Here is a compilation of Essays on ‘Newspaper’  for the students of class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12 as well as for teachers. Find paragraphs, long and short essays on ‘Newspaper’ especially written for School Students and Teachers in Hindi Language.

List of Essays on Newspaper (समाचार-पत्र पर निबंध)


Essay Contents:

  1. समाचार पत्र और उसकी उपयोगिता । Essay on Newspaper in Hindi Language
  2. समाचार-पत्र एवं उनकी शक्ति | Essay on Newspaper and its Power for School Students in Hindi Language
  3. मानव जीवन में समाचार-पत्रों का महत्व | Paragraph on the Importance of Newspaper in our Lives for School Students in Hindi Language
  4. समाचार-पत्र पढ़ने के लाभ | Essay on the Benefits of Reading a Newspaper for Teachers in Hindi Language
  5. वर्तमान समाज के निर्माण में समाचार पत्र की भूमिका | Essay on the Role of Newspaper in Today’s Society for School Students in Hindi Language

1.  समाचार पत्र । Essay on Newspaper in Hindi Language

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । उसके हृदय में कौतूहल और जिज्ञासा दो ऐसी वृत्तियां हैं जिनसे प्रेरित हो यह अपने आसपास समेत विश्व में कहां क्या घटित हो रहा है उन घटनाओं से परिचित होना चाहता

है । वर्तमान में ऐसा कोई भी देश नहीं है जहाँ कुछ न कुछ न हो रहा हो ।

यह राजनीतिक, सामाजिक या फिर आर्थिक किसी भी रूप में हो सकता है । विज्ञान के इस युग में नये-नये आविष्कार या अनुसंधान रोजना हो रहे हैं । इन सबको जानने का सबसे सस्ता साधन है समाचार पत्र । यह विश्व में घटित घटनाओं का दस्तावेज भी कहलाता है । आज से तीन शताब्दी पहले तक लोगों को समाचार पत्रों के बारे में ज्ञान नहीं था ।

संदेशवाहक ही समाचार एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाते थे । समाचार पत्रों का जन्म इटली के वेनिसनगर में तेरहवीं शताब्दी में पहला समाचार पत्र अस्तित्व में आया । समाचार पत्र के शुरुआत को लेकर कोई मतैक्य नहीं है । कुछ लोगों का मानना है कि पहला समाचार पत्र 1609 में जर्मनी से प्रकाशित हुआ जबकि कुछ लोगों का मानना है कि पहला समाचार पत्र सातवीं शताब्दी में चीन से प्रकाशित हुआ ।

जर्मनी के बाद ब्रिटेन में 1662 में समाचार पत्र के प्रकाशन का पता चलता है । भारत में 1834 में इंडिया गजट के नाम से समाचार पत्र प्रकाशित हुआ । भारत में अंग्रेजों के आगमन से मुद्रण कला में हुई प्रगति के साथ-साथ भारत में भी समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू हुआ ।

भारत से प्रकाशित पहले समाचार पत्र का नाम ‘इंडिया गजट’  था । इसके बाद हिन्दी का पहला साप्ताहिक समाचार पत्र 30 मई, 1826 को प्रकाशित हुआ । ‘उदन्त मार्तन्ड’ के नाम से प्रकाशित यह समाचार पत्र साप्ताहिक था । इसके बाद राजा राममोहन राय ने ‘कौमुदी’ और ईश्वर चद्र ने ‘प्रभाकर’ नामक पत्र निकाले ।

इनके बाद तो एक-एक कर कई समाचार पत्रों का प्रकाशन शुरू हो गया । आज करीब पचास हजार दैनिक, साप्ताहिक सहित समाचार पत्रों का प्रकाशन देश भर में हो रहा है । समाचार पत्र ही एक ऐसा साधन है जिससे लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली फली-फूली । समाचार पत्र शासन और जनता के बीच माध्यम का काम करते हैं । समाचार पत्रों की आवाज जनता की आवाज कही जाती है ।

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विभिन्न राष्ट्रों के उत्थान एवं पतन में समाचार पत्रों का बड़ा हाथ होता है । एक समय था जब देश के निवासी दूसरे देशों के समाचार के लिए भटकते थे । अपने ही देश की घटनाओं के बारे में लोगों को काफी दिनों बाद जानकारी मिल पाती थी ।

