Hindi Story on the Clever Jackal!

चालाक सियार |

एक था शेर । एक सियार उसका मंत्री था । शेर रोज अपने भोजन के लिए एक जानवर का शिकार करता था । इस शिकार में से एक हिस्सा सियार को भी मिलता था । मंत्री के रूप में सेवा करने की यही उसकी तनख्वाह थी ।

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एक दिन शेर बीमार हो गया । वह शिकार करने के लिए गुफा से बाहर नहीं जा सका । दो-तीन दिन तो बिना खाए बीत गए । मगर तीसरे दिन उसे जोरों की भूख लगी । उसने सियार से कहा, ”मुझे बहुत जोर की भूख लगी है, पर मैं शिकार के लिए बाहर नहीं जा सकता ।

तुम जाओ और किसी प्राणी को यहां ले आओ, ताकि उसे खाकर मैं अपनी भूख मिटा सकूं ।”  सियार ने अपने मन में विचार किया, “कोई जानवर अपनी खुशी से शेर के पास क्यों आएगा । अब क्या करूँ ?” बहुत विचार करने पर उसे एक तरकीब सूझी ।

उसने सोचा, “गधा सबसे बेवकूफ प्राणी है । मैं ब्ने हा धोखा देकर यहा ला सकता हूं ।” सियार गधे के पास गया अन्त्रें वोला, “गधे भाई, मैं तुम्हारे लिए एक खुशखबरी लाया हूं । जंगल के राजा शेर ने तुम्हें अपना मंत्री वनाने क्य निश्चय किया है तुम अभी मेरे साथ चलकर उनसे भेंट कर लो । महाराज फौरन ही तुम्हें तुम्हारा पद सौंप देना चाहते हैं ।”

यह सुनकर गधा बड़ा खुश हुआ । वह खुशी-खुशी सियार के साथ चल दिया । सियार बातों में उलझाए उसे शेर की गुफा में ले आया । उसे देखते ही भूखा शेर उस पर टूट पड़ा और उसे जान से मार डाला । उसके बाद सियार से बोला, ”मैं नदी में स्नान करके आता हूं । तब तक तुम इस शिकार का खयाल रखना ।”

शेर स्नान करने चला गया । सियार भी बहुत भूखा था । शेर के नदी से लौटकर आने से पहले ही उसने जल्दी-जल्दी गधे का दिमाग खा लिया । थोड़ी देर के बाद शेर वापस लौटा । उसने गधे की ओर देखकर कहा, ”अरे, इस प्राणी का दिमाग कहा गया ?” सियार ने मुस्कराते हुए कहा, ”महाराज, अगर गधे को दिमाग होता, तो क्या वह यहॉ आता ? गधे को तो दिमाग होता ही नहीं ।”

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