विद्यालय में खेल– कूद पर अनुच्छेद | Paragraph on School Sports in Hindi!

खेल-कूद जीवन का आवश्यक अंग है । विद्‌यार्थी जीवन में इसका महत्त्व कुछ अधिक ही है । यह शारीरिक एवं मानसिक विकास में बहुत मदद करता है । अत: विद्‌यार्थियों को विद्‌यालय में होने वाली खेल-कूद की गतिविधियों में नियमित रूप से भाग लेना चाहिए । इसे शिक्षा का अनिवार्य अंग मानना चाहिए । सभी विद्‌यालयों में खेल-कूद के प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए । हमारा देश खेल-कूद के मामले में विश्व-स्तर पर पिछड़ा हुआ है । इसका प्रमुख कारण विद्‌यालयों में खेल की सुविधाओं का अभाव तथा खेलों के प्रति अरुचि है । अनेक विद्‌यार्थियों में खेल-प्रतिभा छिपी होती है, विद्‌यालय का कार्य खेल प्रतिभाओं को पहचानकर उनको उभारना भी है । अत: विद्‌यालयों में शिक्षा के समान खेल-कूद को भी अनिवार्य बना देना चाहिए । यदि विद्‌यालयों में खेलों के लिए उचित प्रबंध किया जाय तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत खेलों में अच्छा प्रदर्शन करेगा । इससे विद्‌यार्थियों के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा ।

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