गांव के कुत्ते और शहरी कुत्ते |

एक बार गांव के कुछ कुत्ते शहर से होकर गुजर रहे थे कि शहरी कुत्तों के एक झुंड ने उन पर हिंसकहमलाकरदिया । गांव के कुत्ते भय से कांपते हुए अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी-अपनी दुम दबाकर भाग खड़े, मैं एककुत्ताऐसा भी था, जिसमें कुछ करदिखाने की हिम्मत थी ।

उसने बजाय भागने केपलट कर शहरी कुत्तों से भिड़जाने की तैयारी कर ली । उसकी दुम ऊपर की ओर चढ़ी हुई थी । भयँकर रूप से गुर्राता और अपने नुकीले दांतों को दिखाता वह उन सभी शहरी कुत्तों से लड़ने को तयार हो गया ।

उसका यह रौद्र रूप देखकर शहरी कुत्ते सहम गए । उन्होंने उसकी ओर बढ़ना बंद कर दिया । वे दूर खड़े गुर्राते रहे । मगर जब उन्होंने देखा कि उनका गुर्राना तथा उनकी बड़ी संख्या से भी गांव का कुत्ता नहीं डर रहा है तो वे धीरे-धीरे एक-एक कर पीछे हटते गए ।

निष्कर्ष: मुसीबत में डरें नहीं, हिम्मत से काम लें ।

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