Tag Archives | Civics

संयुक्त राष्ट्र संघ की समकालीन भूमिका की प्रासंगिकता पर निबन्ध

संयुक्त राष्ट्र संघ की समकालीन भूमिका की प्रासंगिकता पर निबन्ध| प्रस्तावना: अब केवल परम्परागत सैनिक आक्रमणों से ही अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और स्थिरता के लिए खतरा नहीं रह गया है । अब तो अनेक और समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं । इन समस को हल करने हेतु पहले की अपेक्षा कहीं अधिक व्यापक सहयोग की आवश्यकता है । इन बातों को [...]

By |2015-12-19T10:34:29+05:30December 19, 2015|Essays|Comments Off on संयुक्त राष्ट्र संघ की समकालीन भूमिका की प्रासंगिकता पर निबन्ध

संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति पर निबन्ध

संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति पर निबन्ध | Essay on The United Nations and International Peace in Hindi प्रस्तावना: अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति स्थापित करने में संयुक्त राष्ट्र संघ कितना सक्रिय रहा है- यह एक ऐसा सवाल है जिसका उत्तर देना अत्यन्त कठिन है । अन्तर्राष्ट्रीय विवादों अथवा मामलों का समाधान करने की दिशा में वास्तव में संयुक्त राष्ट्र संघ को [...]

By |2015-12-19T10:34:29+05:30December 19, 2015|Essays|Comments Off on संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति पर निबन्ध

समान नागरिक संहिता में बाधक तत्व पर निबन्ध |Essay on Obstacles in Uniform Civil Code in Hindi

समान नागरिक संहिता में बाधक तत्व पर निबन्ध |Essay on Obstacles in Uniform Civil Code in Hindi! माननीय उच्चतम न्यायालय ने भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 118 को असंवैधानिक घोषित करते हुए विभिन्न पंथों, सम्प्रदायों तथा धर्मावलम्बियों पर लागू होने वाले व्यक्तिगत कानूनों में एकरुपता तथा स्पष्टता लाने को अपरिहार्यता पर जोर देते हुए विधायिका को याद दिलाया है कि [...]

By |2015-12-19T10:34:29+05:30December 19, 2015|Civil Code|Comments Off on समान नागरिक संहिता में बाधक तत्व पर निबन्ध |Essay on Obstacles in Uniform Civil Code in Hindi
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