Hindi Story on the Power of Unity!

सेर पर सवा सेर |

एक समय की घटना है कि बहुत बड़ी संख्या में खरगोश एक स्थान पर एकत्रित हुए और उन्होंने अपने कष्टपूर्ण जीवन के विषय में विचार-विमर्श किया । ”इस संसार के जितने भी जीव हैं,” एक ने कहा: ”हम खरगोश उन सभी से अधिक कोमल हैं ।

हमें दूसरे सभी जानवरों तथा खूंखार पशु-पक्षियों से खतरा रहता है । हम सभी से भयभीत रहते हैं । हमसे कोई भी भयभीत नहीं होता । यहां तक कि मनुष्य भी हमारा मांस खाते हैं ।” तभी एक दूसरे खरगोश ने कहा : ”हाथी तो हमारा मांस नहीं खाते ।

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मगर हममें से कई भाई अनगिनत बार इन हाथियों के पैरों तले कुचले गए हैं ।” तीसरे खरगोश ने कहा : ”यह संसार हम जैसे दुर्बलों और लाचारों के लिए नहीं है । यहां केवल वही जीवित रह सकता है, जो शक्तिशाली हो । मुझे लगता है, हमारी समस्या का कोई हल नहीं है ।”

तब एक वृद्ध-सा दिखने वाला मगर अनुभवी खरगोश उठ खड़ा हुआ और कहने लगा: ”सुनो दोस्तो, हमारी समस्या का एक हल है । और यह हमारे सारे कष्टों को भी दूर कर देगा । हल यह है कि हम सभी सामूहिक रूप से नदी में कूद कर आत्महत्या कर लें ।

मृत्यु हमारे सारे कष्टों को दूर कर देगी ।” यह सुझाव सभी खरगोशों को पसंद आ गया । वे सभी पास बहने वाली एक नदी के किनारे आत्महत्या करने के लिए जमा हो गए । मगर आत्महत्या करने की अफरा-तफरी में उन्होंने इतना हो हल्ला किया कि नदी किनारे बैठा मेंढकों का एक झुंड बुरी तरह घबरा गया । सभी मेंढक भयभीत होकर पानी में कूदने लगे ।

यह देखकर बूढ़े खरगोश ने अपने साथियों को नदी में कूदने से रोकते हुए कहा : ”मेरे भाइयो ! हमें धैर्य रखना चाहिए और इस संसार में कुछ अधिक दिनों तक जीवित रहने का प्रयत्न करना चाहिए । हमें सोचना चाहिए कि कुछ ऐसे भी जीव हैं, जो हमसे भी अधिक दुर्बल हैं और हमसे डरते हैं । इस संसार में हर प्राणी किसी-न-किसी से डरता है ।”

निष्कर्ष: अपने को कभी कमजोर न समझो ।

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