समाचार पत्रों के आने से आज मानव के समक्ष दूरी रूपी कोई दीवार या बाधा नहीं है । किसी भी घटना की जानकारी उन्हें समाचार पत्रों से प्राप्त हो जाती है । विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के बीच की दूरी इन समाचार पत्रों ने समाप्त कर दी है । मुद्रण कला के विकास के साथ-साथ समाचार पत्रों के विकास की कहानी भी जुड़ी है ।

वर्तमान में समाचार पत्रों का क्षेत्र अपने पूरे यौवन पर है । देश का कोई नगर ऐसा नहीं है जहाँ से दो-चार समाचार पत्र प्रकाशित न होते हों । समाचार पत्र से अभिप्राय समान आचरण करने वाले से है । इसमें क्योंकि सामाजिक दृष्टिकोण अपनाया जाता है इसलिए इसे समाचार पत्र कहा जाता है । उल्लेखनीय है कि भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्थान समाचार पत्र है ।

समाचार पत्र निकालने के लिए कई लोगों की आवश्यकता होती है । इसलिए यह व्यवसाय पैसे वाले लोगों तक ही सीमित है । किसी भी समाचार पत्र की सफलता उसके समाचारों पर निर्भर करती है । समाचारों का दायित्व व सफलता संवाददाता पर निर्भर करती है ।

समाचार पत्र एक ऐसी चीज है जो राष्ट्रपति भवन से लेकर एक खोमचे तक में देखने को मिल जाएगा । समाचार पत्रों के माध्यम से हम घर बैठे विश्व के किसी भी कोने का समाचार पा लेते हैं । समाचार पत्र छपने से पहले कई चरणों से गुजरता है । सबसे पहले संवाददाता समाचार लिखता है । इसके बाद उप संपादक या संपादकीय विभाग से कर्मचारी उसका संपादन करते हैं ।

इसके बाद उसे कंपोजिंग के लिए भेजा जाता है । कंपोजिंग के बाद उसका प्रूफ पढ़ा जाता है । इसके बाद पेज बनता है । पेज बनने के बाद उसे छपने के लिए मशीन विभाग में भेजा जाता है । इस प्रकार समाचार पत्र छपने के बाद उसे सड़क, हवाई तथा रेल मार्ग से विभिन्न स्थानों को भेजा जाता है ।

समाचार पत्रों से हमें जहां विश्व भर की घटनाओं की जानकारी मिलती है वहीं इसमें अपना विज्ञापन देकर व्यवसायी लोग अपना व्यापार भी बढ़ाते हैं । इनमें विज्ञापन देने से हर तबके में मध्य आप अपने उत्पाद का प्रचार कर सकते हैं । समाचार पत्रों में हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ विशेष अवश्य होता है । इसमें महिलाओं से लेकर बच्चों तक के लिए सामग्री प्रकाशित होती है ।

समाचार पत्रों के माध्यम से हमें राजनीतिक घटनाक्रमों के अलावा खेलों, फलों व सब्जियों के भाव, रेलवे आरक्षण, परीक्षा परिणाम, विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश सम्बन्धी जानकारी भी प्राप्त होती है । समाचार पत्र दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक या फिर त्रैमासिक हो सकता है ।

इनमें दैनिक, सांध्य, साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक प्रमुख हैं । रोजाना छपने वाले अखबार दैनिक कहलाते हैं । रोजाना अपराह्न प्रकाशित होने वाले अखबार सांध्य दैनिक कहलाते हैं । इनके अतिरिक्त सप्ताह में एक बार छपने वाला साप्ताहिक तथा पन्द्रह दिनों में एक बार छपने वाला समाचार पत्र पाक्षिक कहलाता है ।

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हमारे देश में समाचार पत्र हिन्दी, अंग्रेजी, बंगाली, पंजाबी, मराठी, तमिल, तेलगू तथा संस्कृत भाषाओं में छपते हैं । हिन्दी के बड़े दैनिक समाचार पत्रों में नवभारत टाइम्स, दैनिक हिन्दुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, दैनिक जागरण तथा पंजाब केसरी प्रमुख हैं ।

इनके अलावा अंग्रेजी में टाइम्स ऑफ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, स्टेट्‌स मैन, पाइनियर, एशियन ऐज आदि प्रमुख दैनिक समाचार पत्र हैं । इनके अलावा हजारों ऐसे समाचार पत्र हैं जिनकी प्रसार संख्या ज्यादा नहीं है या फिर वे क्षेत्रीय समाचार पत्र हैं । उन सबकी जानकारी देना संभव नहीं है ।

