Unfair Opinion is Painful (With Picture) | In Hindi!

अनुचित राय कष्टकारी है |

एक धोबी था । उसने एक बकरा और एक गधा पाल रखा था । गधा उसके खूब काम आता था । वह उस पर बोझा ढोता था । इस कारण धोबी गधे का विशेष ध्यान रखता था । उसके लिए अच्छे दाने, घास की व्यवस्था करता था । गधा मजे में था । परंतु बकरे को धोबी बेचना चाहता था ।

वह उसे अच्छी कीमत पर बेचना चाहता था, परंतु उसे अभी ग्राहक नहीं मिला था । धोबी बकरे को रस्सी से बांध देता और उसके सामने रुखी-सूखी घास डाल देता । बकरा गधे के मजे देखकर जलता था । वह रोज गधे को मालिक की नजरों में गिराने का उपाय सोचता । अंत में एक दिन उसने एक उपाय सोच ही लिया ।

”गधे भाई।” बकरा गधे से बोला- ”तुम्हारी दशा पर मैं बहुत चिंतित हूं ।” ”मेरी दशा! यह क्या कह रहे हो? मैं तो मजे में हूं ।” गधे ने आश्चर्य से कहा- ”तुम क्यों चिंतित होते हो?” ”क्या खाक मजे में हो! मजे तो मेरे हैं । मैं जहां चाहता हूं, घूमता हूं, चरता हूं, मनमानी से उछल-कूद करता हूं । तुम्हें तो मालिक ने दुबला कर रखा है । तुम्हारी पीठ पर निशान बन गए हैं । बोझ के मारे तुम्हारी सुंदर पीठ झुक गई है ।” बकरे ने कहा।

”भाई, यह सब तो मुझे भी अखरता है ।” गधा उसकी बातों में आकर बोला- ”परंतु मैं क्या कर सकता हूं । यह सब तो सहना ही पड़ेगा ।” ”क्यों सहना पड़ेगा?” बकरे ने उसे उकसाते हुए पूछा । ”कोई उपाय जो नहीं है ।” गधा बोला । ”उपाय बहुत सरल है । मेरी बात मान लो । कुछ ही दिनों में तुम फिर से सुंदर व स्वस्थ हो जाओगे ।”

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”बताओ, मैं वही करूंगा ।” ”ऐसा करो । तुम बीमार होने का बहाना करो । किसी गड्ढे में गिर पड़ी, फिर मजे से कुछ दिन आराम करना । खाना-पीना मौज करना ।” बेचारा सीधा-सादा गधा बकरे की बातों में आ गया । वह जानबूझकर एक गड्‌ढे में गिर पड़ा, परंतु इसका फल उल्टा निकला ।

उसको सचमुच में गंभीर चोटें लग गईं । वह कराहने-रेंकने लगा । बकरा उसकी हालत पर बड़ा प्रसन्न हुआ । उसने देखा कि उसकी चाल सफल हो रही थी । मूर्ख गधा अपनी टांगें तोड़ बैठा था । धोबी बड़ा परेशान था । अब उसे सारा बोझ स्वयं ढोना पड़ रहा था । आखिर वह एक दिन एक वैद्य को बुला लाया ।

”वैद्यजी मेरा गधा गड्‌ढे में गिरकर घायल हो गया है । उसके बिना मुझे बड़ी परेशानी हो रही है । आप उसे शीघ्र अच्छा कर दें ।” धोबी ने वैद्य से कहा । ”ऐसा हो जाता है कभी-कभी! समय बड़ा बलवान है, परन्तु चिन्ता करने की कोई बात नहीं है ।”

वैद्य ने कहा- ”गधे को आराम की आवश्यकता है । आप इसे चार-छ: दिन आराम करने दें । इसके घावों पर बकरे की चर्बी की मालिश करो । यह शीघ्र अच्छा हो, जाएगा ।” इतना कहकर वैद्य चला गया । धोबी ने छुरी उठाई, वह अपने बकरे को काटकर उसकी चर्बी से गधे का उपचार करना चाहता था । यह देखकर बकरे के होश उड़ गए।

‘हे भगवान! यह मैंने क्या कर दिया!’ बकरा स्वयं को कोसने लगा- ‘यदि मैं गधे को ऐसी अनुचित राय न देता तो आज मेरी गर्दन नहीं कटती । मुझे यह नहीं मालूम था कि जो दूसरों को गड्‌ढे में गिराने की सोचता है, वह स्वयं भी इस चक्कर में फस जाता है ।’ इस तरह बकरा अपने ही बुने जाल में फंसकर मारा गया ।

सीख:

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बच्चो! इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी दूसरे को अनुचित राय नहीं देनी चाहिए । उसका परिणाम अच्छा नहीं होता ।

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