जंगल की यात्रा पर अनुच्छेद | Paragraph on Journey to Forest in Hindi

प्रस्तावना:

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एक बार हम चार मित्रो ने अलकनन्दा के प्रसिद्ध मंदिर की सैर करने का निर्णय किया । यह मन्दिर हमारे शहर से लगभग 16 किलोमीटर दूर है । रास्ता घने जंगल से होकर जाता था ।

उससे निहत्थे गुजरना खतरनाक हो सकता था । हमें यह सब अच्छी तरह ज्ञात था, फिर भी हमने जगल से होकर पैदल ही जाने का इरादा किया । हाथों में बांस के डंडे ले लिए । मेरे एक साथी के पास बन्दूक का लाइसेन्स था । अत: हमने फैसला किया कि वह सुरक्षा की दृष्टि से अपनी बन्दूक भी साथ ले चले ।

यात्रा की तैयारी:

हमने यात्रा की तैयारी रात को कर ली थी । प्रत्येक ने एक-एक बोतल पानी की अपने साथ ले ली और एक थैले में एक-एक जोड़ी कपड़े और तौत्नियां तथा कुछ खाने-पीने का सामान रख लिया । एकदम सुबह ही हमें यात्रा के लिए निकलना था । तैयारी पूरी करके हम सो गए और सुबह उठकर मंजन-कुल्ला आदि से निवटकर यात्रा पर निकल पड़े ।

यात्रा का दृश्य:

सुबह ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी । पेड-पौधे सभी हिलकर बडी मधुर धुन पैदा कर रहे थे । वृक्षों और झाडिएयो का दृशय बड़ा आनन्ददायक और रोमांचकारी लग रहा था । हम सभी का हृदय प्रसन्नता से भर उठा । सूरज की किरणें धीरे-धीरे निकल रही थीं । धूप पेडों से छन कर ऑख-मिचौनी करती दिखाई दे रही थी ।

प्रकृति के अनुपम दुश्य देखते हुए हम सब आत्म-विभोर हो उठे और आगे बढते रहे । हम सब विभिन्न यात्राओं के अपने-अपने अनुभव सुनाते हुए बड़े प्रमुदित थे । इस प्रकार हम लगभग 5-6 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके और घने जंगल में प्रवेश कर गए ।

सिंह के एक जोड़े से भेंट:

हम घने जंगल से गुजर रहे थे । यहा पेड़-पौधे और झाडियाँ इतनी घनी थीं कि अंधेरा-सा लगने लगा । कभी-कभी हम झाडियों में उलझ जाते और अपने को छुड़ाकर आगे बढ़ जाते । कहीं-कहीं पेडों की डालियों और झाडियों से रास्ता एकदम बन्द-सा लगता । बड़ी कठिनता से पगड़ी का ख्याल रखते हुए हम उनसे आगे बढ़ पाते ।

अभी हम दो-तीन किलोमीटर ही और आगे बढ़ पाये थे कि हमने सिंह का भीषण गर्जन सुना । सारा जगल सिंह की दहाड से गूंज उठा । चिडियाँ चहचहाकर पेडों से उड़ गईं और जगह-जगह से कई प्रकार के जंगली जानवर झाडियो से निकल इधर-उधर भागते दिखाई दिए ।

थोड़ी दूर पर हमें एक झाड़ी के पीछे से सिंह दिखाई दिया । उसे देखते ही हम सब एकदम डर गए और जीवन की आशा तक छोड बैठे । सिंह हमसे मुश्किल से 250-300 गज दूर होगा । हमारे सामने मौत नाच रही थी । हम सभी अपनी कुशलता के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने लगे और एक वृक्ष की आड में साँस रोक कर खड़े हो गए ।

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हमारे सौभाग्य से सिंह विपरीत दिशा की ओर देख रहा शा । उसने हमारी ओर ध्यान ही नहीं दिया । हम बड़े भयभीत हो गए के और अपने डंडे और बन्दूक वहीं पटक कर एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ने लगे । पेड़ पर चढ़कर हमने देखा कि सिंह दूसरी दिशा में गायब हो चुका था ।

हम फिर भी कुछ देर प्रतीक्षा करते पेड़ पर चढे रहे । वहीं से दूर मैदान में हमें एक सिहनी अपने 3 बच्चों के साथ बैठी दिखी । सिंह भी कुछ देर में उन्हीं के पास पहुच गया और वे सभी आपस मे उछल-कूद मचाने लगे । सिंह शावकों को उछल-कूद करते देख हम सभी रोमांचित हो उठे ।

यात्रा की समाप्ति:

अब हम धीरे-से नीचे उतरे और अपने-अपने डंडे और बन्दूक उठाकर पुन: आगे बढ़ चले । थोड़ी देर बाद जंगल की सघनता कम होने लगी । हम अब तक 14 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके थे । थोडी देर के बाद हमें पेड़ काटने की आवाज सुनाई दी और हमें कुछ लकड़हारे दिखे ।

उनसे हमने जंगल में सिंह परिवार को देखने की बात सुनाई । वे सब यह सुनकर बहुत चकित हुए, क्योंकि वर्षो तक नित्य जंगल आने के बाद भी उन्होंने सिंह नहीं देखा था । आदमियों को देखकर हमारी जान में जान आई ।

उपसंहार:

हम सब अब तक जंगल पार कर चुके थे । हमने सुरक्षित जंगल पार कर लेने के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया और प्रण किया कि भविष्य में कभी ऐसी यात्रा पर नहीं निकलेंगे ।

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