समाज, राजनीति में व्याप्त कुरीतियों को दूर कराने में समाचार पत्र काफी सहायक सिद्ध हुए हैं । सरकारी नीति व नौकरशाहों द्वारा किये जा रहे घोटालों का पर्दाफाश समाचार पत्र ही करते हैं । विचारों को स्पष्ट और सही रूप में प्रस्तुत करने का समाचार पत्र से कोई और अच्छा साधन नहीं हो सकता । वर्तमान में विचारों की प्रधानता है । समाचार पत्रों से जहां लाभ हैं वहां हानियां भी हैं ।

पिछले कुछ वर्षों से समाचार पत्रों का किसी न किसी राजनीति दल से गठजोड़ देखने को मिल रहा है । राजनीतिक दलों से गठजोड़ करने वाले समाचार पत्र उनकी नीतियों और विचारों को प्रमुखता से प्रस्तुत करते हैं । इनके अलावा समाचार पत्र के संवाददाता भी कई बार राजनीति से प्रेरित हो किसी समाचार को राजनीतिक रंग दे देते हैं ।

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समाचार पत्रों के लाभ यह है कि इनमें एक तरफ समाचार जहां विस्तृत रूप से प्रकाशित होते हैं वहीं इनमें छपी सामग्री को हम काफी दिनों तक संभाल कर रख सकते हैं । दूरदर्शन या टीवी चैनलों द्वारा प्राप्त समाचारों से संबंधित जानकारी हम भविष्य के लिए संभाल कर नहीं रख सकते हैं । इसके अलावा यह क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित होने के कारण जो लोग हिन्दी या अंग्रेजी नहीं जानते उन तक को समाचार उपलब्ध करवाते हैं ।


2. समाचार-पत्र एवं उनकी शक्ति | Essay on Newspaper and its Power for School Students in Hindi Language

विस्तार बिंदु:

1. जनसंचार के माध्यम किसी भी देश अथवा समाज में होने वाली विविध गतिविधियों के प्रतिबिंब ।

2. स्वाधीनता संग्राम में समाचार-पत्रों का योगदान ।

3. समाचार-पत्रों के सकारात्मक एवं नकारात्मक पक्ष ।

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4. निष्कर्ष ।

जनसंचार माध्यम (टेलिविजन, रेडियो, समाचार-पत्र आदि) किसी भी समाज या राष्ट्र की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रतिबिम्ब होते हैं । भारत जैसे विशाल एवं विकासशील देश में समाचार-पत्र एक महत्वपूर्ण जनसंचार माध्यम है, जो जनसंख्या के व्यापक अंश तक अपनी पहुंच रखते हैं ।

समाचार-पत्रों द्वारा जीवन के विभिन्न पक्षों से जुड़ी जानकारियां स्थायी सामग्री के रूप में उपलब्ध करायी जाती है । ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता के प्रसार ने समाचार-पत्रों के प्रसार को व्यापक बना दिया है । समाचार-पत्रों के प्रसार क्षेत्र द्वारा ही उनकी शक्ति निर्धारित होती है । समाचार-पत्रों का प्रचलन आरंभ होने के बाद से ही वे मानव के दृष्टिकोण एवं विचारों को प्रभावित करते रहे हैं ।

विभिन्न देशों में हुई सामाजिक व राजनीतिक क्रांतियों के अतिरिक्त भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में भी समाचार-पत्रों की भूमिका महत्वपूर्ण रही । पुनर्जागरण के अग्रदूत राजा राममोहन राय सहित अन्य सुधारकों ने भी अपने धार्मिक एवं सामाजिक सुधार कार्यक्रमों को विस्तार देने तथा जन-जन तक पहुंचाने हेतु समाचार-पत्रों का ही सहारा लिया ।

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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (मराठा, केसरी), सुरेन्द्रनाथ बनर्जी (बंगाली), भारतेंदु हरिश्चंद्र (संवाद कौमुदी), लाला लाजपत राय (न्यू इंडिया), अरविंद घोष (वंदे मातरम्’), महात्मा गांधी (यंग इंडिया व हरिजन) आदि महान नेताओं एवं राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन के संचालकों ने विभिन्न भाषाई समाचार-पत्रों के माध्यम से ब्रिटिश शासन की शोषणकारी नीतियों एवं कार्यों को उजागर करके जन-सामान्य तक पहुंचाया ।

