एड्‌स पर अनुच्छेद | Paragraph on AIDS in Hindi

एड्‌स रोग आज पूरे विश्व में एक महामारी का रूप धारण कर चुका है । हमें अखबारों द्वारा इसके प्रकोप के कारण हुई मृत्यु के आंकड़ों का पता चलता है ।

सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के बावजूद इस रोग के रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । लोगों में इस रोग को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं जो उत्पन्न हुईं व उनमे भय व्याप्त है । देश में पश्चिमी सभ्यता की काली छाया पड़ने से बड़े-बडे शहरो में इसके रोगी पाये जा रहे हैं ।

आज की युवा पीढ़ी पश्चिमी संस्कृति से ओत-प्रोत हो विलासिता पूर्ण जीवन बिताने में विश्वास रखती है । भारत में एड्स का मामला 1986 में प्रकाश में आया था । वर्ष 1987 में सरकार द्वारा एड्‌स कार्यक्रम शुरू किया गया । राष्ट्रीय एड्‌स नियंत्रण संगठन के हिसाब से भारत में एच.आई.वी. संक्रमित रोगियों की संख्या 1998 मे तैंतीस लाख, वर्ष 2000 में यह संख्या बढ़कर 38 लाख 70 हजार हो गई थी ।

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एड्‌स के बारे में ज्यादातर लोगों को सही जानकारी न होने के कारण इस रोग का लोगों में भय व्याप्त है । वैज्ञानिक सिद्धान्तों के अनुसार जब किसी व्यक्ति के शरीर में एड्‌स का विषाणु (एच.आई.वी) प्रवेश करता है तो वह व्यक्ति एच.आई.वी. से संक्रमित कहलाता है ।

समाज में अधिकांश लोगो को पता है कि एडस एक जानलेवा बीमारी है । एड्स पीड़ित व्यक्ति में प्रतिरोधक क्षमता कम होने से उसे उल्टी-दरत्त, टी.बी., मलेरिया या अन्य कोई बीमारी हो जाती तो उसके लिए उपचार कारगर नहीं रह जाता क्योंकि उसके शरीर का प्रतिरोधक तंत्र करीब-करीब नष्ट हो चुका होता है । इसलिए एड्स रोगी के शरीर पर दवाओं का असर नहीं पडता और वह मौत के मुंह मे चला जाता है ।

‘अब तक एड्स का न कोई टीका उपलव्य है और न ही कोई प्रभावी दवा ही । एंटिरेट्रोवायरल दवाएं बाजार में मौजूद हैं जिनसे एड़स रोगी की आयु थोडी बढ़ जाती है । यह दवा रक्त में मौजूद एच.आई.वी विषाणुओं की संख्या को बढ़ने से रोकती है ।

यदि कोई महिला एच.आई.वी. संक्रमित है तो उससे उत्पन्न होने वाली संतान के एच.आई.वी संक्रमित होने की आशंका चालीस से पचास फीसदी तक रहती है । लेकिन अभी तक वैज्ञानिकों द्वारा असकी पुष्टि नहीं हो पायी । एड्स के ज्यादा मामले असुरक्षित यौन सावधों के कारण फैलते है ।

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एड्स पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार को यौन शिक्षा लागू करनी चाहिए । लेकिन इस शिक्षा के लागू करने के बावजूद भी गाँवों में अशिक्षितों को इस रोग के बारे में जागृत करने और इससे बचाव के उपाय बताने के लिए सरकार को ऐसा सूचना तंत्र विकसित करना होगा जो किसी भी भाषा जानने वाला को आसानी से समक्ष आ सके ।

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