भारत का महाशक्ति के रूप में उदय पर निबन्ध | Essay on Emergence of India as a Super Power in Hindi!

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द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर जब शक्तिशाली अंग्रेज साम्राज्य में सूर्यास्त होना शुरू हो गया तो विश्व ने अमेरिका तथा तत्कालीन सोवियत संघ जैसी दो नई महाशक्तियों को उभरते देखा ।

युद्ध-पश्चात् के परिदृश्य में संपूर्ण विश्व दो शक्तियों में बंट गया । एक पूर्वी शक्ति या सोवियत संघ के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट शक्ति और दूसरी, पश्चिमी शक्ति या अमेरिका तथा ब्रिटेन के नेतृत्व वाली प्रजातांत्रिक शक्ति थी ।

इससे पहले, युद्ध की समाप्ति के महीनों के दौरान जब ध्रुवीय शक्तियों की समाप्ति सन्निकट थी तथा सहयोगी शक्तियों ने युद्ध-पश्चात् विश्व की रूपरेखा तथा संयुक्त राष्ट्र के घोषणा-पत्र का प्रारूप बनाना प्रारंभ कर दिया, चार मित्र शक्तियाँ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस तथा सोवियत संघ सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किए गए क्योंकि युद्ध में जर्मनी एवं इसके सहयोगी देशों को हराने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी ।

चीन विश्व का सबसे बड़ा देश होने के कारण सुरक्षा परिषद् में एशियाई महादेश के प्रतिनिधि के रूप में पांचवे स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया । भारत, जो अभी तक अंग्रेजों के शासन से औपचारिक रूप से स्वतंत्र नहीं हुआ था, संयुक्त राष्ट्र संघ के 50 संस्थापक सदस्यों में शामिल था । ये पांच शक्तियाँ इस तर्क पर सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्य बनीं कि उनके पास प्रहारक क्षमता है तथा इन शक्तियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है ।

जिस समय ये सारी गतिविधियाँ चल रही थीं, महाशक्ति की होड़ शुरू हो गई जिसने लंबे समय के बाद शीत युद्ध का रूप ले लिया जो दशकों तक जारी रहा । अंतत:, यह शीतयुद्ध नब्बे के दशक में समाप्त हुआ जिसके शीघ्र बाद पूर्वी शक्ति एवं तत्कालीन सोवियत संघ का विघटन हो गया । पूर्व सोवियत संघ का स्थायी स्थान रूस को स्वत: चला गया जो अमेरिका के समान ही महाशक्ति था ।

इसके कारण अमेरिका पश्चिमी शक्ति का अग्रणी बना जो विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली देश है तथा उसे महाशक्ति, भू-मंडलीय पुलिस, एकमात्र निर्णायक आदि जैसे उपनाम मिले । विश्व अब एकध्रुवीय हो गया है जहाँ केवल अमेरिका की ही चलती है । किंतु इन सब चीजों के बावजूद विश्व में विभिन्न भागों में बहुत-सी छोटी शक्तियों ने भी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, नाभिकीय क्षमता जैसे नए आधार को तोड़ने की कोशिश करते हुए अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश जारी रखी ।

इस प्रकार जब अमेरिका की स्थिति महाशक्ति के रूप में स्थापित थी, ब्रिटेन, रूस तथा चीन ने भी अपनी शक्ति स्थापित की तथा भारत, दक्षिण अफ्रीका, इस्राइल, इराक, पाकिस्तान तथा उत्तरी कोरिया जैसी नई शक्तियाँ भी अपने क्षेत्रों में कुछ मामलों में शक्तिशाली बन कर उभरी ।

भारत ने हर क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण प्रगति की है तथा दूसरा सबसे बड़ा देश होने के कारण दक्षिण-पूर्व एशिया में एक शक्ति माना जाता है । इसने 1974 और 1998 में अपने नाभिकीय परीक्षण किए । इसकी सेना विश्व की चौथी सबसे बड़ी सेना है । इसने अंतरिक्ष में कई उपग्रह तथा बर्फीले अंटार्कटिक में कई अभियान दल भेजे हैं । इसके इन्सेट उपग्रहों ने सूचना क्षेत्र क्रांति ला दी है । इन्सेट-2 सी तथा आई.आर.एस.-1 बी भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण के दो ऐतिहासिक उपग्रह है ।

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भारत ने अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश और नाग जैसे प्रक्षेपास्त्रों के सफल परीक्षण कर प्रक्षेपास्त्रों की श्रुंखला तैयार कर ली है । हमारे प्रौद्योगिकीविद् औप्टीक फाइबर्स, ई-मेल, वी-सैटेलाइट, परम- 10,000, पेस (PACE) तथा अनुराग (ANURAG) के क्षेत्र में भी महारथी हैं ।

भारतीय चिकित्सकों ने कई रोगियों में मानव हृदय के सफल प्रत्यारोपन किए हैं । मानव शरीर में कुछ अन्य अंगों के प्रत्यारोपण भी अब दिनचर्या के रूप में होने लगे हैं । छोटे पड़ोसी देश संकट के समय सहायता और समर्थन के लिए भारत की आस लागाए रहते हैं । भारतीय शान्ति रक्षक सेनाओं का प्रदर्शन हर जगह बेहतर रहा है ।

भारत गुट निरपेक्ष (नाम) तथा समूह-15 का भी नेता है । इसलिए इसमें कोई शंका नहीं है कि भारत निकट भविष्य में विश्व की एक महाशक्ति की भूमिका निभाएगा । भारत में महाशक्ति बनने के सभी गुण हैं । भारत अब सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बनने की कोशिश कर रहा है ।

भारत कल्याणकारी देश है । महाशक्ति के रूप में इसका उदय अफ्रीकी-एशियाई देशों के हित में होगा । यह तीसरे विश्व के लिए लाभकारी होगा । यह गरीब देशों का शोषण नहीं करेगा । भारत गरीब देशों के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ, राष्ट्रकुल देशों के सम्मेलन इत्यादि जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में संघर्ष करेगा । यह विश्व अर्थव्यवस्था में गरीबी और असमानता जैसे नैतिक मुद्दों को उठाएगा ।

भारत महाशक्ति बनने के बाद अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में सच्चाई, शांति, मित्रता, स्वतंत्रता, समानता, अहिंसा इत्यादि के महान सिद्धांतों का अनुसरण करेगा । इस प्रकार, हम पाते हैं कि भारत का महाशक्ति के रूप में उदय संपूर्ण विश्व के लिए वरदान साबित होगा |

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