इन समाचार-पत्रों से संपूर्ण विश्व में अत्याचारपूर्ण ब्रिटिश शासन का प्रचार होता था । समाचार-पत्रों की इस बहुआयामी भूमिका के कारण ही ब्रिटिश शासन द्वारा प्रेस पर कठोर प्रतिबंध आरोपित किये गये तथा समाचार-पत्रों एवं उनके संचालकों को अराजक घोषित कर दिया गया । किंतु समाचार-पत्रों द्वारा पैदा किये गये जन-उभार ने स्वतंत्रता प्राप्ति के लक्ष्य को प्राप्त करने में बहुमूल्य योगदान दिया ।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकारी नीतियों तथा विकास कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाने में समाचार-पत्रों का योगदान सराहनीय रहा । साक्षरता के प्रसार, राजनीतिकरण तथा आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के साथ-साथ समाचार-पत्रों की प्रसार संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसके फलस्वरूप उनकी शक्तियों का भी विस्तार हुआ है । समाचार-पत्रों की शक्ति के सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों पक्ष हैं ।

सकारात्मक पक्ष:

समाचार-पत्र लोगों को दिन प्रतिदिन की घटनाओं से अवगत कराते हैं । समाचार-पत्रों के माध्यम से ही विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक समूह एक-दूसरे के दृष्टिकोण, मान्यताओं एवं अपेक्षाओं से परिचित होते हैं । इस प्रकार समाज में एक शांतिपूर्ण सामंजस्य की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है, जिसमें आपसी विवादों एवं मतभेदों का निराकरण सहमतिपूर्ण ढंग से करना संभव होता है ।

समाचार-पत्र सामाजिक व नैतिक मूल्यों के क्षरण को रोकने में सहायक होते हैं तथा प्राचीन परंपराओं एवं उदाहरणों के माध्यम से नैतिकता में जन-मानस की आस्था को सुस्थिर रखने का प्रयास करते हैं । समाचार-पत्रों द्वारा सांस्कृतिक गतिविधियों को सक्रिय रखने में भी गतिशील भूमिका निभायी जाती है ।

समाचार-पत्रों का सबसे महत्वपूर्ण कार्य जनमत का निर्माण करना है । समाचार-पत्रों को भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है । समाचार-पत्र सरकार, सरकारी नीतियों व कार्यक्रमों तथा महत्वपूर्ण फैसलों के विषय में जनमत का निर्माण करते हैं । जनमत का प्रतिनिधित्व करने के कारण समाचार-पत्रों की आवाज को सुनना तथा उस पर जरूरी निर्णय लेना लोकतांत्रिक सरकार के लिए लगभग बाध्यकारी होता है ।

समाचार-पत्रों के विश्लेषण एवं लेखों से चुनावी परिणामों पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है । बड़ी संख्या में मतदाता समाचार-पत्रों की खबरों को आधार बनाकर अपना मत निर्णय करते हैं । इस प्रकार समाचार-पत्र किसी पार्टी या व्यक्ति के पक्ष में चुनावी लहर को जन्म देने वाले मुख्य अभिप्रेरक होते हैं ।

समाचार-पत्र स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर की समस्याओं के प्रति सरकार एवं जनता का ध्यान आकर्षित करते हैं तथा उसके निराकरण हेतु सम्बद्ध पक्षों पर दबाव डालते हैं । अपनी शक्तियों के इन्हीं सकारात्मक पक्षों के कारण समाचार-पत्रों से जुड़े पत्रकारों एवं उनके व्यवसाय को सम्मानपूर्ण दृष्टि से देखा जाता है ।

नकारात्मक पक्ष:

स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ वर्षों बाद से ही समाचार-पत्रों को हासिल शक्तियों का दुरुपयोग होना प्रारंभ हो गया । वर्तमान समय में स्वतंत्रता पूर्ण युग की नैतिक पत्रकारिता अतीत की बात बनकर रह गयी है । पत्रकारिता के क्षेत्र में बढ़ती व्यावसायिकता ने समाचार-पत्रों के सामाजिक उत्तरदायित्वों को किनारे रख दिया है । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अभिव्यक्ति की प्रतिबद्धता’ का पर्याय मान लिया गया है ।

