पण्डित जवाहरलाल नेहरू पर निबन्ध | Pandit Jawahar lal Nehru in Hindi!

लोकनायक जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर, 1889 ई. को इलाहाबाद के आनन्द भवन में हुआ था । इनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के प्रसिद्ध बैरिस्टर थे । इनकी उच्च शिक्षा यूरोप में हुई । ये वहाँ से बार. एट. ला. की उपाधि लेकर स्वदेश लौटे । इनका विवाह अद्वितीय सुन्दरी कमला के साथ 8 फरवरी, 1916 को हुआ जिनसे प्रियदर्शिनी इन्दिरा गाँधी का जन्म हुआ ।

महात्मा गाँधीजी से प्रभावित होकर ये स्वाधीनता संग्राम में कूद पड़े । बैरिस्टरी को तिलांजलि दे दी । पिता भी इनकी राजनीति से प्रभावित होकर स्वाधीनता संग्राम में कूद पड़े । उन्होंने राजसी वैभव का त्याग कर दिया । इन्होंने बापू के एवं असहयोग आन्दोलन में विशेष योगदान दिया । इसी बीच पत्नी कमला नेहरू का विदेश में स्वर्गवास हो गया ।

इन्हें स्वाधीनता आन्दोलन में कई बार सरकारी महमान वनना पड़ा । सन 1929 ई. में इन्होंने रावी नदी के तट पर घोषणा की थी कि हमारे इस स्वाधीनता संग्राम का उद्देश्य औपनिवेशिक स्वाधीनता नहीं, अपितु पूर्ण स्वतंत्रता है । तत्पश्चात् ये देश के उन अग्रणी नेताओं में हो गए जिनके पथ-प्रदर्शन पर ही स्वाधीनता संग्राम चला । फलत: इन नेताओं के प्रयास से 15 अगस्त, 1947 ई. को देश स्वतंत्र हुआ ।

श्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत की बागडोर सम्भाली । आर्थिक स्थिति को सम्भालने, सामाजिक कुरीतियों को दूर करने और राजनीतिक उच्छृंखलता को हटाने के प्रयास किये जाने लगे । सरदार बल्लभ भाई पटेल के सहयोग से इन्होंने देश की अनेक समस्याओं को सुलझाया । देशी रियासतें भारतीय संघ में शामिल की गई । पंचवर्षीय योजनाएँ चालू की गईं ।

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विज्ञान और तकनीकी शिक्षा पर बल दिया गया । चीनी आक्रमण ने इन्हें विचलित कर दिया । कश्मीर समस्या भी इन्हें परेशान करती रही । फिर भी ये अपने पथ से विचलित नहीं हुए । इन्होंने देश को अन्तर्राष्ट्रीय जगत में उच्च स्थान दिलाया । इन्होंने तटस्थता की नीति को अपनाया ।

ये सच्चे मानवतावादी थे ये युद्ध को अभिशाप समझते थे तथा नि:शस्त्रीकरण के पुजारी थे । पंचशील के जनक श्री जवाहरलाल नेहरू के रोम-रोम में हता हुई मानवता के प्रति सहानुभूति थी । इन्होंने जीवन पर्यन्त शान्ति के लिए प्रयास किया । ये अच्छे लेखक और कुशल वक्ता भी थे । इनका ‘ आत्म-कथा ’ विश्व इतिहास की झलक और ‘ भारत की खोज ’ कृतियाँ साहित्य कला के गुणों से अलंकृत हैं ।

श्री जवाहरलाल नेहरू बहुत ही भावुक व्यक्ति थे । इन्हें नन्हे-मुन्नों से बहुत प्यार था। बच्चे इन्हें चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे । इनके जन्म दिवस पर हर वर्ष ‘ बाल दिवस मनाया जाता है । इस दिन इस महान आत्मा से प्रेरणा ली जाती है ।

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यह महान विचारक शान्ति का मसीहा और राजनीतिज्ञ तथा साहित्यकार 27 मई सन 1964 ई. को हमारे बीच से उठ गया । इनके निधन पर सम्पूर्ण विश्व क्रन्दन कर उठा । देश-विदेशों से विशेष प्रतिनिधि इनके अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली आए । 28 मई, 1964 ई. को इनकी पार्थिव देह अग्नि को समर्पित कर दी गई । इनकी वसीयत के अनुसार उनकी भस्म खेतों और गंगा नदी में प्रवाहित कर दी गई ।

विश्व शान्ति का मसीहा हमारे बीच अपने क्रिया-कलापों, रहन-सहन और आचार-विचार की अमिट छाप छोड़ गया । ये देश को उन्नत देखना चाहते थे । ये पीड़ित मानवता को सुखी देखना चाहते थे । हम इनकी इच्छा को अवश्य पूर्ण करेंगे ।