देह प्रदर्शन एवं वर्तमान नारी पर निबंध | Essay on Vulgarity and Women in Hindi!

आजकल फिल्म विज्ञापन, दूरदर्शन, समाचार पत्र-पत्रिकाओं आदि जनसंचार के साधनों के माध्यम से नारी को जिस तरह से प्रस्तुत किया जा रहा है, उसे देखकर शर्म से नजरें नीची हो जाती है ।

लज्जा नारी का आभूषण है, तो फिर ऐसी क्या मजबूरी है कि नारी देह प्रदर्शन कर रही है । नारी के देह प्रदर्शन के लिए कौन उत्तरदायी है? स्वयं नारी, उसका परिवार या समाज । रील लाइफ के प्रभाव से भी देह प्रदर्शन की प्रवृति बढ़ती जा रही है ।

नारी आज विज्ञान, कला, प्रशासन, राजनीति, धर्म, समाज सेवा, शिक्षा, संगीत, व्यापार, खेल, नृत्य, अभिनय आदि सभी क्षेत्रों में प्रतिभा का प्रदर्शन करने का संबंध देह प्रदर्शन से नहीं है । फिर भी नारी देह प्रदर्शन कर रही है आखिर क्यों?

व्यावसायिक दृष्टिकोण:

रील लाइफ और रियल लाइफ में नारी आर्थिक लाभ के लिए देह प्रदर्शन करती है । फिल्म, दूरदर्शन, मॉडलिंग, फैशन शो, नृत्य, सौंदर्य, प्रतियोगिताओं, विज्ञापन आदि में देह प्रदर्शन से नारी को अर्थ की प्राप्ति होती है । साथ ही प्रतिष्ठा व लोकप्रियता भी मिलती है । भौतिकवादी दृष्टिकोण के कारण देह प्रदर्शन को बढ़ावा मिलता है ।

दूसरों को आकर्षित करने की इच्छा:

हर इंसान की चाहत होती है कि दूसरे व्यक्ति उसकी तरफ आकर्षित हों तथा उसकी प्रशंसा करें । दूसरों को आकर्षित करने के लिए नारी आकर्षक वेशभूषा धारण करती है, आभूषण पहनती है, सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल करती है, लेकिन वह इन सबसे अधिक महत्व देती है देह प्रदर्शन को । समलिंगी व विषमलिंगी को आकर्षित करने के लिए देह प्रदर्शन किया जाता है, जबकि वास्तविकता यह है कि सिर्फ देह के कारण नहीं, बल्कि व्यक्ति के व्यक्तित्व के कारण आकर्षण होता है ।

आधुनिकता का प्रतीक:

जो नारी देह प्रदर्शन करती है वह आधुनिक होती है, और जो ऐसा नहीं करती है वह पिछड़ी हुई होती है, यह धारणा प्रबल होती जा रही है । आश्चर्य तो तब होता है, जब लड़कियों के देह प्रदर्शन को माता-पिता का समर्थन प्राप्त होता है । माता-पिता लड़कियों को ऐसी ड्रेस खरीदकर देते हैं । और यदि शिक्षण संस्था, कार्यस्थल तथा समाज में ऐसी वेशभूषा धारण करने पर आपत्ति की जाती है तो उसका विरोध किया जाता है.

इतिपूर्ति की इच्छा:

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हर नारी देह प्रदर्शन को अच्छा नहीं मानती है, बल्कि कुछ नारियाँ ही देह प्रदर्शन करती हैं । एक क्षेत्र में कमी की व्यक्ति दूसरे क्षेत्र में पूर्ति करने का प्रयास करता है । जो नारी किसी अन्य क्षेत्र में प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं कर पाती है, तो उसमें हीनता की भावना आ जाती है ऐसी नारी अंग प्रदर्शन करके स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने का प्रयास करती है ।

युवा दिखने की चाहत:

हर नारी चाहती है कि वह युवा दिखे । यह कहा जाता है कि नारी से कभी भी उनकी उम्र नहीं पूछना चाहिए । युवा दिखने के लिए नारी कास्मेटिक सर्जरी करवाती है, ब्यूटी पार्लर जाती है, सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल करती है और ऐसी वेशभूषा धारण करती है, जिसमें देह प्रदर्शन हो ।

संगति का प्रभाव:

यदि कोई नारी ऐसे व्यक्तियों की संगति में रहती है, जो प्रदर्शन को बढ़ावा देते हैं, तो बुरी संगति के कारण वह भी देह प्रदर्शन करने लगती है । परिवार, पड़ोस, मित्र, शिक्षण संस्था, सामाजिक संस्था, कार्यस्थल आदि स्थानों पर यदि बुरे व्यक्तियों की संगति हो जाती है जो चरित्रहीन हैं तो नारी भी देह प्रदर्शन कर सकती है ।

सामाजिक दबाव:

कभी – कभी नारी पर देह प्रदर्शन के लिए सामाजिक दबाव रहता है । यह कार्य वह स्वेच्छा से नहीं करती है । कुछ प्रोफेशन ऐसे होते है जहाँ उनको ऐसी वेशभूषा पहननी होती है जिसमें देह प्रदर्शन होती है । समाज के चंद व्यक्ति स्वयं के आर्थिक लाभ के लिए नारी का इस्तेमाल करते हैं ।

सुन्दरता का पैमाना:

देह प्रदर्शन को नारी सुन्दरता का पैमाना मानती है । यदि ऐसी नारी से पूछा जाए कि तुम देह प्रदर्शन क्यों करती हो, क्या तुमको लज्जा नहीं आती है तो उसका जवाब होता है कि आकर्षक देह है, तो हम उसका प्रदर्शन कर रहे हैं । पुरुषों के पास क्या हैं जिसका प्रदर्शन करे । यदि नारी पूरा तन ढक लेगी तो उसे सुन्दर कौन मानेगा । वास्तव में सुन्दरता का पैमाना सिर्फ देह नहीं बल्कि व्यक्ति का स्वभाव, व्यवहार और चरित्र होता है ।

उच्च महत्वाकांक्षा:

आज की नारी घर की चहारदीवारी में कैद रहना पसंद नही करती है । नारी कामकाजी हो या गृहिणी, उनकी रुचियों व कार्य का दायरा व्यापक हो गया है । महत्त्वाकांक्षी होने के कारण आज की नारी पुरुषों के दबाव में रहकर कार्य करना पसंद नही करती है । यदि देह प्रदर्शन से वह कुछ हासिल कर पाती है तो नारी को इसमें कोई बुराई नजर नहीं आती है ।

समय की माँग:

अब जमाना बदल गया है, व्यक्ति की सोच में तेजी से परिवर्तन आ रहा है । पाश्चात्य देशों में देह प्रदर्शन को बुरा नहीं माना जाता है । लेकिन भारतीय संस्कृति में नारी के देह प्रदर्शन को हेय दृष्टि से देखा जाता है लेकिन आधुनिक नारी इस विचारधारा को स्वीकार नहीं करती है । नारी का तर्क यह होता है कि यह तो समय की मांग है या फिल्मी दृश्य की मांग है तो फिर देह प्रदर्शन अश्लील नहीं है ।

देह प्रदर्शन के दुष्प्रभाव

देह प्रदर्शन स्वेच्छा से किया जाए या सामाजिक दबाव के कारण, लेकिन उसके दुष्प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है । नारियों से छेड़छाड़, अश्लील हरकतें, बलात्कार, यौन अपराध, देह व्यापार आदि बुराईयों की जड़ देह प्रदर्शन है । यदि पुरूषों से यह पूछा जाए कि क्या नारी के देह प्रदर्शन से तुम को लज्जा महसूस नहीं होती है ।

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तो उनका तर्क होता है कि जब नारी को देह प्रदर्शन करने में लज्जा नहीं आती है तो हमको देखने में लज्जा क्यों आएगी? देह प्रदर्शन करने वाली नारी को समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता है । ऐसी नारी को सिर्फ देह मानकर उसे इस्तेमाल किया जा रहा है ।

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आजकल माता-पिता के लिए लड़की की परवरिश करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है क्योंकि यौन अपराधों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है । माता-पिता सोचते हैं कि यदि हम बेटी की इज्जत की रक्षा न कर पाए तो बेटी को जन्म देने का क्या फायदा होगा? माता-पिता की यह सोच कन्या भ्रूण हत्या का महत्त्वपूर्ण कारण है जो नारी आर्थिक लाभ के लिए अंग प्रदर्शन करती है उसका यौवन व आकर्षण समाप्त हो जाने पर वह कुंठित हो जाती है । विषादग्रस्त होकर वह आत्महत्या भी कर सकती है ।

नारी देह के प्रति पुरूषों का आकर्षण यौवनावस्था में होता है, इसमें स्थायित्व नहीं होता है । ऐसी नारियाँ आकर्षणहीन हो जाने पर स्वयं को एकाकी महसूस करती है तथा कई प्रकार के मानसिक रोगों से ग्रस्स हो जाती है ।

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नारी बहुमुखी प्रतिभा की धनी है, वह स्वयंसिद्धा है । आज की नारी हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही है । किसी भी क्षेत्र में प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए नारी को देह प्रदर्शन करने की आवश्यकता नहीं है । नारी सिर्फ देह नहीं है, उसे स्वयं की भोग्या की छवि को बदलना होगा । प्राचीन समय में जो अभिनेत्रियाँ थी क्या वह देह प्रदर्शन करती थी । उनको सिर्फ उनकी अभिनय कला के आधार पर आज भी याद किया जाता है ।

चंद नारियों के देह प्रदर्शन से सम्पूर्ण नारी जगत की छवि धूमिल होती है । जो दिखाई देता है उसके प्रति आकर्षण अस्थाई होता है, लेकिन जो नहीं दिखता है उसके प्रति आकर्षण चिरस्थायी होता है । आकर्षण आवरण के प्रति होता है, अनावरण के प्रति नहीं । देह प्रदर्शन की प्रवृत्ति ही यौन अपराधों पर अंकुश लगा सकती है ।

जो नारियाँ फिल्म, दूरदर्शन पत्रिकाओं, फैशन-शो, विज्ञापन, मॉडलिंग, सौन्दर्य, प्रतिस्पर्धा में अंग प्रदर्शन करती है या आयटम गर्ल के रूप में सम्पूर्ण नारी जगत कलंकित हो रहा है अत: ऐसी नारियों का विरोध करने का दायित्व सम्पूर्ण नारी जगत का है । जब भारतीय नारी स्वयं की अस्मिता की रक्षा करने में समर्थ हो जाएगी, तभी सही मायने में महिला सशक्तिकरण का सपना साकार होगा ।

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