पत्रकारिता आज एक लाभदायक व्यवसाय बन चुकी है, जिसमें त्याग, समर्पण, सामाजिक जागरूक्‌ता के स्थान पर, सिफारिश एवं गुटबंदी की प्रधानता है । पत्रकारों द्वारा जनहित को समाचारों का लक्ष्य बनाने की बजाय दलाली एवं कमीशन खोरी के आधार पर समाचारों का विकृतिकरण किया जा रहा है ।

बढ़ती व्यावसायिकता ने जनहित की समस्याओं को पीछे धकेलकर विज्ञापन एवं चटपटी खबरों को समाचार-पत्रों का मुख्य अंग बना दिया है । अधिकांश समाचार-पत्रों द्वारा सामान्य जन की भाषा को तिरस्कृत करके अभिजात्यवर्गीय संस्कृति को केंद्र में रख दिया गया है । उन्नति की दौड़ में शामिल सामान्य वर्ग भी इन अभिजात्यवर्गीय संस्कारों को आत्मसात् करने के लिए तत्पर दिखाई देता है ।

आज समाचार-पत्र जनमत के निर्माण की नहीं बल्कि जनमत के भटकाव की प्रक्रिया को गतिशील बनाने में सहयोगी बन रहे हैं । पत्रकारों राजनीतिज्ञों, अफसरों, उद्योगपतियों की चौकड़ी द्वारा जन-सामान्य के ध्यान को मूलभूत मुद्दों से हटाकर सतही समस्याओं पर केंद्रित किया जा रहा है ।

समाचार-पत्रों में जातीय एवं धार्मिक नेताओं के प्रभाववश सामाजिक एवं धार्मिक मतभेदों को उभारने वाली खबरें प्रकाशित होती हैं तथा वास्तविक सामाजिक कार्यकर्ताओं के कार्यों एवं अपीलों को उपेक्षित कर दिया जाता है । इन सब कारणों से समाचार-पत्रों की विश्वसनीयता में कमी आयी है तथा पत्रकारों की स्वच्छतापूर्ण सामाजिक छवि को आघात पहुंचा है ।

समाचार-पत्र की शक्ति को सामाजिक एवं राष्ट्रीय हितों के पोषण में प्रयोग करने के लिए आवश्यक है कि समाचार-पत्रों के संचालकों एवं पत्रकारों को निजी हितों व स्वार्थों से दूर रखने के प्रयास किये जायें । पत्रकारों को सामाजिक व नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहन देने के अपने पवित्र उत्तरदायित्वों का निर्वाह करना होगा तभी उनकी सम्मानजनक छवि तमाम कठिनाइयों के बाद भी कायम रह सकेगी ।

सुविधा उपभोग की बजाय त्याग व संघर्ष के पथ का चयन ही समाचार-पत्रों की शक्ति को सामाजिक व राष्ट्रीय हितों की दृष्टि से उपयोगी बना सकता है ।


3.  मानव जीवन में समाचार-पत्रों का महत्व | Paragraph on the Importance of Newspaper in our Lives for School Students in Hindi Language

आज समाचार-पत्र मनुष्य को देश और दुनिया की सूचना देने का ही कार्य नहीं करते, बल्कि वे मनुष्य की आवश्यकता बन गए हैं । पहले देश-विदेश के समाचार जानने के लिए विशेष वर्ग द्वारा ही समाचार-पत्र पड़े जाते थे । आज शिक्षित उच्च वर्ग ही नहीं बल्कि मेहनतकश मजदूर, रिक्शा, ठेला चलाने वाला अर्धशिक्षित वर्ग भी समाचार-पत्रों का महत्त्व समझने लगा है ।

आज के व्यस्त जीवन में मनुष्य के पास समय का अभाव है । लेकिन जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उसे विभिन्न क्षेत्रों से सम्पर्क बनाना पड़ता है । आज समाचार-पत्र मनुष्य को समाज के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों से जोड़े रखने का महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं ।

मानव जीवन में समाचार-पत्र परिवार के महत्त्वपूर्ण सदस के रूप में प्रवेश कर चुके हैं, जिनके एच्छ भी दिन न मिलने पर खालीपन महसूस होता है । भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरानस्थ्य-पत्रों ने देश में जन-जागरण का महत्त्वपूर्ण कार्य किया था ।

