एड्‌स: एक जानलेवा रोग |Essay on AIDS : A Deadly Disease in Hindi!

A.I.D.S: Acquired Immuno Deficiency Syndrome (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम) का संक्षेपण है । इसका अर्थ है- वह रोग, जिससे ग्रस्त होने से जीवन की रक्षा- शक्ति क्षई हो जाए ।

यह एक संक्रमण रोग है । समलैंगिक यौन संबंध इसका प्रमुख कारण है । यह एक Viral infection है, जिसमें रोगी का शरीर स्थान-स्थान पर फूल जाता है और नसें सूखने लगती हैं । इस कारण से रोगी की मृत्यु तक हो जाती है ।

एड्स क्या है ?

एड्‌स H.I.V. (Human Immuno-Deficiency Virus) से ग्रस्त रोगी की चरम अवस्था है । ये Virus (वायरस : विषाणु) जीवन की रक्षा-शक्ति को निष्क्रिय बनाकर शरीर को शिथिल कर देते हैं । इस कारण रोगी एड्‌स के संक्रमण से अपने जीवन की रक्षा नहीं कर पाता । विकास-क्रम में एड्‌स आठ से दस वर्षों का समय लेता है । वे व्यक्ति, जो H.I.V. से ग्रस्त होते हैं, अधिकतर एड्‌स के शिकार होते हैं ।

एइस के प्रमुख लक्षण

i. . एक माह में शरीर का भार ५ से ६ किलोग्राम कम होना ।

ii. . कई माह तक बार-बार दस्त लगना, तीन माह तक बुखार रहना ।

iii. . लगातार एक माह तक खाँसी का बने रहना ।

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iv. . रात में ठंडा पसीना आना ।

v. . अत्यधिक थकान महसूस होना ।

vi. . पूरे शरीर में गिल्टियों का सूज जाना ।

vii. . मुख और जिह्वा में सफेद चकत्ते पड़ जाना ।

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viii. . पूरे शरीर में खुजली का होना ।

ix. . दीर्घकालीन और निरंतर फैलनेवाला ‘हर्पीज सिंप्लेक्स’ संक्रमण ।

एड्स कैसे फैलता है ?

यौन संबंध द्वारा:

एड्‌स से अधिकांश वही व्यक्ति ग्रस्त होते हैं, जो असामान्य रूप से यौन संबंध स्थापित करते हैं । जब किसी महिला का पति कई औरतों से अथवा किसी पुरुष की पत्नी कई मर्दों से यौन संबंध रखने अथवा मादक द्रव्यों का सेवन करने के कारण एड्‌स से संक्रमित हो जाते हैं तब उस महिला और पुरुष के भी एड्‌स के प्रभाव में आने की आशंका अधिक होती है । जिन्हें यौन रोग, सिफलिस आदि की बीमारी हो, वे एच.आई.वी. को फैलाने में सहयोग देते हैं । ८ प्रतिशत मामलों में एड्‌स असुरक्षित यौन संबंध के कारण ही फैलता है ।

रक्तदान:

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एच. आई.वी. से ग्रस्त व्यक्ति का रक्त आदि किसी रोगी को दिया जाता है तो उस रोगी को एड्‌स हो सकता है । २० प्रतिशत मामलों में एड्‌स रक्त के द्वारा फैलता है ।

अस्वच्छ सुइयों द्वारा:

इंजेक्शन (सुई) से लिये जानेवाले मादक द्रव्यों और

इंजेक्टेबिल (Injectable) ड्रग्स के सेवन द्वारा एड्‌स फैलता है, क्योंकि इन सुइयों को बिना साफ किए प्रयोग किया जाता है । इस्तेमाल करते समय यदि सुई को विषाणुहीन न किया जाए तो उससे ‘एड्‌स’ फैलने की पूरी संभावना रहती है ।

माँ से संतान को:

यदि कोई महिला एड्‌स से संक्रमित हो तो उसके गर्भ से जन्म लेनेवाले बच्चे को भी एड्‌स हो सकता है । एड्‌स-संक्रमित महिला के बच्चे को एड्‌स से संक्रमित होने की आशंका ३० से ५० प्रतिशत तक होती है । एड्‌स से पीड़ित महिला के भ्रूण में गर्भनाल के द्वारा एच.आई.वी. का संक्रमण हो सकता है । एड्‌स से संक्रमित शिशु पाँच वर्षों से अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता । अधिकांश बच्चों की मृत्यु दो वर्ष की अवस्था में ही हो जाती है ।

