोचा था ।” यह कह कर बूढ़े ने अपने छोटे बेटे को गधे पर बिठा दिया और अपनी यात्रा आगे आरम्भ की ।

कुछ देर बाद जब वे एक गांव के पास से गुजरे तो कुछ गांव वाले उन्हें देखकर हंसने लगे । वे आपस में कहने लगे : ”अरे ! यह देखो । यह कामचोर लड़का तो आराम से गधे पर बैठा है और बूढ़ा बाप उसके पीछे पैदल चल रहा है । ऐ बदतमीज लड़के उतर नीचे और अपने बाप को बैठा गधे पर ।”

बूढ़ा उन गांव वालों की बातें सुनकर घबरा गया और अपने बेटे को गधे से उतार कर स्वर्य गधे पर बैठ गया । अभी वे कुछ और आगे बड़े थे कि एक कुए के किनारे खड़ी कुछ स्त्रियां चिल्ला उठीं : ”अरे ! इस निकम्मे बूढ़े को तो देखो ।

कैसा मजे में खुद तो गधे पर बैठा है और बच्चे को पैदल दौड़ा रहा है । बेचारा कैसा हांफ रहा है । ओ जुड़े, शर्म नहीं आती । खुद गधे पर बैठा है । बच्चे को भी गधे पर क्यों नहीं बिठा लेता ।” यह सुनकर बूढ़े ने बच्चे को भी गधे पर अपने पीछे बैठा लिया और आगे बढ़ा ।

बूढ़े ने सोचा, ‘चलो अब तो कम-से-कम कोई नहीं टोकेगा ।’ मगर उसका सोचना गलत था । वे अभी सौ गज ही आगे बड़े होंगे कि राजमार्ग पर खडे एक व्यक्ति ने उन्हें रोक लिया और बोला : ”क्षमा करें श्रीमान ! यह गधा आपका ही है ?” ‘हां है तो मेरा ही!” बूढ़ा बोला । “भला कौन सोच सकता है कि इस बेचारे गधे पर आप लोग इतना बोझ लादते होंगे !” यह कहकर वह व्यक्ति हसता हुआ आगे बढ़ गया ।

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अब बढ़ा गुस्से में बड़बड़ाने लगा : ‘समझ में नहीं आता कि करूं तो क्या करूं । गधे पर बोझ नहीं लादता तो लोग घूर कर देखते हैं । यदि हम में से कोई एक गधे पर बैठ कर यात्रा करता है तो बैठने वाले को धिक्कारते हैं । अगर हम बाप-बेटे दोनों गधे पर बैठ जाते हैं तो भी लोग हमारा उपहास करते हैं ।’

आ कुछ देर खड़ा सोचता रहा फिर उसने कुछ ऐसा करने की ठान ली जो किसी अन्य ने न किया हो । उसने गधे के चारों पैर रस्सी से एक साथ बांध दिए और गधे को उल्टा एक बांस के डंडे में लटका लिया । अब बांस का एक छोर बूढ़े ने अपने कंधे पर रखा और दूसरा लड़के के कंधे पर और दोनों बाजार की ओर चल दिए ।

बाजार पहुंचने के लिए नदी पर बने एक पुल से होकर गुजरना पड़ता था । डंडे पर लटका गधा देखकर पूरा कस्बा ही उमड़ पड़ा । सभी हंस रहे थे, चिल्ला रहे थे, तालियां बजा रहे थे । क्या नजारा था । एक अच्छा भला स्वस्थ गधा डंडे पर लटका कर दो व्यक्ति अपने कंधे पर ढो रहे थे ।

होना तो यह चाहिए था कि वे दोनों गधे पर चढ़कर यात्रा करते । लोगों की भीड़ और चिल्लाहट सुनकर गधा बुरी तरह हाथ-पैर मारने लगा । अचानक गधे के पैरों में बंधी रस्सी टूट गई और वह पुल से नीचे नदी में गिर गया और थोड़ी देर छटपटाने के बाद मर गया ।

बूढ़े ने नदी में एक बार देखा । गधा मर चुका था । उसने लड़के को गोद में उठाया और तेज कदमों से घर की ओर चल पड़ा । वह बहुत उदास था, मगर उसने कोई मूर्खता नहीं की थी । उसने तो भरसक प्रयत्न किया था सभी को प्रसन्न करने का, परंतु वह किसी एक को भी प्रसन्न नहीं कर पाया । उल्टे उसे अपने गधे से भी हाथ धोना पड़ा ।

निष्कर्ष: यदि आप सभी लोगों को प्रसन्न रखने का प्रयत्न करेंगे तो हो सकता है किसी को भी प्रसन्न न रख सकें

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