चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन (निबन्ध) | Essay on An Election Booth in Hindi!

भारतवर्ष विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है । इस देश की सरकार जनता के मत से चुनी जाती है । जनता को मत देने के लिये पोलिंग बूथ पर जाना पड़ता है । इस जनता द्वारा दिये गये मत से जिस प्रत्याशी को सर्वाधिक मत मिलते हैं, वे लोकसभा अथवा विधानसभा में जाकर सरकार बनाते हैं और सरकार देश का शासन चलाकर नागरिकों के कर्त्तव्यों को और अधिकारों को लागू करने के लिये नियम निर्धारण करते हैं ।

इस प्रकार सरकार किसी भी देश के भविष्य के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण होती है और यह दल अपने खास प्रत्याशी चुनवाकर उन्हें बहुमत दिलाने का प्रयास करती है । इसी को ‘ वोटिंग व्यवस्था ‘ कहते हैं । सरकार को चुनने के लिये चुनाव स्थलों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है ।

14 वीं लोकसभा के चुनाव के लिये इस वर्ष 19 अप्रैल की तिथि घोषित की गई थी । मेरे माता-पिता को भी वोट देना था । इस वर्ष वोटिंग ‘ इलेक्ट्रोनिक मशीनों ‘ द्वारा होनी थी और हमें भी बड़ा उत्साह था कि यह देख सकें कि सूची का भाग, क्रमांक, मकान नं, सूची का क्रमांक और नाम आदि की जानकारी किस प्रकार से रहती है । वहाँ से परची लेकर मतदाता स्थल पर जाता है ।

मतस्थल पर पुलिस व्यवस्था रहती है । एक-एक व्यक्ति को मतदेय स्थल पर अन्दर कमरे में जाने दिया जाता है । पहले टेबिल पर मतदान पार्टी का एक व्यक्ति मत देने वाले का नमा-पता जानकर उस लिस्ट से पुष्टि करता है ।

फिर आगे दूसरा मतदानकर्ता हस्ताक्षर करवाकर स्याही लगाता है और फिर तीसरा व्यक्ति मतदान अभिकर्ता उस मत देने वाले को वोटिंग मशीन का बटन दबाने के लिये गुप्त स्थल की ओर पहुँचाता है । वहाँ पर मतदान अभिकर्ता अपना वोट डालकर बाहर निकल आता है । इस प्रकार यह मतदान स्थल पर अन्दर की व्यवस्था रहती है ।

मतदान स्थल से दूर 200 मीटर में विभिन्न पार्टियों के पोलिंग एजेण्ट बैठे रहते हैं । वे लोगों को वोट देने जाने से पहले तरह-तरह के आकर्षण देते है । सुन्दर-सुन्दर पोस्टर लगाते हैं और इन पोस्टरों के द्वारा वे अपने प्रत्याशी के प्रचार के लिये बैनर लगाते हैं । इस बार हमने देखा वहाँ पर एक बैनर लगा हुआ था ‘ लक्ष्य अटल पर वोट कमल पर ‘ । एक दूसरे बैनर पर लिखा था सोनिया गांधी आयी हैं, नई रोशनी लायी हैं

दूसरा बैनर लगा था वोटिंग मशीन से कैसे वोट डाला जाता है ? हमने सुना था:

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” हुई पीं की आवाज

बस वोट पड़ गया

हुआ न कोई लाग डाँट

बस सहज में वोट पड़ गया

न बिजली का झंझट

न करंट का डर

न वोट भीगने की कठिनाई

बस आसानी से वोट पड़ गया । ”

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इस इलैक्ट्रानिक मशीन के द्वारा वोट पड़ने के कारण हमारे मुहल्ले में बड़ा उत्साह था ।

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मोहल्ले में एक बैनर लगा हुआ था जिस पर लिखा हुआ था:

कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ”

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इस प्रकार लुभावने बैनर, पोस्टर सब जगह दिखाई दे रहे थे । लोग दूर-दूर से झुण्डों के झुण्ड में वोट डालने बड़े उत्साह से आ रहे थे । कभी-कभी कार्यकर्त्ता वोटरों को खींचकर अपने-अपने प्रत्याशियों के बस्तों पर ले जाते थे । आपस में कहीं-कहीं विवाद और संवाद की स्थिति, कहीं-कहीं कोलाहल का दृश्य दिखायी दे रहा था ।

चुनाव मतदान स्थल पर लगी हुई मतदाताओं की लम्बी पंक्ति इस सत्य की प्रतीक थी कि भारत जैसे देश में भी लोकतंत्र के प्रति कितनी आस्था का भाव जीवित है । सामने एक दुकान पर हमने देखा कि कुछ लोग भोजन के पैकेट मतदाताओं को भी अपनी ओर आकर्षित करने के लिये दे रहे हैं । दूसरे दलों के कार्यकर्ता इस पर आपत्ति करने लगे तब वहाँ तू – तू – मैं – मैं होने लगी । पुलिस ने दौड़कर इस समस्या पर गंभीर रुख धारण किया ।

लोकतंत्र में जहाँ चुनाव का महत्त्व है वहीं वोट डालना भी प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है । अत: चुनाव आयोग को यह चाहिये कि वह स्वस्थ परम्पराओं का निर्वाह करते हुए निष्पक्ष चुनाव करवाये और पुलिस प्रशासन भी बिना भय के वोट डालने का, अपने कर्त्तव्य का निर्वाह करे । पोलिंग बूथ पर पहुँचकर अपने मत का निष्पक्ष और स्वतंत्रता से प्रयोग करना ही जनता का कर्तव्य है ।

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