मेरी महत्त्वकांक्षा पर अनुच्छेद | Paragraph on My Ambition in Life in Hindi

प्रस्तावना:

अलग-अलग लोगों की भिन्न-भिन्न महत्वकांक्षा होती हैं । कुछ लोग बड़े धनवान बनना चाहते हैं । कुछ लोगे मान-सम्मान पाने के लिए नेता बनना चाहते हैं ।

कुछ अन्य वैज्ञानिक बनकर नाम कमाना चाहते हैं । बहुत-से ऐसे लगे हैं जो अपना नाम अखबार की सुर्खियों में देखने के लिए जोखिम भरे काम करते हैं । आजकल के अनेक युवा लड़कों और लड़कियों में विदेश जाने की धुन सवार हैं । जीवन में उनका एकमात्र लक्ष्य थोड़े ही समय में खूब धन कम कर ऐश उड़ाना है । मैं भी एक इंसान हूँ और इस नाते मेरी भी कुछ महत्वाकांक्षा है ।

मेरी महत्त्वकांक्षा:

मेरे जीवन की महत्त्वकांक्षा न तो धन में खेलने की है न शक्ति संचय की अथवा न कोई उच्च पद पाकर समाज में बड़ी हैसियत बनाने की है । मैं बड़े शालीन और संकोची स्वभाव क्य युवक हूँ । मेरी महत्त्वकांक्षा बडी सीधी-सीदी है । मैं निर्धनों और दलितों और जरूरतमन्द लोगों की सेवा में जीवन बिताना चाहता हूँ ।

अपनी किशोरावस्था से ही मुझे ऐसे लोगों की सहायता में बड़ा मजा आता है, जो किसी प्रकार के संकट में हों । अपने पड़ोसियों के कष्ट और रूदन को देख अनेक बार मैं अपना सारा काम-काज छोड़कर उनकी सहायता में जुट जाता हूँ और उनके दू:ख दूर करने में घंटों बिता देता हूँ ।

किसी व्यक्ति को कष्ट में देखकर मेरा हृदय रुदन करने लगता है । जिन्हें मेरी सहायता से कोई लाभ पहुंच सकता है मैं उनकी सहायता करने में मैं अपनी जान की बाजी तक लगा देता हूँ । अपनी सेवा और सहायता से केसी का उपकार करके मुझे बड़ा रक्त और सुख मिलता है । दूसरी क मदद करके मुड़ अपार मानसिक शांति मिलती है ।

डाक्टर बनने का मेरा संकल्प:

अपने इस स्वभाव के कारण मैंने पक्का इरादा कर लिया है कि मैं अपना समूचा जीवन लोगों के कष्ट करने और उनकी सेवा में लगाऊंगा । मेरी महत्त्वाकांक्षा एक कुशल डांक्टर बनना है । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मैं उच्चतर माध्यमिक परीक्षा को अच्छे नम्बरों से पास करके किसी अच्छे मेडिकल कलेज में प्रवेश करना चाहता हूँ । मैंने पक्का इरादा कर लिया है कि में डॉक्टर बनकर ही रहूँगा । अभी से मैं बड़े मनोयोग से उच्चतर माध्यमिक परीक्षा की तैयारी कर रहा हूँ ।

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मैट्रिक में मैं बड़े अच्छे अंकों से पास हुआ हूँ और मुझे भरोसा है मेडिकल कॉलेज में भी अवश्य प्रवेश पा लूँगा । मैं डॉक्टर तो बनूँगा, लेकिन ऐसा डॉक्टर नहीं जो दूसरो से अनाप-शनाप फीस लेकर दिन-पर-दिन धनी होते जाते हैं ।

मैं मरीजों को आकर्षित करने की चाले कतई नहीं खेलूँगा । मैं कसम खाता हूँ कि अपने मरीजो की गाड़ी कमाई को जबरदस्ती हड़पने की कभी कोशिश नहीं करूँगा । मुझे कुछ डॉक्टरो द्वारा अपने बीमार भाइयों को धोखा देते देखकर बडा दुःख होता है । मेरा यकीन है कि डॉक्टर का धर्म मानवता की सेवा करना है और मैंने डॉक्टर बनकर ऐसा ही करने का संकल्प लिया है ।

डॉक्टर बनकर मैं क्या करूंगा ?

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डॉक्टर बनकर मैं अपने मरीजों से दवा और फीस के रूप में केवल उचित धन ही लूँगा । मैं अपने लिए अधिक धन-सम्पत्ति एकत्र नहीं करना चाहता । मुझे केवल अपने जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए ही धन चाहिए ।

अधिकाधिक मरीजों का इलाज करके मुझे बड़ी आसानी से इतना धन मिल जायेगा । मैं डॉक्टर के रूप में कड़ी मेहनत करुंगा । अपने दरवाजे पर आए मरीजों की देखभाल करने में मैं न दिन देखूँगा और न रात । मैं बड़े मनोयोग से डॉक्टरी के क्षेत्र में नए-नए अनुसधानों अवगत रहूँगा और अपने मरीजो का इलाज करने में नई-से-नई और अच्छी अच्छी दवाओं का इस्तेमाल करूँगा । मुझे यकीन है कि ऐसा करके मैं मानवता की सच्ची सेवा कर सकूँगा ।

उपसंहार:

मेरे उपर्युक्त कथन से रयँष्ट है कि मानवता की सेवा ही मेरा लक्ष्य है । मैं धन के पीछे कभी नहीं भाग्तॉ । मैं सदैव गरीबों और जरूरतकदो की सेवा करूँगा और रोगियों का कष्ट दूर करने की कोशिश करूँगा । ईश्वर से प्रार्थना है कि वह मुझे इस कार्य में सहायता दे ।

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