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साहित्य और जीवन पर निबन्ध |Essay on Literature and Life in Hindi

साहित्य और जीवन पर निबन्ध |Essay on Literature and Life in Hindi! जीवन का अर्थ है 'गतिशीलता' । प्राणिमात्र को हम तब तक जीवित मानते हैं जब तक उसमें आतरिक और बाह्य गतियाँ विद्यमान रहती हैं । जब गति ठहर जाती है तब उसे निर्जीव अथवा ‘मृत’ घोषित कर दिया जाता है । इसी प्रकार साहित्य में भी जब तक [...]

By |2015-12-17T13:29:39+05:30December 17, 2015|Literature|Comments Off on साहित्य और जीवन पर निबन्ध |Essay on Literature and Life in Hindi

साहित्य की शक्ति पर निबंध | Essay on The Power of Literature in Hindi

साहित्य की शक्ति पर निबंध | Essay on The Power of Literature in Hindi! संस्कृत की एक सूक्ति के अनुसार - 'साहित्य, संगीत, कला विहीन:, साक्षात् पशु पुच्छ विषाणहीन: '' अर्थात् साहित्य, संगीत, कला से विहीन मनुष्य पशु के समान है । नि:संदेह शेष क्रियाएँ जैसे खाना-पीना, सोना आदि कार्य पशु भी संपन्न करते हैं परंतु साहित्य व संगीत आदि [...]

By |2015-10-15T07:16:55+05:30October 15, 2015|Literature|Comments Off on साहित्य की शक्ति पर निबंध | Essay on The Power of Literature in Hindi
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