समाचार-पत्रों में देश भक्ति की भावना जागृत करने, वाले, लेख एवं कविताएँ पढ़-पढ़कर देश की जनता उत्साहित होकर स्वतंत्रतां दोलन में अपना सहयोग देने लगी थी । आज भी समाचार-पत्र लोगों को जागरूक करने का महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं ।

लोगों को उनके अधिकारों से अवगत कराने के अतिरिक्त समाचार-पत्र अष्ट सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों, मंत्रियों आदि का भंडाफोड़ करके लोगों को सचेत भी कर रहे हैं । वास्तव में समाचार-पत्र आम आदमी के मन-मस्तिष्क से बड़े अधिकारियों, मंत्रियों आदि का भय निकालने का महत्त्वपूर्ण प्रयत्न कर रहे हैं ताकि आम आदमी भ्रष्ट अधिकारियों मंत्रियों के विरोध में आवाज उठा सके ।

निस्संदेह समाचार-पत्रों ने मानव समाज को अत्याचार का विरोध करने का साहस प्रदान किया है । मानव-समाज को जागरूक करने के अतिरिक्त आज समाचार-पत्र लोगों को विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए उत्साहित भी कर रहे हैं ।

समाचार-पत्रों के माध्यम से लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में हो रही प्रगति की जानकारी ही नहीं मिल रही, बल्कि उन क्षेत्रों में प्रवेश के मार्ग भी दिखाए जा रहे हैं । आज रोजगार के लिए युवा-पड़ी समाचार-पत्रों से पर्याप्त जानकारी प्राप्त कर सकती है । विभिन्न क्षेत्रों के संस्थान और योग्य उम्मीदवारों के मध्य समाचार-पत्र सेतु का कार्य कर रहे हैं ।

समाचार-पत्रों के माध्यम से आज शिक्षित युवा-पीढ़ी को देश-विदेश में नौकरी के अवसरों तथा विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण की जानकारी मिल रही है । देश-विदेश में व्यापार के आदान-प्रदान के लिए भी समाचार-पत्रसशक्त माध्यम बन रहे हैं ।

आज मानव रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी समाचार-पत्रों पर निर्भर हो गया है । विशेषकर विस्तार लेते जा रहे नगरों महानगरों में सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों की जानकारी, विभिन्न: उत्पादों की खरीदारी आदिके लिए लोगों को समाचार-पत्रों की सहायता लेनी पड़ती है ।

प्रतियोगिता के इस युग में विभिन्न उत्पादों की कम्पनियाँ भी समाचार-पत्रों के माध्यम से अपने उत्पादों की विशेषताएँ ग्राहकों को बता रही हैं । ग्राहकों को घटिया उत्पादों की जानकारी भी समाचार-पत्रों से मिलरही है ।

आज ग्राहक किसी भी प्रकार की खरीदारी के लिए स्वयं निर्णय लेने से पूर्व समाचार-पत्रों के दिशा-निर्देश पर विचार करता है । आधुनिक मानव-समाज में समाचार-पत्र इतने अधिक महत्त्वपूर्ण हो गए हैं कि एक मित्र की भाँति वे सामाजिक रिश्ते बनाने का कार्य भी कर रहे हैं । आज देश-विदेश में रोजगार अथवा नौकरी के कारण मनुष्य अपने सम्प्रदाय अथवा जाति-बिरादरी से दूर रहने पर विवश है ।

ऐसी स्थिति में मनुष्य को विवाह-सम्बंधों के लिए समाचार-पत्रों की सहायता लेनी पड़ रही है । समाचार-पत्रों के वैवाहिक विज्ञापनों के द्वारा आज अधिकाधिक विवाह सम्पन्न हो रहे हैं । बल्कि पहले जाति-बिरादरी में सीमित सम्बन्धों के कारण वर-वधू खोजने के सीमित अवसर हुआ करते थे । आज वैवाहिक विज्ञापनों के द्वारा योग्य वर-वपू के अधिक अवसर मिल रहे हैं ।

वास्तव में समाचार-पत्र आज मानव जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं । मनुष्य जीवन की अधिकांश आवश्यकताओं के लिए समाचार-पत्रों पर निर्भर हो गया है । स्पष्टतया समाचार पत्रों के अभाव में आज मानव-जीवन सूना है ।


