बसन्त ऋतु |Spring Season in Hindi!

भारत प्राकृतिक सौन्दर्य का भण्डार है । यहाँ पर छ: ऋतुएं- वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर क्रम से आती हैं । जिनकी अवधि दो-दो महीने है । प्रकृति मनुष्य की मित्र बनकर उसे क्रीड़ाओं से मन्त्र-मुग्ध कर देती है ।

हर ऋतु अपने साथ एक संदेश लेकर आती है और मनुष्य में उल्लास भरकर चली जाती है । ऋतुओं का राजा वसन्त है । इसे ‘ऋतुराज’ की उपाधि से विभूषित किया है । इस ऋतु का समय फाल्गुन से चैत्र तक है । इस ऋतु में न अधिक ठंड और न अधिक गर्मी होती है । इस ऋतु से मानव और वृक्ष दोनों ही प्रसन्न होते हैं ।

वसन्त ऋतु में प्रकृति भी अपना नई दुल्हन की तरह शृंगार करती है । अपने को सुन्दर-सुन्दर फूलों से सजाती है । पीले, सूखे पत्तों को फेंक हरियाली की चादर ओढ़ती है । कोयल और भ्रमरों का कर्णप्रिय गुंजन खेतों में खिले सरसों के पीले फूल, आम्र मंजरियों से लदी डालियाँ, कमल, चम्पा, कैतकी, पलाश के फूलों की भीनी-भीनी सुगन्ध और उनके ऊपर तितलियों का मण्डराना, सूरजमुखी के पुष्प का सूरज को प्रणाम करना, गुलाब और गेंदे के फूलों में सौन्दर्य की होड़, खेतों में खड़ी गेहूं की बालियों को देखकर किसान खुशी से नाच उठता है ।

वृक्ष कोमल और नवीन पत्तों से सुशोभित होते हैं । इस ऋतु में पवन मस्त हाथी की तरह चलकर आती है और सारे वातावरण को मस्ती में झुमा देती है । उसे देखकर ऐसा लगता है मानों गली-मोहल्ले, गाँव-शहर, बाग-बगीचे सब बसन्त की मस्ती में मस्त हैं । चन्द्रमा का प्रकाश शीतल और मौसम सुहावना हो जाता है ।

‘वसन्त पंचमी’ के दिन जनमानस ‘वसन्त ऋतु’ का स्वागत करता है । इस दिन पीले वस्त्र धरण कर अपनी प्रसन्न्ता है । विद्यालयों में विविध प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं । बच्चे इस दिन रंग-बिरंगे वस्त्र धारण करते हैं । खेल, संगीत और नाटक की प्रतियोगिताएं आयौजित होती है । सामूहिक नृत्यों का भी आयोजन किया जाता है ।

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घर में तरह-तरह के पकवान बनते हैं । बालक, जवान, वृद्ध मस्ती के आलम में झूम उठते हैं । बसन्त ऋतु में संवत् वर्ष और सौर वर्ष का नया चक्र आरम्भ होता है । इस दिन विद्या की देवी सरस्वती का पूजन भी होता है । इसलिए ब्राह्मण इस दिन को विद्यारम्भ के लिए सर्वोत्तम दिन मानते हैं ।

यह दिन एक ऐतिहासिक घटना चक्र से भी सम्बद्ध है । बालक हकीकत राय के द्वारा मुसलमान धर्म स्वीकार न करने पर उसकी हत्या कर दी गई थी । उसी बालक की स्मृति में उसकी समाधि पर मेला लगता है और श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है ।

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वसन्त ऋतु में रामनवमी और होली जैसे प्रमुख त्यौहार आते हैं । इस ऋतु में देवी के ‘नवरात्रे’ आते हैं । जिसमें लोग व्रत और उपासन करते हैं । वसन्त ऋतु का सम्बन्ध लेखक से भी है । प्रकृति के अद्‌भुत सौन्दर्य को देख उसकी लेखनी स्वत: हो लेखन की ओर अग्रसर होती है । लेखक के उमड़ते हुए भावों को लेखनी लिपिबद्ध कर पाठकों तक पहुंचाती है ।

प्रकृति का चारों ओर हरियाली-पूर्ण वातावरण देखकर मनुष्य का मन सेर करने को करता है । वासन्ती हवा मनुष्य को स्वस्थ और प्रसन्न चित्त रखती है । व्यायाम और सैर करने से मनुष्य की स्मरण शक्ति तीव्र होती है । मुख कान्तिमय हो जाता है । हृदय की प्रसन्नता चेहरे पर झलकती है ।

वसन्त ऋतु पग-पग पर अपना सौन्दर्य लुटाती हुई धनुष्य को भी यही संदेश देती है कि वसन्त ऋतु का लाभ उठाओ । लेकिन मानव मशीन की तरह इतना व्यस्त है कि उस का भरपूर लाभ नहीं उठा पाता । इस ईश्वरिय ऋतु का हमें पूरा-पूरा लाभ उठाकर आनन्दित होना चाहिए ।

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