एड्स नहीं फैलता:

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सार्वजनिक स्थान, शैक्षणिक संस्थान अथवा कार्यालय में एक साथ बैठकर काम करने से एच.आई.वी. नहीं फैलता । शौचालय, तरणताल, मेला, सम्मेलन-समारोह में जाने से भी एड्‌स नहीं फैलता । आलिंगनबद्ध होने, चुंबन लेने, एक ही बरतन में एक साथ और एक ही गिलास से जल पीने से एड्‌स नहीं फैलता । मच्छर अथवा किसी कीट-पतंगों के द्वारा भी एड्‌स नहीं फैलता, क्योंकि इनके शरीर में इस प्रकार का विषाणु जीवित नहीं रह सकता ।

एइस से बचें

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एड्‌स से संक्रमित महिलाओं को गर्भ-धारण करने से पूर्व गंभीरता से विचार करना चाहिए । एच.आई.वी. से संक्रमित माताओं को अपने शिशुओं को स्तनपान कराना चाहिए; परंतु उन क्षेत्रों में, जहाँ कुपोषण और संक्रामक रोग बच्चों की मृत्यु के मुख्य कारक नहीं हैं, एड्‌स संक्रमित माताओं को अपने बच्चों को बोतल से दूध पिलाना चाहिए ।

एक ही व्यक्ति से यौन संबंध रखने चाहिए । यौन संबंध के दौरान होनेवाले एड्‌स-विस्तार को रोकने का सबसे कारगर साधन है कंडोम । कंडोम के प्रयोग से न केवल एड्‌स से प्रत्युत ‘यौन संचारित रोगों’ के संक्रमण से भी बचा जा सकता है । यदि रक्त-परीक्षण के पश्चात् एड्‌स रोगी की पहचान हो जाए तो उससे संबंधित सुइयों को अच्छी तरह से नष्ट कर देना चाहिए । एड्‌स-संक्रमित व्यक्ति को चाहिए कि वह न तो रक्तदान करे, न वीर्यदान और न ही अंगदान ।

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चूँकि एड्‌स के विषाणु के संक्रमण के लगभग दस वर्ष बाद रोग के लक्षण दृष्टिगत होते हैं, अत: इसका अभिप्राय यह हुआ कि आज के एड्‌स रोगी पर एच.आई.वी. का प्रभाव दस वर्षों पूर्व हो चुका होगा । इस समय लगभग १ करोड़ ६० लाख वयस्क और १० लाख से भी अधिक बच्चे एच.आई.वी. से ग्रस्त हैं ।

जुलाई १९९३ में वयस्क एड्‌स रोगियों की संख्या में लगभग ३० लाख की वृद्धि हुई है । वयस्क एड्‌स रोगियों में ५० प्रतिशत महिलाएँ हैं । आँकड़ों के आधार पर बताया गया है कि वयस्कों में एच.आई.वी. का प्रकोप अफ्रीका के उपसहारा क्षेत्र के देशों में १ करोड़ से भी अधिक है । एशिया में इस समय ४० प्रतिशत महिलाओं सहित एच.आई.वी. से २५ लाख से भी अधिक व्यक्ति पीड़ित हैं ।

एड्‌स अब विश्व के अन्य भागों की तुलना में एशिया में तीव्रता के साथ फैलता जा रहा है । दक्षिण-पूर्व एशिया में, जहाँ घनी जनसंख्या है, एच.आई.वी. से पीड़ितों की संख्या में भयंकर रूप से वृद्धि हो रही है । विशेषज्ञों का मानना है कि एशिया के अनेक देशों में एच.आई.वी. का विस्तार उसी गति से हो रहा है, जिस गति से यह एक दशक पूर्व अफ्रीका में हो रहा था । यदि एच.आई.वी. के निवारण के लिए समुचित उपाय नहीं किए गए तो अफ्रीका का यह स्थान एशिया ले लेगा ।

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