4. समाचार-पत्र पढ़ने के लाभ | Essay on the Benefits of Reading a Newspaper for Teachers in Hindi Language

समाचार पत्रों के अपने महत्त्व और लाभ हैं । आधुनिक समय में समाचार पत्रों को सूचना समाचार एवं विचारों के प्रसार का अच्छा माध्यम समझा जाता है । समाचार पत्रों के बहुत से लाभ हैं । समाचार पत्र विश्व के प्रत्येक हिस्से के समाचार हम तक पहुँचाते हैं ।

किसी ने सच ही कहा है आज का युग ‘प्रेस’ एवं प्रात: कालीन सामाचार पत्र का युग है । समाचार पत्र आज की दुनिया में लोकमत को प्रतिबिम्बित करता है । सामाचार पत्र द्वारा वास्तविक लोकमत का मापन सम्भव होता है । समाचार पत्रों में बहुत उपयोगी जानकारी अन्तर्विष्ट होती है ।

लोगों को ने केवल अपने देश बल्कि सम्पूर्ण विश्व के विचारों एवं विचारधाराओं के विषय में जानकारी मिलती है । समाचार पत्रों में हमें देश-विदेश के समाचार पढ़ने को मिलते हैं । सामाजिक राजनैतिक आर्थिक वैज्ञानिक साहित्यक एवं धार्मिक घटनाओं की रिर्पोट सभी समाचार पत्रों द्वारा दी जाती है ।

समाचार पत्र विश्व के सभी देशों में आपसी भाईचारा एवं सौर्हाद पूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक होते हैं । समाचार पत्र विज्ञापन एवं प्रचार का एक अच्छा माध्यम हैं । समाचार पत्रों के स्तम्भों से हमें विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है ।

कुछ समाचार पत्र हत्या सेक्स अपराध घोटालों तलाक अपहरण एवं इस तरह के अन्य विषयों की खबरें छापते है । इस तरह के समाचारों के प्रचार प्रसार से पाठकों पर बुरा प्रभाव पड़ता है । किन्तु समाचार पत्रों के फायदों को देखते हुये इन नुकसानों की अवहेलना की जा सकती है ।

आज कल प्रत्येक समाचार पत्र किसी संदेश को प्रतिपादित करता है जबकि उसे निष्प क्ष होकर समाचार छापने चाहिये । कुछ समाचार पत्र अपनी विचारधाराओं का प्रचार करने में लगे हुये हैं । इन विचारों से समाचार पत्र के वास्तविक उद्देश्य को नुकसान पहुँचता है ।

समाचार पत्र विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों पर जनमत को परिवर्तित करने में एक बड़ी भूमिका निभाता है । समाचार पत्र लोगों को शिाइ क्षत करने में भी सहायक होते हैं । वह हमें हमारे कर्त्तव्यों के विषय में बताते हैं एवं हमारी जिम्मेवारियों का एहसास कराते हैं ।

देश में व्याप्त कई समस्याओं पर वह अपनी न्यायपूर्ण उचित एवं ईमानदार राय प्रस्तुत करते हैं । इस तरह वह आम जनता का पथ प्रशस्त करते हैं । शिक्षा के दृष्टिकोण से उनका बहुत महत्त्व है । समाचार पत्र विभिन्न क्षेत्रों में हुयी नवीनतम खोजों अविष्कारों एवं अनुसंधानों के विषय में रिर्पोटों को प्रकाशित कर सकते हैं ।

विश्वविख्यात विचारक, लेखक, कवि, वैज्ञानिक, समाज सुधारक, दार्शनिक एवं राजनितिज्ञ, समाचार पत्रों द्वारा प्रसिद्धि पाते है । इस तरह समाचार पत्र आधुनिक समाज के महत्त्वपूर्ण आधार हैं । इससे व्यापार एवं व्यवसाय को प्रोत्साहन मिलता है । यह राष्ट्रीय मत के प्रतीक हैं । इनमें वास्तविक विचार प्रतिबिम्बित होते हैं । संक्षेपत: हम यह कह सकते हैं कि समाचार पत्रों के बहुत विस्मयकारी लाभ हैं ।


5. वर्तमान समाज के निर्माण में समाचार पत्र की भूमिका | Essay on the Role of Newspaper in Today’s Society for School Students in Hindi Language

