मेरे स्कूल का पुस्तकालय पर अनुच्छेद | Paragraph on The Library of My School in Hindi

प्रस्तावना:

विद्यार्थियों तथा अध्यापकों के इस्तेमाल के लिए स्कूल में एक पुस्तकालय होता है । प्रत्येक स्कूल का यह एक अनिवार्य अंग है ।

मेरे स्कूल का पुस्तकालय:

हमारे स्कूल के पुस्तकालय में नवीनतम पुस्तकें हैं । पुस्तकालय का एक अलग से बड़ा कमरा है । पुस्तकालय मे लगभग पन्द्रह अल्मारियाँ हैं । जो कमरों की दीवारों से सटाकर लगाई एई हैं । अल्मारियाँ में शीशे लगे हैं । पाठ्‌य-पुरतकों के अलावा हमारे पुस्तकालय में इतिहास, भूगोल, साहित्य, जीवन-चरित्र, यात्रा वृत्तांतों आदि विषयों पर अनेक पुस्तकें हैं ।

पुस्तकों का सूची-पत्र:

अल्मारियों मे पुस्तकें विषयों के अनुसार लगाई गई है । प्रत्येक अल्मारी की पुस्तक सूचि अलग-अलग है । एक अलमारी में संदर्भग्रन्ध तथा अध्यापन ग्रन्थ हैं । वे केवल अध्यापको के उपयोग के लिए हैं ।

पुस्तकों कैसे जारी की जाती हैं ?

स्कूल पुस्तकालय का इन्चार्ज एक लाइब्रेरियन है । हमारे स्कूल में कक्षा-पुस्तकालय प्रथा लागू है । पुस्तकालय सप्ताह में हर दिन खुलता है । विद्यार्थियों को लाइब्रेरियन से सीधे किताबे नहीं मिलती । महीने में एक बार क्लास-टीचर पुस्तकालय जाता है ।

वह कक्षा के विद्यार्थियों के लिए पुस्तकों के चार-पांच सैट ले आता है । हर सैट में सभी प्रकार की पुस्तकें होती हैं । अध्यापक को पुस्तकों के चयन में कोई दिक्कत नहीं होती । प्रत्येक सैट में तीस पुस्तके होती हैं ।

सप्ताह में एक बार विद्यार्थियों को पुस्तकें जारी करता है । विद्यार्थी सप्ताह भर पुस्तक पढ़ते हैं । और अगले सप्ताह उन्हे बदल कर दूसरी पुस्तक को ले लेते हैं । कोई विद्यार्थी दो सप्ताह से अधिक किसी पुस्तक को अपने पास नहीं रख सकता ।

वाचनालय:

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पुस्तकालय में एक वाचनालय भी है । उसमें कई टेबलें और कुर्सियां पड़ी रहती है । एक बड़ी टेबल पर समाचारपत्र, मैगजीनें तथा अन्य पत्रिकायें विद्यार्थियों के पढ़ने के लिए रख दी जाती हैं ।  वाचनालय की दीवारों पर सुन्दर पेंटिग जड़ी हुई हैं तथा नीति-वाक्य लिखे है ।

नीति-वाक्यो से हमें समाचारपत्र, मैगजीन आदि पढ़ने की प्रेरणा मिलती है । निर्धन विद्यार्थी पुरतकालय की पुस्तकों से अपनी पढ़ाई कर लेते हैं । हमारे पुस्तकालय में लगभग दस हजार पुस्तके हैं ।

लाभ:

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विद्यार्थियों का सामान्य ज्ञान बढाने में पुस्तकालय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । इससे विद्यार्थियों मे पढ़ने की आदत पड़ती है और स्कूली जीवन के बाद भी पढ़ने में रुचि बनी रहती है । महान् व्यक्तियों की जीवनियों से विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में सहायता मिलती है ।

पुस्तकालय से कमजोर विद्यार्थियों में भी पुस्तकों के प्रति प्रेम पैदा हो जाता है । इससे हमें अपने खाली समय का सर्वोत्तम उपयोग करने का अवसर मिलता है । पुस्तकों से हमें संसार की सामयिक सूचनाओ और गतिविधियों का पता लगाता है ।

उपसंहार:

स्कूल पुस्तकालय ज्ञान का अनुपम भण्डार होता है । इससे बालकों में पुस्तकों के प्रति प्यार पैदा होता है ।

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