Hindi Story on the Recipe of a Sage!

साधु का नुस्खा

किसी नगर में एक आदमी रहता था । उसने परदेश के साथ व्यापार किया । मेहनत फली, कमाई हुई और उसकी गिनती सेठों में होने लगी । महल जैसी हवेली बन गई । वैभव और बड़े परिवार के बीच उसकी जवानी बड़े आनंद से बीतने लगी ।

एक दिन उसका एक संबंधी किसी दूसरे नगर से आया । बातचीत के बीच उसने बताया कि उसके यहां का सबसे बड़ा सेठ गुजर गया । बेचारे की लाखोंकी धन-संपत्ति पड़ी रह गई । बात सहज भाव से कही गई थी, पर उस आदमी के मन को डगमगा गई ।

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हा उस सेठ की तरह एक दिन वह भी तो मर जाएगा । उसी क्षण से उसे बार-बार मौत की याद सताने लगी । हाय मौत आएगी, उसे ले जाएगी और सबकुछ यही छूट जाएगा ! मारे चिंता के उसकी देह सूखने लगी । देखने वाले देखते कि उसे किसी चीज की कमी नहीं है, पर उसके भीतर का दुख ऐसा था कि किसी से कहा भी नहीं जा सकता था ।

धीरे-धीरे वह बिस्तर पर पड़ गया । बहुतेरा इलाज किया गया, लेकिन उसका रोग कम होने की बजाय बढ़ता ही गया । एक दिन एक साधु उसके घर पर आया । उस आदमी ने बेबसी से उसके पैर पकडू लिए और रो-रोकर अपनी व्यथा उसे बता दी ।

सुनकर साधु हस पड़ा और बोला : “तुम्हारे रोग का इलाज तो बहुत आसान है ।” उस आदमी के खोए प्राण मानो लौट आए । अधीर होकर उसने पूछा : “स्वामीजी, वह इलाज क्या है !” साधु ने कहा : “देखो मौत का विचार जब मन में आए, जोर से कहो जब तक मौत नहीं आएगी, मैं जीऊंगा ।

इस नुस्से को सात दिन तक आजमाओ, मैं अगले सप्ताह आऊगा ।” सात दिन के बाद साधु आए तो देखते क्या हैं, वह आदमी बीमारी के चगुल से बाहर आ गया है और आनद से गीत गा रहा है । साधु को देखकर वह दौड़ा और उसके चरणों में गिरकर बोला : ‘महाराज, आपने मुझे बचालिया ।

आपकी दवानेअपरजादूका-सा असरकिया । मैंनेसमझ लिया कि जिस दिन मौत आएगी, उसी दिन मरूगा, उससे पहले नहीं ।” साधु ने कहा – “वत्स, मौत का डर सबसे बड़ा डर है । वह जितनों को मारता है मौत उतनों को नहीं मारती ।”

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