विज्ञापनों में वस्तु-संबंधी भ्रामक सूचनाएँ पर निबन्ध | Essay on Misleading Information About Products in Advertisements in Hindi!

प्रत्येक व्यक्ति विज्ञापनों की चकाचौंध से आकर्षित हो जाता है । जन संचार के सभी माध्यमों – समाचार-पत्र, पत्रिका, रेडियो और टेलीविजन पर प्रदर्शित रंगीन विज्ञापन व्यावसायिक दृष्टि से सफलता प्राप्त कर रहे हैं । जिन वस्तुओं का संबंध हमारी दैनिक आवश्यकताओं से नहीं होता है, उन्हीं के प्रचार को आकर्षित किया जाता है ।

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कम्प्यूटर रंगीन टेलीविजन, लोगों फैशनेबल वस्त्र, पेय पदार्थ, कपड़े धोने के पाउडर, साबुन आदि इनमें शामिल है । आकर्षक प्रचार के कारण उपभोक्ता इन वस्तुओं को खरीदने के लिए लालायित हो जाते हैं और अपने गाढ़े पसीने की कमाई को लुटा देते हैं ।

परन्तु जब ये पदार्थ हमारी आशाओं पर पूरा नहीं उतरते तो हमें निराशा होना पड़ता हैं । विज्ञापनों में प्रचारित भ्रामक सूचनाएँ उपभोक्ता को आकर्षित करती हैं । वस्तु के खराब निकलने पर उपभोक्ता ऐसी वस्तुओं को न खरीदने की कसम खाता है, लेकिन कुछ समय बाद पुन: प्रचार अभियान का शिकार हो जाता है ।

इसके लिए यह आवश्यक है कि ऐसे सभी उत्पादनों के विषय में भ्रामक सूचनाएं प्रचारित न की जाए । इन विज्ञापनों के जनता तक पहुँचने से पहले इनकी जाँच करना आवश्यक है । ऐसे अधिकांश विज्ञापनों में सुन्दर चेहरों के माध्यम से उत्पाद को लोकप्रिय बनाने की कोशिश की जाती है । आप ही सोचें, एक टायर के विज्ञापन के साथ अर्द्धनग्न युवती का क्या काम अथवा शराब, सिगरेट या पुरुष-वस्त्रों के विज्ञापन में लड़की को दिखाए जाने में क्या तुक है ।

विज्ञापनों के माध्यम से नारी का शोषण किया जाता है, ऐसे विज्ञापन सुन्दर चेहरों के कारण ही बिकते हैं । विज्ञापनों के लिए सरकार को कुछ नियम निर्धारित करने चाहिए । उनमें अश्लीलता को स्थान कदापि नहीं मिलना चाहिए । विज्ञापनों मैं प्रदर्शित अधिकांश सूचनाएं इस्तेमाल करने पर गलत साबित होती हैं । इससे हमारी मानसिकता को भी धक्का पहुँचता है ।

जनता को भी इस विषय में जागरूक होने की आवश्यकता है । भ्रामक सूचनाओं के विरुद्ध उन्हें कुछ न कुछ कदम अवश्य उठाने चाहिए । अनुचित और झूठी सूचना देने वाले विज्ञापन दाताओं के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, तभी इस समस्या को सुलझाया जा सकता है ।

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