समाचार पत्र आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में जन साधारण को सूचना प्रदान करने का सर्वोत्तम साधन है । आज सामाजिक उत्थान पतन को हम समाचार पत्र के माध्यम से भली भांति जान सकते हैं ।

लोकतात्रिक प्रणाली में समाचार पत्र जन-जागरण का साधन है । जनमत संग्रह और निर्माण में यह दिशा निर्देशक का कार्य करती है । समाचार पत्र लोगों को जागरूक करने का कार्य करती है । भारतीय समाज के निर्माण में समाचार पत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।

स्वतंत्रता के पूर्व आम भारतीयों में ब्रिटानी सरकार की दासता से मुक्त होने का भाव जगाने में समाचार पत्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी । किन्तु रचतंत्रता के पूर्व समाचार पत्र नवीन समाज के निर्माण के लिए जिस तरह एक ‘मिशन’ की तरह काम करते थे, जिस प्रकार उनका उद्येश्य लोगो को जागरूक करना था आधुनिक समय में उसका वह स्वरूप नहीं रह गया है ।

भारतीय पेशा सर्वेक्षण के निदेशक भी.डी.शर्मा के अनुसार, ”समाचार पत्र मानव के व्यावहारिक गतिविधियों के बारे में समाचार -वगैर विचारों का प्रकाशन करता है ” । व्यापक अर्थ में समाचार पत्र आधुनिक लोकतांत्रिक समाज का चौथा आधार स्तंभ और लोक तंत्र का सजग प्रहरी है ।

इस संदर्भ में उसका महत्व उस फौजी से किसी भी तरह कम नही है जो अपने घर से मीलों दूर मातृभूमि की रक्षा के लिर सीमा पर तैनात रहता है । वर्तमान समाज में भी यह जन संचेतना और नवजागरण के संवाहक की भूमिका निभाता है । यदि समाचार पत्र न रहे तो समाचारों का आदान-प्रदान नही होगा और पूरी दुनिया की वैचारिक क्राति की गति और विकास अवरूद्ध हो जाएगी ।

समाचार पत्र समाज में घटित होने वाली घटना की सूचना ही नहीं देना अपितु उस घटना के फलस्वरूप जन्म लेने वाली प्रतिक्रिया से भी नवगत कराता है । यह साहित्य और संस्कृति का संवाहक भी है और दोनों को पोषित भी करता है ।

ADVERTISEMENTS:

आधुनिक समाज में अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा बढ़ रही है । चारों तरफ अराजकता, विखंडता और अलगाववाद का विगुल बज रहा है ऐसी परिस्थिति में समाचार पत्रों में प्रकाशित विचारों का संतुलित होना आवश्यक है ।

समाचार पत्र आधुनिक समाज का ताप मापक यंत्र है । एक ओर जहाँ यह राजनीतिक आर्थिक नीतियों तथा कडि, अपराध और दुघर्टनाओं की खबर देता है वहीं अकाल, महामारी, अतिवृष्टि, महत्वपूर्ण विभूतियों की मृत्यु और विकारपोम्मुखी खबरों से भी अवगत कराता है ।

समस्यापरक और घटनापरक दोनों ही प्रकार के समाचारों का प्रेषण करने के साथ-साथ एक तटस्थ समीक्षक की भूमिका का निर्वहन कर समाज को नवीन दृष्टि प्रदान करने का कार्य भी करता है । यह देश काल का यथार्थ चित्र जन जीवन के समक्ष प्रस्तुत कर देश सेवा, राष्ट्रप्रेम और समाज सुधारक की भूमिका का निर्वाह करता है ।

दूसरी ओर दबाव, उत्कोच अथवा पक्षधरता से प्रभावित होकर देश और समाज के लिए संकट भी उत्पन्न कर सकता है । सच्चा समाचार पत्र जनभावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है । राजनैतिक शोपण उपार्थिक उत्पीड़न, स्थानीय समस्याओं का चित्रण आदि के द्वारा यह मृक और निरीह जनता की ओर से आवाज उठाता है ।

गरीब और कमजोरों का मार्गदर्शन करता है । साधारण जनता को उसके रचत्व और अधिकारों से परिचित करा कर उनमें नवीन चेतना को उदित करता है । यदि समाचार पत्र संकुचित उद्येश्य से प्रेरित होकर मिथ्या प्रचार न करे तो यह समाज निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है ।


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